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करवाचौथ का सेलीब्रेशन

धारावाहिकों और फिल्मों ने करवाचौथ के व्रत को एक नया रंग-रूप दे दिया है। अब करवाचौथ का व्रत एक प्रसिद्ध त्योहार बन गया है। साल दर साल इस व्रत का रंग गहरा ही होता जा रहा है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 17 Oct 2016 12:57 PM (IST)Updated: Mon, 17 Oct 2016 01:07 PM (IST)

पास रहें या दूर फर्क नहीं

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वाराणसी की प्रेरणा जोशी कहती हैं कि करवाचौथ का अर्थ सिर्फ पति को सामने देखना नहीं है। करवाचौथ प्यार और विश्वास का पर्व है। अक्सर ऐसा होता है कि मेरे पति काम के सिलसिले में बाहर ही होते हैं, लेकिन मैं पूरे उत्साह से व्रत रखती हूं। मेरा मानना है कि वह मेरे दिल में रहते हैं, उनके पास रहने या न रहने से मुझे फर्क नहीं पड़ता।

उत्साह के साथ मनाती हूं

इलाहाबाद में शिक्षिका स्वर्णिमा वर्मा कहती हैं कि मेरे पति सेना में हैं। वह साल में एक या दो बार ही घर आ पाते हैं। मेरी शादी को चार साल हो चुके हैं। इस दौरान केवल एक बार ही वह घर पर थे। करवाचौथ के मौके पर मैं अपनी ससुराल में उत्साह के साथ पारंपरिक व्यंजन बनाती हूं और व्रत रखती हूं। मेरा मानना है कि पति पास हैं या दूर इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता। बस दोनों के दिल में एक-दूसरे के प्रति प्रेम और विश्वास बरकरार रहना चाहिए।

फोटो देखकर तोड़ती हूं व्रत

कानपुर की दिशा चौधरी कहती हैं, कि मेरी शादी हुए करीब तीन साल हो चुके हैं। आज के भागमभाग वाले दौर में यह संभव नहीं है कि हर बार पति आपके साथ ही हों, लेकिन हर बार करवाचौथ में मैं वैसी ही तैयारी करती हूं, जैसी कि शादी के पहली बार पडऩे वाले करवाचौथ में की थी। व्रत रहकर मैं उनकी उन्नति और सफलता की कामना करती हूं। चांद निकलने पर चांद को निहारने के साथ-साथ उनकी फोटो को भी सामने रखती हूं। उनकी फोटो देखकर ही व्रत तोड़ती हूं।

सजना-संवरना अच्छा लगता है

लखनऊ में रहने वाली निरुपमा कहती हैं कि मैं मूलत: नार्थ ईस्ट से हूं। मुझे करवाचौथ के बारे में जो जानकारी है वह टीवी और फिल्मों से ही मिली है। मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूं और उनसे भी ऐसी ही अपेक्षा रखती हूं। कुछ शारीरिक समस्याओं के कारण मैं व्रत नहीं रह पाती हूं, लेकिन इस दिन मुझे सजना-संवरना बहुत अच्छा लगता है। मैं एक दिन पहले ही मेहंदी लगवा लेती हूं, ताकि अगले दिन काम करने में दिक्कत न हो। मेरा सजना-संवरना मेरे पति को भी अच्छा लगता है। मेरे ख्याल से हमें एक-दूसरे का साथ प्रेम और सम्मान से निभाना चाहिए। साथ ही दोनों एक-दूसरे को स्पेस भी दें। यदि आपके रिश्ते में प्यार है तो सारी खुशियां आपके कदमों में आ जाएंगी।

चूडिय़ों से भर जाता है हाथ

लखनऊ की माधुरी गुप्ता कहती हैं कि मेरे पति शहर से बाहर सेवारत हैं। इसलिए वह हर बार करवाचौथ के मौके पर घर नहीं आ पाते। मेरे शादी हुए सात साल हो चुके हैं। इन सात सालों में यह केवल दो बार ही करवाचौथ के मौके पर घर पर उपस्थित थे। मैं हर साल अपनी ससुराल में या मायके में पूरे रीति-रिवाजों के साथ करवाचौथ का उत्सव मनाती हूं। एक दिन पहले मेहंदी लगवाना और करवाचौथ के दिन सजना-संवरना मुझे बहुत अच्छा लगता है। सबसे खास बात यह है कि मेरे पति को चूडिय़ों से बहुत लगाव है। वह जब भी घर आते हैं तो मुझे बाजार ले जाकर ढेर सारी चूडिय़ां पहनवा देते हैं। इसलिए इस दिन मैं अपने हाथों को चूडिय़ों से भर लेती हूं।

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