और निर्दयी बल्लेबाज बने विराट कोहली
भारतीय टीम ने बुधवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए वनडे मैच में लक्ष्य का पीछा करते हुए अपनी सबसे बड़ी जीत हासिल की। इस मैच में भले ही मैन ऑफ द मैच 141 रनों की पारी खेलने वाले रोहित शर्मा रहे हों, लेकिन जब भी 300 से ज्यादा रनों के लक्ष्य का पीछा करने की बात आती है तो उसमें सबसे ज्यादा योगदान विराट कोहली का रहा।
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली भारतीय टीम ने बुधवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए वनडे मैच में लक्ष्य का पीछा करते हुए अपनी सबसे बड़ी जीत हासिल की। इस मैच में भले ही मैन ऑफ द मैच 141 रनों की पारी खेलने वाले रोहित शर्मा रहे हों, लेकिन जब भी 300 से ज्यादा रनों के लक्ष्य का पीछा करने की बात आती है तो उसमें सबसे ज्यादा योगदान विराट कोहली का रहा है।
दिल्ली का यह बल्लेबाज गेंदबाजों के लिए दिन पर दिन निर्दयी होता जा रहा है। 300 रनों से ज्यादा के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की पिछली छह जीतों में इस बल्लेबाज ने चार शतक लगाए हैं। उन्होंने इन छह जीतों में 183, नाबाद 133, 35, 00, 107 और नाबाद 100 रनों की पारियां खेली हैं। इसके अलावा लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की दो सबसे बड़ी जीतों में इस बल्लेबाज ने विपक्षी गेंदबाजों का कत्ले आम कर डाला। इसकी बदौलत भारत ने 330 और 362 रनों के लक्ष्य को 50 ओवर से पहले ही हासिल कर लिया।
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बुधवार को जयपुर में 52 गेंदों में नाबाद शतक लगाने वाले विराट का ही करिश्मा था कि भारत ने इस मैच में 6.3 ओवर शेष रहते जीत हासिल की। यही नहीं विराट ने इस मैच में अपना अर्धशतक सिर्फ 27 गेंदों में पूरा किया। यह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किसी भारतीय बल्लेबाज का दूसरा सबसे तेज अर्धशतक है। इससे पहले कंगारुओं के खिलाफ कपिल देव ने राजकोट में 26 गेंदों में अर्धशतक लगाया था। कोहली का यह शतक ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किसी बल्लेबाज का सबसे तेज शतक है। इससे पहले यह रिकॉर्ड न्यूजीलैंड के क्रेग मैकमिलन के नाम था, जिन्होंने 2007 में हैमिल्टन में 67 गेंदों में यह कारनामा किया था।
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इससे पहले भारत ने मीरपुर में 18 मार्च, 2012 को पाकिस्तान के खिलाफ लक्ष्य का पीछा करते 330 रन बनाकर अपनी सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। इस मैच में विराट ने 183 रनों की पारी खेली थी। विराट ने भारत की दो सबसे बड़ी जीतों में जिस तरह से विपक्षी टीमों के गेंदबाजों की बखियां उधेड़ी हैं उससे तो लगता है कि विराट के बल्ले से आगे भी कई बड़ी पारियां देखने को मिलेंगी। इन साइड आउट, क्रीज से बाहर निकलकर गेंदबाज के सिर केऊपर से छक्का, बैक लिफ्ट पर जाकर छक्का। यह सब ऐसे अविस्मरणीय शॉट हैं जो उन्हें गेंदबाजों के लिए और निर्दयी बनाते हैं।
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'विराट की पारी अविस्मरणीय थी। वह पहले भी ऐसा कारनामा कर चुके हैं। वह जिस तरह से खेल रहे थे उसका हमारे गेंदबाजों के पास उन्हें रोकने का कोई उपाय नहीं था।'
-जॉर्ज बेली, ऑस्ट्रेलियाई कप्तान
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