Delhi MCD News: अस्तित्व में आया एकीकृत दिल्ली नगर निगम, अब MCD की आय बढ़ाने पर होगा जोर
MCD News मौजूदा हालात में एमसीडी को अपने राजस्व को तेजी से बढ़ाना और खर्चों में कमी लाने पर जोर देना होगा। इस बीच यह भी ध्यान रखा जाना होगा कि दिल्लीवासियों पर करों का अतिरिक्त बोझ न पड़ने पाए।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का एकीकृत स्वरूप रविवार को अस्तित्व में आ गया। विशेष अधिकारी अश्वनी कुमार और आयुक्त ज्ञानेश भारती के पदभार संभालते ही तीन हिस्सों में विभाजित निगम बीते समय की बात हो गई। पदभार संभालते ही विशेष अधिकारी ने निगम अधिकारियों के साथ बैठक लेते हुए स्पष्ट निर्देश दिए कि एमसीडी को धनराशि के लिए आत्मनिर्भर बनाया जाना है, ताकि उसे धनराशि के लिए किसी की ओर देखना न पड़े।
विशेष अधिकारी का यह रुख स्वागतयोग्य है और ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए कि एमसीडी इस दिशा में ठोस काम करेगी। इससे जहां दिल्ली में विकास कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाया जा सकेगा, वहीं कर्मचारियों को वेतन व सेवानिवृत्त कर्मियों को पेंशन में हो रही देरी से निजात मिल सकेगी। अब तक तीनों नगर निगमों को 7200 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता रहा है, जबकि उनका वेतन पर ही खर्च नौ हजार करोड़ रुपये का है।
ऐसे में दिल्ली में विकास योजनाएं संचालित करने के लिए धनराशि की व्यवस्था करना एमसीडी के लिए किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है। मौजूदा हालात में एमसीडी को अपने राजस्व को तेजी से बढ़ाना और खर्चों में कमी लाने पर जोर देना होगा। इस बीच यह भी ध्यान रखा जाना होगा कि दिल्लीवासियों पर करों का अतिरिक्त बोझ न पड़ने पाए।
यह बेहद निराशाजनक है कि नगर निगम की कर वसूली प्रक्रिया बुरी तरह विफल साबित रही है। राजधानी में 50 लाख से ज्यादा मकान तो अनियोजित कालोनियों में ही बताए जाते हैं, जिनसे कर वसूला नहीं जा पा रहा है, जबकि इन कालोनियों से इतर भी बड़ी संख्या में मकानों से कर वसूली नहीं हो पा रही है। एमसीडी को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना होगा।
इस जैसे और भी क्षेत्रों में कदम उठाने होंगे, जहां से अब तक निगम को राजस्व नहीं मिल पा रहा है। पहले से कर दे रही जनता पर कर का अतिरिक्त बोझ डाले बिना नए करदाताओं से कर वसूली की जानी चाहिए, ताकि निगम का खजाना भी भर सके और जनता को परेशानी भी न होने पाए।