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लेखकों के सम्मान लौटाने के मुद्दे पर दिग्गी भी कूदे, मोदी के मंत्री को घेरा

आज लोकसभा सांसद व केंद्रीय मंत्री ने महेश शर्मा ने ट्वीटकर कहा कि उनके कहने का गलत मतलब निकाला गया। इस मुद्दे पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने महेश शर्मा पर हमला बोला है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2015 09:08 AM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2015 06:03 PM (IST)
लेखकों के सम्मान लौटाने के मुद्दे पर दिग्गी भी कूदे, मोदी के मंत्री को घेरा

नई दिल्ली। सांप्रदायिकता के जहर के प्रसार और देश में बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ अग्रणी लेखकों के बढ़ते विरोध-प्रदर्शन का मुद्दा गरमाता जा रहा है। केंद्रीय संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा के विवादित बयान के बाद अब वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह जोरदार हमला बोला है।

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एक दिन पहले ही केंद्रीय संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने दैनिक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था, 'अगर लेखक कह रहे हैं कि वे लिखने में अक्षम हैं। ऐसे में सबसे पहले वे लिखना बंद कर दें। इसके बाद हम देखेंगे।'

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह अहंकारी व्यक्ति का बयान है। उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा कि संस्कृति मंत्री का अपसंस्कृित वाला बयान है।

इस पर आज लोकसभा सांसद व केंद्रीय मंत्री ने महेश शर्मा ने सफाई दी है। उन्होंने ट्वीटकर कहा कि उनके कहने का गलत मतलब निकाला गया। मैंने लेखकों से कहा था कि वे अपनी आवाज सही जगह पर उठाएं। यह उनका चयन है कि वे लिखें या नहीं।

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एक दिन पहले ही केंद्रीय संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने पुरस्कार-सम्मान लौटाने वाले लेखकों पर ही जवाबी हमला किया था। गौतमबुद्धनगर से सांसद डॉ. महेश शर्मा ने लेखकों को घेरते हुए कहा कि लेखकों को ये सम्मान-पुरस्कार लेखकों ने ही दिए हैं।

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अब ऐसे में केंद्र सरकार क्या कर सकती है ? अगर लेखकों फिर भी अपने पुरस्कार वापस कर रहे हैं, तो यह उनकी मर्जी है। हम इसे स्वीकार करते हैं।

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पुरस्कार लौटाने वालों की संख्या बढ़ी

12 और लेखकों ने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का फैसला किया है। इस कड़ी में लेखक सलमान रश्दी ने अपने ट्वीट में कहा कि मैं नयनतारा सहगल और कई अन्य लेखकों के विरोध प्रदर्शन का समर्थन करता हूं। भारत में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए खतरनाक समय।

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गौरतलब है कि जवाहर लाल नेहरू की भांजी नयनतारा सहगल उन शुरुआती लोगों में थीं जिन्होंने असहमति की आवाज उठाने पर लेखकों और अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ताओं पर बार-बार हमले को लेकर अकादमी की चुप्पी के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया था।

कश्मीरी लेखक गुलाम नबी खयाल, उर्दू उपन्यासकार रहमान अब्बास, कन्नड़ लेखक और अनुवादक श्रीनाथ डी एन ने कहा कि वे अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा रहे हैं।

23 अक्टूबर को कार्यकारिणी बोर्ड की बैठक

कई जगहों से निशाने पर आने के बाद अकादमी ने 23 अक्तूबर को कार्यकारिणी बोर्ड की एक बैठक बुलाई है। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि संस्थान भारत के संविधान में वर्णित मुख्य धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को लेकर प्रतिबद्ध है।


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