हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा- लाठी डंडे हमने खाए, टिकट भी हम ही बांटेंगे
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में कहा कि भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेसियों को तेरे-मेरे का चक्कर छोड़ना पड़ेग ...और पढ़ें

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में लगातार दस साल सत्ता में रही कांग्रेस आजकल गुटबाजी के दौर से गुजर रही है। कभी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी रहे अशोक तंवर का आज उनके साथ छत्तीस का आंकड़ा है। तंवर ने हरियाणा कांग्रेस की बागडोर तब संभाली, जब पार्टी सत्ता से जाने वाली थी। तब से पार्टी में कई उतार-चढ़ाव आए। हुड्डा समर्थक विधायकों ने तंवर के खिलाफ मोर्चा खोला तो साथ ही तंवर ने भी अपनी मजबूत कोर टीम तैयार की। कांग्रेस में अब संगठनात्मक चुनाव की गतिविधियां चरम पर हैैं। पार्टी के तमाम मुद्दों पर अशोक तंवर से हरियाणा के ब्यूरो चीफ अनुराग अग्रवाल की बातचीत हुई। पेश है प्रमुख अंश...
तीन साल से कांग्रेस की बागडोर आपके हाथ में है। आपसे पहले साढ़े छह साल फूलचंद मुलाना अध्यक्ष रहे। उनके और अपने कार्यकाल को कैसे आंकते हैैं?
- मुलाना जब अध्यक्ष थे, तब हरियाणा में कांग्रेस की सत्ता थी। मैैंने जब काम शुरू किया, तब से भाजपा की सरकार है। कांग्रेस कार्यकर्ता निराश हो चुके थे। हमने धरातल पर काम करते हुए फिर से पार्टी को सत्ता के करीब लाने का काम किया। अनदेखी की वजह से जो लोग पार्टी छोड़कर जा रहे थे, अब वे लगातार वापस आ रहे हैैं।
आप पर आरोप है कि तीन साल में आप कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा नहीं खड़ा कर पाए। इसकी क्या वजह रही?
- दस साल से समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही थी। कार्यकर्ता निराश होकर दूसरे दलों में जाने लगे थे। संगठन खड़ा करना एक दिन का काम नहीं है। हमने अच्छे कार्यकर्ताओं की पहचान की। सहयोगी संगठनों को सक्रिय किया। सिर्फ पद बांटने पर हमारा जोर नहीं रहा। बीच में प्रभारी भी बदले और दंगे भी हुए। अब चुनावी प्रक्रिया चरम पर है। नए लोग जुड़ रहे हैैं। अच्छे रिजल्ट मिलेंगे।
हुड्डा खेमे ने आपको अध्यक्ष पद से हटाने के लिए पूरा जोर लगा रखा। 17 में से 13 विधायक आपके खिलाफ हैैं। उन्हें कैसे रोकेंगे?
- सवाल किसी को रोकने का नहीं है। मैंने हमेशा कार्यकर्ताओं के मान सम्मान की लड़ाई लड़ी। आज हालात मेरा-तेरा के चक्कर में पडऩे के नहीं हैैं। कांग्रेस हाईकमान को जो उचित लगता है, वही होता है। सभी को एकजुट होकर कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए काम करना चाहिए।
माना जाता है कि कांग्रेसियों की गुटबाजी पार्टी हाईकमान को रास आती है, ताकि पावर का केंद्रीयकरण न हो सके?
- यह दुष्प्रचार है। कांग्रेस हाईकमान ने तो कई बार मनमुटाव दूर करने की कोशिश की। अगर हम एकजुट होंगे तो हाईकमान की ताकत ही बढ़ेगी। कुछ लोग हाईकमान को ही कमजोर करने में लगे हैैं। पंजाब में कांग्रेसी भिड़ते थे, मगर चुनाव में एकजुट हो गए। वहां हमारी सरकार बनी।
भाजपा की सरकार बने तीन साल हो गए, लेकिन गुटबाजी में उलझी कांग्रेस कोई बड़ा आंदोलन नहीं खड़ा कर पाई। सरकार को विपक्ष की फूट का लाभ मिल रहा?
- प्रदेश में सबसे बड़ा विपक्षी दल इनेलो है। उसने भी एसवाईएल नहर के निर्माण को लेकर अब फील्ड में निकलना शुरू किया। इन तीन सालों में हमने ही आंदोलन किए। कई बार विधानसभा घेरी, लाठियां खाई और पदयात्राएं निकाली। लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने वाले हैैं। अब टिकट बांटने का समय है और टिकट भी हम ही बांटेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ कई सीबीआइ जांच चल रही हैैं। वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील पर कांग्रेस को घेरा जा रहा है। इन जांच को कैसे देखते हैैं?
- सत्ता में आने से पहले जिस भाजपा ने अशोक खेमका को मोहरा बनाया, वही खेमका सरकार में भ्रष्टाचार होने की बात कह रहे हैैं। हुड्डा के खिलाफ जितनी भी जांच हैैं, सभी राजनीतिक से ग्र्रसित हैैं। भाजपा के कई मंत्री और विधायक भ्रष्टाचार में डूबे हैैं। काले धन से उन्होंने जमीनें खरीदी। ढींगरा आयोग की रिपोर्ट लीक करने के बावजूद उसमें कुछ नहीं निकला। कांग्रेसी इनसे घबराने वाले नहीं हैैं। हम मानहानि का केस करने की सोच रहे हैैं।

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