मर्द से औरत बनने के बाद नाम बदलने की भी गुजारिश, HC पहुंचा मामला
याची का दावा है कि 19 वर्ष से महिला की तरह रह रही है। उसके कपड़े, आवाज व रहन-सहन महिला की तरह है। उसकी सेक्सुअल रीअसाइंगमेंट सर्जरी भी चल रही है।
नई दिल्ली। राजधानी के एक ट्रांसजेंडर (पुरुष से स्त्री) का सरकारी रिकार्ड में नाम व लिंग परिवर्तन करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्राालय व प्रकाशन नियंत्रक को 16 अगस्त तक पक्ष रखने का निर्देश दिया है।
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अदालत ने हाई कोर्ट रजिस्ट्री को याचिकाकर्ता की पहचान गुप्त रखने को कहा है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि उसकी लैंगिक पहचान के चलते उसके साथ भेदभाव किया जा रहा है। अदालत मंत्रालय व नियंत्रक के अधिकारियों अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दे।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसकी सेक्सुअल रीअसाइंगमेंट सर्जरी चल रही है। याची का दावा है कि 19 वर्ष की उम्र से वह महिला की तरह रह रही है। उसके कपड़े, आवाज व रहन-सहन महिला की तरह है। उसके पूर्व के सरकारी कागजों व अन्य पहचान पत्रों में उनकी पुरानी फोटो व लिंग दर्शाता है, जिससे सोसायटी में उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।
ऐसे में उन्होंने मंत्राालय व नियंत्रक कार्यालय से सरकारी कागजों में अपना नाम व लिंग परिवर्तन के लिए अर्जी दाखिल की। उन्हें अपनी सर्जरी की जाने के सर्टिफिकेट भी दिए, लेकिन उन्होंने इससे मना कर दिया। ऐसे में अदालत कागजों में उसका नाम व लिंग बदलने का आदेश जारी करें।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि राइटस ऑफ ट्रांसजेंडर बिल 2015 संसद में लंबित है। याची ने यह भी मांग की है कि अदालत सरकारी कागजों में लिंग परिवर्तन के लिए सेक्सुअल रिअसाइनमेंट सर्जरी अनिवार्यता रद करे। केंद्र सरकार को आदेश दिया जाए कि वह उसे उसे पुरुष से स्त्री ट्रांसजेंडर होने का सर्टिफिकेट जारी करे।