पहले सुधरें पब्लिक सेक्टर बैंकों के हालात, फिर हो बिक्री पर बात: अरुण जेटली
सरकार का मानना है कि पब्लिक सेक्टर बैंकों की बिक्री से पहले उनकी सेहत सुधारनी होगी
नई दिल्ली (पीटीआई)। केंद्र सरकार सरकार सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 52 फीसदी तक घटाएगी, हालांकि इससे पहले इन बैंको की सेहत में सुधार किया जाएगा। इस प्रक्रिया के जरिए जो भी पैसा आएगा उसका इस्तेमाल बैंकों की पूंजी बढ़ाने में किया जाएगा। यह बात केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दी है।
जेटली ने उम्मीद जताई कि फंसे कर्जों (एनपीए) की बढ़ती समस्या के समाधान के लिए सरकार की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को दिए गए नए अधिकार के बाद इसका हल निकलेगा। आरबीआई को अधिकार दिया जा रहा है कि वह बैंकों को ऋण चूककर्ताओं के खिलाफ दिवाला शोधन कानून के तहत कार्रवाई करने का आदेश दे सके। केंद्रीय बैंक गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों की वसूली के लिए बैंकों को सलाह देने वाली समितियां भी बना सकता है। आपको बता दें कि सरकार ने एनपीए की समस्या से निपटने के लिए आरबीआई को ज्यादा अधिकार दिए हैं।
जेटली ने कहा, “हमारे पास एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके तहत हम बैंकों के पुनर्पूंजीकरण का समर्थन कर रहे हैं, जहां सरकार से अधिक धनराशि की आवश्यकता है, हम उस पर विचार करने के लिए काफी इच्छुक होंगे। लेकिन एक बार बैंकों के स्वास्थ्य में सुधार होने पर, हमने यह भी घोषणा की है कि सरकार बैंकों में अपनी इक्विटी को 52 फीसद तक लाने के लिए तैयार हो जाएगी।”
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