अमेरिका वीजा नियमों को लेकर परेशान नहीं टीसीएस: राजेश गोपीनाथन
टीसीएस के मुखिया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से वीजा व्यवस्था में प्रस्तावित बदलाव से परेशान नहीं हैं।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। देश की दिग्गज आइटी फर्म टीसीएस के मुखिया राजेश गोपीनाथन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से वीजा व्यवस्था में प्रस्तावित बदलाव से परेशान नहीं हैं। अलबत्ता उन्होंने सभी के लिए एक जैसी नीति के साथ समान अवसर उपलब्ध कराने की मांग की है। गोपीनाथन ने इसी हफ्ते कंपनी के एमडी एवं सीईओ के तौर पर कार्यभार संभाला है। उन्होंने एन चंद्रशेखरन की जगह ली है, जो 21 फरवरी को टाटा समूह के चेयरमैन बने हैं।
गोपीनाथन ने कहा, ‘हमें परेशानी नहीं हैं। हम केवल एक जैसे मानक देखना चाहेंगे। यानी नीति सभी के लिए निष्पक्ष व समान हो। हम समान अवसर मुहैया कराने की मांग कर सकते हैं। जब तक खेल के नियम एक जैसे होंगे, हमें अपनी प्रतिस्पर्धा क्षमता पर पक्का भरोसा है। नीति की बातें सामने आती हैं, तभी किसी को उससे राजनीतिक तौर पर निपटने की जरूरत होगी।’
अमेरिका की ओर से वीजा व्यवस्था में प्रस्तावित भेदभावपूर्ण बदलाव को लेकर चिंता है। इसके तहत एच1-बी वीजा के तहत कंपनियों की ओर से अमेरिका भेजे जाने वाले भारतीय पेशेवरों की सैलरी को दोगुना करने का प्रस्ताव है। इस प्रस्ताव के कारण सॉफ्टवेयर उद्योग के शीर्ष संगठन नैस्कॉम ने पहली बार मई तक के लिए सालाना अनुमान की घोषणा टाल दी है। संगठन का प्रतिनिधिमंडल ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के साथ कामकाजी वीजा और दोनों देशों के बीच कुशल कामगारों की आवाजाही जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए फिलहाल वाशिंगटन में है। वीजा व्यवस्था में किसी प्रकार के बदलाव से कंपनियों की लागत बढ़ेगी। इससे 110 अरब डॉलर वाले देश के आउटसोसिर्ंग उद्योग के लिए कुशल पेशेवरों की कमी होगी। भारत के कुल आइटी निर्यात राजस्व में अमेरिका का 60 फीसद योगदान है।
इंफोसिस ने शेयरधारकों से मांगी अनुमति
देश की दूसरी सबसे बड़ी आइटी कंपनी इंफोसिस ने नया आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन (एओए) अपनाने को शेयरधारकों से मंजूरी मांगी है। नए एओए में कंपनी द्वारा शेयर बायबैक और स्वतंत्र निदेशक नियुक्त करने का प्रावधान शामिल किया गया है। इंफोसिस का निदेशक बोर्ड पहले ही नए एओए को अंगीकार करने की अनुमति दे चुका है। इसे नए कंपनी कानून के अनुसार तैयार किया गया है। इंफोसिस ने कहा है कि कंपनी अपने ही इक्विटी शेयर या अन्य प्रतिभूतियों को नए एओए में बायबैक की व्यवस्था के तहत खरीद सकती है। कंपनी के पास फिलहाल 35,697 करोड़ रुपये (करीब 5.25 अरब डॉलर) की नकदी है। निवेशकों का दबाव है कि या तो कंपनी अपने शेयरों की पुनर्खरीद करे या फिर ज्यादा से ज्यादा लाभांश दे।
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