भारतीय सिनेमा के सौ साल की झलक
विदेश में बढ़ती लोकप्रियता लेकिन स्थानीय जनता में घटती रुचि के बीच 43वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आइएफएफआइ) की मंगलवार को यहा माडवी नदी के तट पर बसी गोवा की राजधानी में शुरुआत हो गई। अगले दस दिनों तक यह समारोह भारतीय सिनेमा के शताब्दी उत्सव के आगन में अपनी छटा बिखेरेगा। इस दौरान दर्शकों को 70 देशो
पणजी। विदेश में बढ़ती लोकप्रियता लेकिन स्थानीय जनता में घटती रुचि के बीच 43वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आइएफएफआइ) की मंगलवार को यहा माडवी नदी के तट पर बसी गोवा की राजधानी में शुरुआत हो गई। अगले दस दिनों तक यह समारोह भारतीय सिनेमा के शताब्दी उत्सव के आगन में अपनी छटा बिखेरेगा। इस दौरान दर्शकों को 70 देशों की 162 बेहतरीन फिल्में तो देखने को मिलेंगी ही, साथ ही पहली बार अध्यात्म व दर्शन से जुड़े पहलुओं को उजागर करने वाली फिल्में देखने का मौका भी मिलेगा। सूचना व प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने उद्घाटन भाषण में कहा, सरकार भारत को फिल्म शूटिंग स्थल के तौर पर प्रचारित करने के लिए संपूर्ण नीति तैयार कर रही है। संयुक्त रूप से फिल्म निर्माण को बढ़ावा देने के लिए प्रस्तावित नीति के तहत भारत सरकार अन्य देशों के सात द्विपक्षीय समझौते करेगी जिसमें एक-दूसरे देशों की फिल्म कंपनियों को शूटिंग के लिए तमाम मदद उपलब्ध कराई जाएगी। तिवारी का यह बयान हाल के दिनों में कई विदेशी फिल्मकारों को भारत में शूटिंग की अनुमित नहीं मिलने के मामलों के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आइएफएफआइ के उद्घाटन समारोह में बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार मुख्य अतिथि थे। समारोह में सबसे पहले आग ली की फिल्म लाइफ आफ पाइ दिखाई गई। भारतीय पैनोरमा का उद्घाटन असम की बाधोन से होगा। समारोह में भारतीय सिनेमा के सौ साल के इतिहास और इसकी विकास यात्रा को दर्शाती प्रमुख फिल्मों का एक गुलदस्ता पेश किया जा रहा है। इसमें राजा हरिश्चंद्र, आवारा, प्यासा, मुगले-आजम, पाकीजा, गरम हवा, शोले, लगान और हाल में रिलीज बर्फी भी शामिल है। हाल में दिवंगत हुई भारतीय सिनेमा की प्रमुख हस्तियों यश चोपड़ा, देव आनंद, राजेश खन्ना और एके हंगल की फिल्मों का यहा श्रद्धाजलि स्वरूप प्रदर्शन किया जाएगा। समारोह के दौरान भारतीय व विश्व सिनेमा की कई हस्तिया भारतीय जनता और मीडिया से रू-ब-रू होंगी। इनमें नितिन देसाई, रुसुल पुकुट्टी, देवब्रत पेन, श्याम बेनेगल, अदूर गोपालाकृष्णन, डेविड वुमार्क शामिल हैं। समारोह के दौरान 84 विदेशी फिल्मों का पहली बार भारत में प्रदर्शन होगा। पहली बार मास्टरस्ट्रोक श्रेणी के तहत विश्वविख्यात निर्देशकों की 15 फिल्मों का प्रदर्शन भी होगा। इस सब के बावजूद आम जनता को अभी तक गोवा फिल्म महोत्सव के साथ जोड़ने में सरकार या आयोजकों को सफलता नहीं मिली है। टिकटों की एडवास बुकिंग नहीं के बराबर है। वैसे भी गोवा की स्थानीय जनता कभी भी फिल्मों की बहुत बड़ी प्रशसक नहीं रही है। फिल्म देखना यहा की संस्कृति में शामिल नहीं है।
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