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बेटियों को सिखाते-सिखाते मां बन गई चैंपियन, याेग में लहरा रही परचम

भिवानी की संतोष सहारण अपनी दो बेटियों को योग सिखाकर सशक्‍त बनाना चाहती थीं अौर उन्‍हें एक योग सेंटर ले जाती थीं। इसी दौरान खुद योग में ऐसा रम गईं कि चैंपियन बन कर सामने आईं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 21 Jul 2017 02:12 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jul 2017 04:17 PM (IST)
बेटियों को सिखाते-सिखाते मां बन गई चैंपियन, याेग में लहरा रही परचम
बेटियों को सिखाते-सिखाते मां बन गई चैंपियन, याेग में लहरा रही परचम

भिवानी, [सुरेश मेहरा]। बेटियों को योग-योग सिखाते-सिखाते एक मां योग चैंपियन बन गई। बेटियां पढ़ने-लिखने में तेज थीं, लेकिन संतोष को इतने से संतोष नहीं था। पढ़ाई के साथ बेटियां सशक्त बनें और स्वस्थ भी रहें, इसलिए उन्हें योग में दक्ष बनाने की ठानी। उन्हें अभ्यास शुरू कराया और योगाचार्य से प्रेरणा लेकर खुद भी योग साधना में जुट गईं।

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ऐसा लगन लगी कि कुछ समय पहले तक चूल्हे-चौके तक सिमटी जिले के गांव बीरण निवासी संतोष दक्ष योगाचार्य बन गईं। अब वह अपने योग कौशल की धूम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाने जा रही हैं। बेटियों को बड़ा मुकाम दिलाने के क्रम में वह योग में ऐसी रमी कि अंतरराष्ट्रीय योगिनी बन गईं। उन्‍हाेंने सोचा भी नहीं था कि बेटियों को सशक्‍त बनाने की कोशिश उन्‍हें खास म‍ंजिल पर पहुंचा देगी।

सिंगापुर में दिखेगा दो बेटियों की मां भिवानी की संतोष के योग आसनों का जादू

वह 26 जुलाई को सिंगापुर के लिए रवाना होंगी। वह वहां 28 से 30 जुलाई तक आयोजित होनेवाली सातवीं एशियन योग चैंपियनशिप में भाग लेंगी। इस चैंपियनशिप में मिनी क्यूबा भिवानी की यह योगिनी योग में कमाल दिखाने को बेताब है। उनकी दोनों बेटियां महक और खुशबू भी योग में बड़ी उपलब्धियां हासिल कर रही हैं। संतोष को भरोसा है वह सिंगापुर से गोल्ड मेडल लेकर लौटेंगी।

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संतोष सहारण गांव बीरण की बहू और मिताथल की बेटी हैं। समाज में महिला प्रताड़ना की घटनाओं को देखा और सुना तो जहन में आया कि वह अपनी बेटियों को बहुत ताकतवर और सशक्‍त बनाएंगी। वह कहती हैं कि हालांकि उन्होंने प्रताड़ना जैसी कोई बात नहीं झेली, लेकिन बेटियों को सशक्‍त बनाने की सोची, ताकि वे हर तरीके से महफूज महसूस कर सकें।

मेडल अौर सर्टिफिकेट के साथ संतोष।

इसके बाद संतोष ने बेटी महक और खुशबू को योग सिखाने की ठानी। वह खुद घर में चौका चूल्हा तक सीमित थीं, लेकिन खुद के सशक्‍त न होने की टीस थी और इसी कारण सोचा कि वह बेटियों को योग में बड़ा मुकाम दिलाएंगी। बस यही टीस और उससे उपजी सोच उनको यहां तक ले आई।

जागरण से विशेष बातचीत में संतोष ने बताया कि करीब तीन साल पहले वह योग के बारे में कुछ विशेष नहीं जानती थीं। वह चाहती थीं कि बेटियों की हाईट बढ़े और वे सुडौल व ताकतवर बनें। इसके लिए हरियाणा पुलिस में कार्यरत उनके पति धीरू सहारण को उनके एक साथी ने सलाह दी कि बेटियों को योग में डालाे। संतोष कहती हैं, पति ने यह बात मुझे बताई तो मैं उनको नियमित रूप से योग सिखाने के लिए ले जाने लगी। सेक्टर 13 में योग शिक्षक सुनील शर्मा के आरोग्यम सेंटर में उन्होंने बेटियों को योग सिखाना शुरू किया।

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उन्होंने बताया कि पहले तो योग असहज लगा लेकिन बाद में उनकी रुचि बढ़ती गई। पहली बार वह जिला स्तरीय योग प्रतियोगिता में उतरीं तो उनको गोल्ड मेडल मिला। उनका हौसला बढ़ा और योग में पूरी तरह से रम गईं। पिछले साल वह सिरसा में 32वीं हरियाणा स्टेट योग प्रतियोगिता में उतरीं तो कांस्य पदक मिला। इसके बाद इसी साल जून माह में उत्तर प्रदेश में हुई 13वीं नार्थ जोन योग चैंपियनशिप संतोष को गोल्ड मेडल मिला।

संतोष बताती हैं कि उसकी बेटियां राज्य स्तर पर योग में बढ़िया प्रदर्शन कर चुकी हैं। यूं कहें कि बेटियों और उसके बीच होड़ रहती हैं कि कौन गोल्ड जीतेगा। बेटियां कई बार कहती हैं, मम्मी आप तो हम से आगे निकल गईं। लेकिन, वह बेटियों के साथ हर पल हैं और उनका असली मकसद तो बेटियों को योग में बड़ा मुकाम दिलाना है। हालांकि वह खुद भी योग में महारत हासिल कर देश का नाम रोशन करने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रही हैं।

आत्मविश्वास से लबरेज संतोष ने कहा कि सिंगापुर में होने वाली सातवीं एशियन योग चैंपियनशिप से भी वह गोल्ड मेडल जरूर जीत कर लौटेंगी। वह पहले पंचकूला में योग कैंप में भाग लेंगी और इसके बाद 26 जुलाई को सिंगापुर के लिए दिल्ली हवाई अड्डे से रवाना होंगी।

शादी के 13 साल बाद बेटियों के साथ योग की पिच पर उतरी

संतोष कहती हैं, यह संयोग ही था कि शादी के 13 साल बाद बेटियों के साथ वह योग की पिच पर उतरीं। 3 जून 1981 को गांव मिताथल में पिता जीवनराम के घर जन्म हुआ। पिता किसान थे वह अब इस दुनिया में नहीं हैं। मां राजकौर गृहणी हैं और मां का उन पर हमेशा आशीर्वाद बना रहा है।

4 मार्च 2001 को उनकी शादी गांव बीरण निवासी धीरू सहारण से हुई। पति अभी हरियाणा पुलिस में कार्यरत हैं। वह कहती हैं कि सास लक्ष्मी देवी और ससुर रणवीर सिंह ने हमेशा उनको और बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

बेटियां कहती हैं, मम्मी उनके साथ अभ्यास करती हैं अच्छा लगता है

संतोष की बेटियां महक और खुशबू।

संतोष की बेटियां महक 10वीं कक्षा की छात्रा है और खुशबू नौवीं कक्षा में पढ़ती हैं। दोनों बेटियों का कहना हैं, मम्मी उनके साथ हर रोज योग केंद्र जाती थीं। हमारे सर ने उनको प्रेरित किया तो उन्होंने भी योग सीखना शुरू किया। मम्मी के साथ अभ्यास करके उनको बहुत अच्छा लगता है। हमारे लिए बेहद गर्व की बात है कि मम्मी अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गई हैं। कई प्रतियोगिताओं में तो हम मम्मी के साथ भाग लेते हैं। बहुत ही अच्छा लगता है और हमारा हौसला भी बढ़ता है।
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पत्नी और बेटियों की उपलब्धि पर गर्व  : धीरू सिंह सहारण

संतोष के पति धीरू सिंह सहारण।

संतोष के पति धीरू सिंह सहारण का कहना है कि उन्होंने पहले तो बेटियों को योग सिखाने के लिए भेजा था। संतोष बेटियों को लेकर योग केंद्र जाती थी। एक दिन पत्नी ने बताया कि वह भी योग सीख रही हैं तो उनको अच्छा लगा। उन्होंने पत्नी को इसके लिए प्रेरित किया और साथ ही यह भी कहा कि बेटियों को हर हाल में आगे बढ़ाना है। मां और बेटियां योग में जिस तरह नाम कमा रही हैं तो उस पर उन्‍हें गर्व अौर बहुत खुशी है।

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विदेशी धरती पर संतोष जीतेंगी सोना

विदेशी धरती पर भी संतोष योग में गोल्‍ड मेडल जरूर जीतेंगी। बेटियों के साथ योग सीखना शुरू करने वाली संतोष अाज औरों के लिए प्रेरणा बन गई हैं। मुझ पूरा भरोसा है संतोष सिंगापुर से गोल्ड मेडल लेकर लौटेंगी।

                                                                                                      -सुनील शर्मा, योग कोच, भिवानी।


संतोष के नाम ये रही हैं उपलब्धियां

- भिवानी जिला योग संघ द्वारा दादरी में 24 सितंबर 2016 में आयोजित जिला योग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल।

-राज्‍य योग एसोसिएशन द्वारा सिरसा में 2 अक्टूबर 2016 से आयोजित स्टेट योग चैंपियनशिप में कांस्य पदक।

-नेशनल योगा एसोसिएशन द्वारा 14 नवंबर 2016 से रांची झारखंड में आयोजित राष्‍ट्रीय योग चैंपियनशिप में कांस्य पदक। 

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