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Bihar Politics : नेताजी घर में हारे.. संसद पहुंचे बिहार के सहारे, बुद्ध की धरती पर अपने-पराये का भेद नहीं

Bihar Politics बिहार को बुद्ध की धरती कहा गया है यह लोकतंत्र की जननी भी है। महात्मा गांधी की यह कर्मभूमि सियासी हलचल को लेकर हमेशा से चर्चा में रहती है। बहरहाल लोकसभा चुनाव के मौसम में यहां से संसद तक पहुंचे नेताओं का जिक्र छिड़ना लाजिमी है। इन नेताओं की फहरिस्त में आचार्य जेबी कृपलानी मधु लिमये शरद यादव जैसे नाम शामिल हैं।

By Vyas Chandra Edited By: Yogesh Sahu Published: Tue, 23 Apr 2024 05:17 PM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2024 05:17 PM (IST)
Bihar Politics : नेताजी घर में हारे.. संसद पहुंचे बिहार के सहारे, बुद्ध की धरती पर अपने-पराये का भेद नहीं

व्यास चंद्र, पटना। रग-रग में राजनीति बसाने वाली बिहार की धरती ने कभी अपने और बाहरी में भेद नहीं किया। इसी का नतीजा है कि देश के कई कद्दावर नेताओं की सियासत यहीं सिंचित और प्रफुल्लित हुई। गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के नेताओं को बिहार ने संसद पहुंचाया।

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आचार्य जेबी कृपलानी, मधु लिमये, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, मीनू मसानी, जार्ज फर्नांडिस, शरद यादव ऐसे प्रमुख नाम हैं, जिन्होंने बिहार में विजयश्री की माला पहनी। इनके अलावा भी कई ऐसे नेता रहे जो बिहार से जीते।

प्रख्यात गांधीवादी नेता आचार्य जेबी कृपलानी का हैदराबाद के सिंध (वर्तमान पाकिस्तान) में जन्म हुआ था। बाद में वे गुजरात में रहे। गांधीवादी विचारधारा के प्रतिपादक कृपलानी की पत्नी सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री रहीं।

आचार्य कृपलानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे, लेकिन बाद में कांग्रेस छोड़ दी। यूपी के फैजाबाद में चुनाव हार गए, लेकिन प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर वे भागलपुर से उपचुनाव जीते। बाद में सीतामढ़ी से भी 1957 में सांसद निर्वाचित हुए।

अनुभव और ज्ञान से मिला सम्मान

महाराष्ट्र के पुणे निवासी कद्दावर समाजवादी नेता, डा. राममनोहर लोहिया के अनुयायी मधु लिमये को भी बिहार ने खूब सम्मान दिया। वे चार-चार बार यहां से सांसद निर्वाचित हुए। मुंगेर और बांका से उन्होंने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

खास बात यह कि उन्होंने दो बार अपने राज्य के बंबई (अब मुंबई) से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली। जब वे बिहार की धरती पर आए, तो मुंगेर और बांका से जीत दर्ज की। गोवा को पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त कराने में उनकी अहम भूमिका रही। उन्हें चलता-फिरता संसद की उपाधि दी गई थी।

बिहार से चरम पर पहुंची शरद की राजनीति

समाजवादी नेता और देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित कर चुके चंद्रशेखर भी बिहार के महराजगंज से 1989 में लोकसभा सदस्य चुने गए थे। उत्तर प्रदेश के बलिया में जन्में चंद्रशेखर प्रखर वक्ता और मजबूत व्यक्तित्व के स्वामी थे।

मध्य प्रदेश के रहने वाले शरद यादव की राजनीति भी बिहार से चरम पर पहुंची। वे मधेपुरा से चार बार लोकसभा चुनाव जीते। मधेपुरा में उनके और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का मुकाबला खूब सुर्खियां बटोरता था।

अशोक और जार्ज बिहार से पहुंचे दिल्ली

मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट ऐसी है, जिससे जार्ज फर्नांडिस का नाम प्रमुखता से जुड़ा है। कर्नाटक के मंगलुरू निवासी फर्नांडिस के अलावा अशोक मेहता भी यहां से सांसद निर्वाचित हुए थे। अशोक मेहता भावनगर गुजरात के रहने वाले थे। वे 1957 में मुजफ्फरपुर से सांसद चुने गए थे।

स्वतंत्रता सेनानी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के पहले अध्यक्ष, केंद्र में मंत्री रह चुके मेहता, योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे। कद्दावर श्रमिक नेता के रूप में प्रतिष्ठित जार्ज फर्नाडिस को भी मुजफ्फरपुर ने चार बार सांसद बनाया। हालांकि, वे बिहार से कुल छह बार विजयी हुए। मुजफ्फरपुर के अलावा बांका और नालंदा से भी वे सांसद चुने गए।

मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था के समर्थक मसानी भी बिहार से जीते

मिनोचर रुस्तम उर्फ मीनू मसानी मूल रूप से महाराष्ट्र के थे। बंबई नगरपालिका से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले मसानी तत्कालीन बिहार के रांची पूर्वी सीट से 1957 से लेाकसभा चुनाव जीते। कभी समाजवादी रहे मसानी बाद में मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था के समर्थक बन गए थे। वे स्वतंत्रता संग्राम में भी शामिल रहे।

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