डायबिटीज में भी आयुर्वेद का जादू, 100 करोड़ के कारोबार के करीब पहुंची दवा
उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही यह सौ करोड़ का कारोबार करने वाली भारत में विकसित पहली दवा बन जाएगी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की ओर से डायबिटीज के इलाज के लिए कुछ ही महीने पहले उतारी गई आयुर्वेदिक दवा ‘बीजीआर-34’ बेहद कामयाब साबित हो रही है। इसके उपयोग से एलोपैथिक इलाज पर मरीज की निर्भरता धीरे-धीरे कम होती जाती है।
उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही यह सौ करोड़ का कारोबार करने वाली भारत में विकसित पहली दवा बन जाएगी। सीएसआइआर के महानिदेशक गिरीश साहनी कहते हैं कि शुरू में इसे पहले से चल रही एलोपैथिक दवा के साथ लेना होता है।
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यह पहले से चल रहे इलाज को ज्यादा कारगर तो बनाती ही है, साथ ही मधुमेह से लड़ने के लिए शरीर की अपनी क्षमता को भी विकसित करती है। इससे एलोपैथिक इलाज पर निर्भरता कम होती जाती है।
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सीएसआइआर की दो प्रयोगशालाएं
राष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान संस्थान (एनबीआरआइ) और केंद्रीय औषधि एवं सगंध पौधा संस्थान (सीआइएमएपी) की ओर से विकसित की गई इस दवा में आयुर्वेद में बताई गई जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया गया है।
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सीएसआइआर ने कुछ महीने पहले ही एमिल फार्मा के साथ मिलकर इसे बाजार में उतारा है। दुनिया भर में मधुमेह के सबसे ज्यादा मरीज भारत में ही हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, छह करोड़ वयस्कों को यह समस्या है और इनकी संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है।
सीएसआइआर का कहना है कि बाजार में उतारने से पहले इसके प्रभाव और सुरक्षा का वैज्ञानिक अध्ययन किया गया है। देश में तैयार की गई मधुमेह की यह आयुर्वेदिक दवा टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों में बेहद प्रभावी पाई गई है।