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Naxalite इलाकों में पलट रहा 'नंबर गेम', अब मतदाताओं में दहशत नहीं; लगातार बढ़ रहा मतदान प्रतिशत

Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज गई है। बिहार में बीते एक दशक में नक्सल प्रभावित इलाकों में मतदान प्रतिशत का आंकड़ा बदला है। पहले के मुकाबले अब अधिक संख्या में लोग वोट करने के लिए घर से बाहर निकल रहे हैं। लोकतंत्र की जननी कही जाने वाली बिहार की धरती के लिए यह बदलाव काफी मायने रखता है।

By BHUWANESHWAR VATSYAYAN Edited By: Yogesh Sahu Published: Thu, 21 Mar 2024 06:50 PM (IST)Updated: Thu, 21 Mar 2024 06:50 PM (IST)
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अब वोटरों में दहशत नहीं, लगातार बढ़ रहा मतदान प्रतिशत। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। यह मिथक अब टूट रहा है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में वोटर दहशत में मतदान केंद्र पर पहुंचने में परहेज करता है।

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विगत एक दशक यानी दो लोकसभा चुनाव के दौरान ताे यह बात साफ-साफ दिख रही है। नक्सल प्रभावित लोकसभा क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है।

लोग कतार लगाकर मतदान करते दिख रहे हैं। केवल नवादा और जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र ही है, जहां 2014 के मुकाबले 2019 में मतदान में कमी दिखी। नवादा में 2.45 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। जहानाबाद में लगभग 6 प्रतिशत कम वोटिंग हुई 2019 में।

औरंगाबाद में 2019 में 53.67 फीसद पर पहुंचा मतदान

नक्सली सक्रियता के लिए चर्चित औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के आंकड़े यह बताते हैं कि 2009 के आम चुनाव में वहां 43.47 प्रतिशत वोट पड़े। कुल 5,98,309 वोटरों ने मतदान किया था।

इसके बाद जब 2014 का आम चुनाव आया तब औरंगाबाद में मतदान का प्रतिशत बढ़कर 51.19 प्रतिशत हो गया। तब 7,86,274 लोगों ने मतदान किया।

वर्ष 2019 के चुनाव में भी यहां 2014 के मुकाबले अधिक वोट पड़े। वर्ष 2019 में यहां वोटिंग का प्रतिशत 53.67 प्रतिशत रहा। कुल 9,35, 469 लोगों ने वोट डाले।

गया लोकसभा क्षेत्र में भी वोटिंग का प्रतिशत बढ़ा

गया (सुरक्षित) लोकसभा क्षेत्र को भी नक्सल प्रभावित माना जाता रहा है। इस क्षेत्र में भी एक दशक के भीतर वोटिंग में बढ़ोतरी हुई है।

वर्ष 2014 के आम चुनाव में यहां 53.92 प्रतिशत यानी 8,09,587 लोगों ने मतदान किया। यह आंकड़ा 2019 के आम चुनाव में बढ़ गया।

उस आम चुनाव में गया लोकसभा क्षेत्र में 56.18 प्रतिशत वोटरों ने मतदान किया। संख्या के हिसाब से देखें ताे वोट देने वालों में 9,57, 654 लोग शामिल थे।

दस वर्षों में जमुई में भी वाेटिंग का पैटर्न बदला

नक्सली वारदातों के लिए जमुई लोकसभा क्षेत्र की चर्चा होती रही है। पर इस लोकसभा क्षेत्र में भी मतदाता निर्भीक हो रहे। वर्ष 2014 के आम चुनाव में यहां मतदान 50.01 प्रतिशत ही हुआ। कुल 7,75,650 लोगों ने वोट किए।

2019 के आम चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़कर 55.25 प्रतिशत हो गया। कुल 9,49,561 लोगों ने वोट किया। वर्ष 2014 की तुलना में मतदान के प्रतिशत में 5.24 प्रतिशत का इजाफा हुआ।

नवादा में मतदाताओं की बेरुखी के आंकड़े

नवादा लोकसभा क्षेत्र भी नक्सल प्रभाव वाले क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। इस लोकसभा क्षेत्र में मतदाता वोटिंग को लेकर पिछले यानी 2019 के लोकसभा चुनाव में थोड़ा उदासीन दिखे। वर्ष 2014 में 52.18 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया जो 2019 में घटकर 49.73 प्रतिशत पर पहुंच गया।

जहानाबाद में भी मतदान को लेकर थोड़ी अरुचि दिखी

जहानाबाद लाेकसभा क्षेत्र में मतदान को लेकर दो चुनावों का अगर तुलनात्मक अध्ययन करें ताे मतदाताओं की अरुचि दिखती है। वर्ष 2014 के आम चुनाव में 57.04 प्रतिशत वोट यहां पड़े, जो 2019 में 51.76 प्रतिशत हो गई।

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