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Yodha Review: घिसे-पिटे विषय पर लिखी बेदम कहानी में सिद्धार्थ मल्होत्रा ने दिखाया एक्शन का दम

सिद्धार्थ मल्होत्रा की फिल्म Yodha सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इस फिल्म में सिद्धार्थ आर्मी ऑफिसर के रोल में हैं जो स्पेशल फोर्स के लिए काम करता है। राशि खन्ना और दिशा पाटनी फीमेल लीड रोल में हैं। फिल्म की कहानी भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की पृष्ठभूमि में दिखाई गई है। इसका निर्माण करण जौहर ने किया है। इससे पहले सिद्धार्थ इंडियन पुलिस फोर्स वेब सीरीज में दिखे थे।

By Jagran News Edited By: Manoj Vashisth Published: Fri, 15 Mar 2024 04:23 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2024 04:23 PM (IST)
सिद्धार्थ मलहोत्रा की फिल्म योद्धा रिलीज हो गई है। फोटो- इंस्टाग्राम

प्रियंका सिंह, मुंबई। पहले तारा सिंह गदर मचाने पाकिस्तान पहुंचा था, फिर टाइगर ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को बचाने की जिम्मेदारी उठा ली। अब बारी है योद्धा की, वो भी पाकिस्तान में ही अपने मिशन को अंजाम देता है। भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर तनाव और इसके कारण पनपे आंतकवाद को लेकर दर्जनों कहानियां हिंदी सिनेमा ला चुका है।

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क्या है योद्धा की कहानी?

योद्धा (Yodha Review) फिल्म की कहानी भी इसी घिसे-पिटे मुद्दे पर है। तीनों सेनाओं के कुछ जांबाज जवानों से मिलकर बनी योद्धा टास्क फोर्स में अपने पिता मेजर सुरिंदर कटियाल (रोनित राय) के शहीद होने के बाद अरुण कटियाल (सिद्धार्थ मल्होत्रा) योद्धा में भर्ती होता है।

वह आंतकियों से मोलभाव करने में यकीन नहीं रखता है। सीनियर्स के ऑर्डर की प्रतीक्षा किए बिना, अकेले आंतकियों से लड़ने के लिए वन मैन आर्मी की तरह कूद पड़ता है। उसकी पत्नी प्रियम्वदा कटियाल (राशि खन्ना) पीएम की सेक्रेटरी है।

देश के सीनियर न्यूक्लियर साइंटिस्ट की सुरक्षा में तैनात अरुण जिस फ्लाइट में होता है, वह हाइजैक हो जाती है। साइंटिस्ट मारा जाता है। अरुण को सस्पेंड कर दिया जाता है। उसके पिता द्वारा शुरू किया गया योद्धा टास्क फोर्स को बंद हो जाता है। योद्धा से एयर कमांडर बन चुका अरुण कुछ महीनों बाद फिर एक फ्लाइट पर चढ़ता है।

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आखिरी वक्त पर उसकी फ्लाइट बदल दी जाती है। इस बार फ्लाइट को पाकिस्तान में ब्लास्ट करने की योजना है। कैसे अरुण इस पूरे मिशन को अंजाम देता है, कहानी इस पर बिना किसी सस्पेंस के डायलॉगबाजी के आगे बढ़ती रहती है।

कैसा है स्क्रीनप्ले, एक्शन और अभिनय? 

करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म है तो बड़े बजट में शूट करने से लेकर तेजी से बजते बैकग्राउंड स्कोर पर हीरो की धूप के चश्मे एंट्री, रोमांस, एक्शन सब कुछ हैं। बस जो चीज नहीं है, वह है एक भरोसेमंद, ताजा मुद्दे वाली कहानी, जो देशभक्ति को एक नए अंदाज में आज के युवाओं के सामने पेश करे।

दो निर्देशक मिलकर, सिनेमाई आजादी लेकर भी बिना लॉजिक वाली फिल्म लेकर आए हैं। सेना में खुफिया मिशन को अंजाम देने वाले जवान के नामों को गोपनीय रखा जाता है, लेकिन अरुण कटियाल तो हीरो है। हर कोई उसको जानता है। फिल्म की शुरुआत में बताया जाता है कि योद्धा टास्क फोर्स के जवान वायु, थल और नौसेना से चुने बेस्ट जवान होते हैं।

ऐसे में जब आखिरी वक्त पर अरुण की फ्लाइट बदल जाती है तो वह दिमाग तक नहीं लगाता कि ऐसा क्यों हुआ। पाकिस्तान में हवाई जहाज को लैंड करवाने वाला सीन बहुत बचकाना है, जहां एक नौसिखिया पायलट इस काम को अंजाम देती है।

योद्धा की कहानी, पटकथा और संवाद लिखने वाले सागर आंब्रे ने कहानी को साल 2001 में सेट कर दिया है, ताकि आर्टिकल 370 खत्म होने के पहले जो कश्मीर को लेकर मतभेद थे, वो दिखा सकें। उन्होंने आतंकवादी संगठन लश्कर का जिक्र किया है, जो भारत-पाकिस्तान के बीच शांति नहीं चाहता, कश्मीर का मुद्दा उठाकर उन्हें लड़ाना चाहता है।

यह सब देखकर लगता है कि अब बस करो, कुछ तो नया दिखाओ। पाकिस्तान में जाकर उनकी आर्मी के साथ मिलकर भारतीय योद्धा का लड़ना भी नहीं पचता है। राशि खन्ना का किरदार अंत तक आपको सोचने पर मजबूर करेगा कि क्या पूरे सिस्टम में आतंकियों के साथ बातचीत करने के लिए एक अकेली वही बची थीं।

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फिल्म शुरू होने के 50 मिनट बाद एंट्री लेने वाली दिशा पाटनी का फ्लाइट अटेंडेंट का किरदार लैला जब मनमोहक अंदाज में बालों को खुला करके धमकी देता है कि प्लेन को वह एक बम की तरह उड़ा देंगी, तब मन में सवाल उठते हैं कि क्यों? यह कौन है? किस बात का गुस्सा है कि वो प्लेन के साथ खुद भी मरने के लिए तैयार है? हालांकि, दिशा और सिद्धार्थ के पात्रों के बीच प्लेन के कॉकपिट में फिल्माया एक्शन सीन नया है।

अय्यारी, शेरशाह और इंडियन पुलिस फोर्स के बाद सिद्धार्थ का नाम कहीं ना कहीं मनोज कुमार की तरह देशभक्ति वाली फिल्मों से जुड़ गया है। सिद्धार्थ फिट लगे हैं। हाथों से एक्शन वाले सीन में वह तेज-तर्रार लगे हैं। 133 मिनट की फिल्म में दो से तीन बार हीरोइक एंट्री लेते हैं, लेकिन कमजोर कहानी के सामने ये सब व्यर्थ है।

लश्कर आतंकी की भूमिका में सनी हिंदूजा नेगेटिव रोल में प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। किस्मत बदल दी... गाने का रीमिक्स वर्जन अच्छा है। बी प्राक का गाया फिल्म का आखिर गाना म से माटी, म से है माथा... जब तक चलता है, देशभक्ति का जज्बा जगाता है।


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