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    होम लोन पर काम की बातें

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    Updated: Sun, 16 Feb 2014 08:23 PM (IST)

    कोई भी वेतनभोगी या खुद का धंधा करने वाला व्यक्ति होम लोन पाने का हकदार है। सहकारी समितियां, कारपोरेट निकाय व व्यक्तियों के संघ भी होम लोन प्राप्त कर सकते हैं। मकान की कीमत के अस्सी फीसद तक की राशि के बराबर होम लोन लिया जा सकता है। जिस तरह घर खरीदने के

    कोई भी वेतनभोगी या खुद का धंधा करने वाला व्यक्ति होम लोन पाने का हकदार है। सहकारी समितियां, कारपोरेट निकाय व व्यक्तियों के संघ भी होम लोन प्राप्त कर सकते हैं। मकान की कीमत के अस्सी फीसद तक की राशि के बराबर होम लोन लिया जा सकता है।

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    जिस तरह घर खरीदने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार करने के बाद सही निर्णय की जरूरत होती है। ठीक उसी तरह होम लोन लेते वक्त भी सही फैसले की दरकार होती है। हममें से ज्यादातर के लिए होम लोन के बारे में सोचना शायद सबसे लंबी वित्तीय प्रतिबद्धता है। इसलिए इसके लिए एक नियमित दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।

    होम लोन प्राप्त करना:

    कोई भी वेतनभोगी या खुद का धंधा करने वाला व्यक्ति होम लोन पाने का हकदार है। सहकारी समितियां, कॉरपोरेट निकाय व व्यक्तियों के संघ भी होम लोन प्राप्त कर सकते हैं। मकान की कीमत के 80 फीसद तक की राशि के बराबर होम लोन लिया जा सकता है।

    तीन स्तंभ:

    होम लोन के तीन स्तंभ हैं-उच्च पात्रता, प्रतिस्प‌र्द्धी ब्याज दरें व कर लाभ। यदि हम अपने बजट से महंगे मकान के लिए होम लोन लेना चाहते हैं तो इन तीन स्तंभों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। इन्हीं के कारण लोगों का ऐसे इलाकों में मकान खरीदना संभव हुआ है, जिनके बारे में पहले केवल सपना देखते थे। होम लोन ने रीयल एस्टेट बाजार को बदलने के साथ-साथ अनेक परिवारों को बेहतर जीवनशैली जीने का अवसर प्रदान किया है।

    होम लोन राशि:

    होम लोन की वास्तविक राशि का निर्धारण कैसे किया जाता है? इसके लिए पुनर्भुगतान की क्षमता, आयु, शैक्षिक योग्यता, आय के स्थायित्व व प्रवाह, आश्रितों की संख्या, संपत्तियों, बचत संबंधी आदतों आदि का अध्ययन किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति शादीशुदा और परिवार का कमाऊ सदस्य है तो वह सह-आवेदक बन सकता है। इससे लोन मंजूरी के साथ लोन राशि में बढ़ोतरी की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।

    अवधि:

    सामान्यत: होम लोन की अवधि एक से 20 साल तक होती है। कुछ मामलों में 25 वर्ष तक के लिए भी होम लोन लिया जा सकता है। परंतु यह अवधि 60 वर्ष या रिटायरमेंट आयु, जो भी पहले हो, से आगे नहीं जानी चाहिए। स्वरोजगार प्राप्त लोगों के मामले में यह अवधि 65 वर्ष तक जाती है। इसलिए पुनर्भुगतान अवधि पर सोचते समय रिटायरमेंट योजनाओं पर भी ध्यान देना चाहिए।

    जरूरी कागजात:

    होम लोन के लिए आवेदन करते वक्त सामान्यत: निम्नलिखित कागजात की आवश्यकता पड़ती है। इनमें ग्राहक, मकान की जगह, लोन की आवश्यकता आदि के आधार पर फर्क संभव है :

    1. आय एवं पहचान का प्रमाणपत्र, वेतनभोगियों के मामले में पे स्लिप, फार्म-16 तथा कार्यालय का पहचानपत्र।

    2. व्यवसायियों के मामले में बैलेंस शीट, पीएंडएल अकाउंट तथा बैंक स्टेटमेंट।

    3. यदि मकान की पहचान कर ली गई है तो उसके कागजात की फोटोकॉपी।

    कर लाभ:

    केवल कम पैसे वाले लोग ही होम लोन नहीं लेते, यह उनके लिए भी आकर्षक है जिन्हें घर लेने के बजाय टैक्स बचाना होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आयकर की धारा 80-सी के तहत होम लोन धारकों को कर लाभ मिलते हैं। तेजी से विकसित होने वाले आवासीय इलाकों में यह आम चलन है। यदि पिछले दो सालों पर नजर डालें तो होम लोन सेगमेंट और आवासीय रीयल्टी बाजार साथ-साथ बढ़ते दिखाई देते हैं। ध्यान रखें, निर्माणाधीन या निवेश के उद्देश्य से खरीदे गए मकानों के लिए प्राप्त होम लोन पर कर लाभ नहीं मिलता।

    होम लोन के प्रकार:

    सबसे प्रचलित होम लोन उत्पादों में नए मकान के लिए लोन, मकान के विस्तार के लिए लोन, मकान में सुधार के लिए लोन, मकान को गिरवी रखकर लोन, महिलाओं के लिए होम लोन, अनिवासी संपत्ति पर लोन, लीज रेंटल फाइनेंस व ईएमआइ स्टेपअप उत्पाद शामिल हैं। 'ले लो या छोड़ो' प्रकार के होम लोन के दिन अब लद गए। अब होम लोन लेने वालों के सामने स्थान, कीमत, रुचि आदि की जरूरतों के मुताबिक कई तरह के उत्पाद मौजूद हैं। होम लोन के साथ आप मकान की बीमा पॉलिसी भी ले सकते हैं। आजकल के ग्राहक काफी जागरूक हैं। वे होम लोन के साथ अन्य कई उत्पादों की मांग भी करते हैं। होम लोन पर ईएमआइ का आकार लोन की राशि, ब्याज दर तथा लोन की अवधि पर निर्भर है। कुछ हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां (एचएफसी) क्रमश: घटने वाले भुगतान वाली स्कीमें भी पेश करती हैं। यह उनके लिए होती हैं जो रिटायरमेंट के नजदीक होते हैं और जिन्होंने किसी सह-आवेदक के साथ मिलकर आवेदन किया होता है।

    पुनर्भुगतान क्षमता:

    उपरोक्त सभी कारकों पर गौर करते हुए पहले अपनी पुनर्भुगतान क्षमता का आकलन करना चाहिए और तब लोन राशि तय करनी चाहिए। यदि शादीशुदा हैं और परिवार की जिम्मेदारी संभाल रहे है तो अपनी आमदनी के 40 फीसद से ज्यादा की ईएमआइ नहीं बंधवानी चाहिए। लेकिन यदि आप कुंआरे हैं और लोन पाने के पांच साल के भीतर शादी की योजना बना रहे हैं तो अपनी जीवनशैली और खर्च की आदतों के हिसाब से शुद्ध आय का 60 फीसद तक ईएमआइ चुका सकते हैं। ये सामान्य नियम हैं। इनसे लोन राशि तय करने से पहले आपको अन्य प्रतिबद्धताओं पर विचार करने का मौका मिल जाएगा।

    प्रोसेसिंग:

    किसी होम लोन आवेदन को आगे बढ़ाते समय जोखिम कम रखने के लिए हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां (एचएफसी) आखिर क्या करती है। होम लोन देने का निर्णय लेने की दो पृथक प्रक्रियाएं हैं। पहली में आवेदक की लोन लेने की पात्रता का आकलन किया जाता है। इसके लिए आवेदक की ओर से प्रस्तुत कागजात के आधार पर उसकी माली हालत का अंदाजा लगाया जाता है। पात्रता सुनिश्चित होने का मतलब है कि एचएफसी आपको उस राशि का होम लोन देने लायक समझती है और इसके लिए उस राशि पर 'अच्छा' जोखिम उठाने को तैयार है। बशर्ते प्रस्तुत कागजात सही हों। इसका आकलन करने के लिए दूसरे चरण की प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है, जिसमें कागजात का सत्यापन किया जाता है। इस दूसरी प्रक्रिया के संपन्न होने के बाद ही होम लोन मंजूर होता है और उसके भुगतान की व्यवस्था की जाती है।

    राकेश मक्कड़, प्रेसीडेंट, डीएचएफएल

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