Chirag Paswan: चिराग इस बार बदल देंगे पुराना रिवाज? टिकट की रेस में ये दो दिग्गज उम्मीदवार, ऐसा रहा है पिछला रिकॉर्ड
Bihar Politics चिराग पासवान इस बार परिवारवाद से ऊपर उठ सकते हैं। इस चुनाव में टिकट की रेस में दिग्गज उम्मीदवार हैं। अगर इतिहास की बात करें लोजपाका रिकॉर्ड काफी डराने वाला है। ऐसा माना जाता है कि वे लोग बड़ी किस्मत वाले होते हैं जिन्हें लोजपा की टिकट पर दूसरी बार चुनाव लड़ने का मौका मिलता है। कुछ ऐसा है पार्टी का इतिहास
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Political News In Hindi लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) का यह रिकार्ड डराने वाला है। इसके संस्थापक राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan) और उनके परिवार के सदस्यों छोड़ कर किसी और को लगातार दो लोकसभा चुनाव लड़ने का अवसर अपवाद में ही मिला है। अपवाद भी एक ही है।
खगड़िया लोकसभा क्षेत्र (Khagaria Lok Sabha Seat) से दो बार जीते चौधरी महबूब अली कैसर तीसरी बार उम्मीदवारी को लेकर उत्सुक हैं और उत्साहित भी। इनके अलावा पासवान परिवार से अलग के जितने उम्मीदवार लोकसभा जीते, उन्हें दोबारा अवसर नहीं मिला।
2009 में लोजपा आठ सीटों पर लड़ी
लोजपा 2003 में बनी। 2004 का लोकसभा चुनाव उसके लिए पहला था। हाजीपुर से रामविलास पासवान, समस्तीपुर से उनके अनुज रामचंद्र पासवान, बलिया से सूरजभान और सहरसा से रंजीता रंजन की जीत हुई। 2009 में लोजपा आठ सीटों पर लड़ी। सब पर हार हुई।
2004 के चुनाव में जीते लोजपा के दो सांसद सूरजभान और रंजीता रंजन लोजपा टिकट पर नहीं लड़ पाए। सूरजभान की लोकसभा सीट बलिया का अस्तित्व समाप्त हो गया था। उधर रंजीता रंजन सुपौल से कांग्रेस उम्मीदवार बन कर पराजित हुईं। उस चुनाव में रामविलास पासवान भी हाजीपुर से हार गए थे।
आरा से हारे रामा सिंह को 2014 में वैशाली से लाेजपा का टिकट मिला। वह जीते। लेकिन, 2019 के चुनाव में लोजपा से बेटिकट हो गए।
2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर
2009 में लोजपा टिकट पर चुनाव हारे प्रकाश झा (पूर्वी चंपारण), जाकिर हुसैन खान (अरिरया), भगवान लाल साहनी (मुजफ्फरपुर) और सतीश कुमार (नालंदा) दोबार कहीं से लोजपा के उम्मीदवार नहीं बने। 2014 में नालंदा से डॉ. सत्यानंद शर्मा लोजपा से उम्मीदवार बने। हारे। 2019 में उन्हें टिकट नहीं मिला।
अभी 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी चल रही है। बीच में लोजपा दो हिस्से में बंट गई। लोजपा(रा.) और रालोजपा। करीब चार साल तक साथ रखने के बाद राजग ने पशुपति कुमार पारस की अगुआई वाला रालोजपा को बाहर कर दिया। अब चिराग पासवान की लोजपा(रा.) राजग के साथ है। पार्टी टूटी। मगर रिवाज टूटेगा कि नहीं, इसकी प्रतीक्षा हो रही है।
ये दो प्रत्याशी चिराग के संपर्क में
2019 में जीते छह सांसद अब दो हिस्से में बंटे हैं। पशुपति कुमार पारस (Pashupati Paras), प्रिंस राज और चंदन सिंह एक साथ हैं। चिराग के टिकट पर चुनाव लड़ने का प्रयास महबूब अली कैसर (खगड़िया) और वीणा देवी (वैैशाली) कर रही हैं।
दोनों की कई बार चिराग पासवान (Chirag Paswan) से मुलाकात हो चुकी है। दोनों सीटों पर इनके अलावा कई और दावेदार हैं। कुल मिलाकर 2019 के चुनाव में लोजपा टिकट पर जीते छह में से तीन सांसद पुरानी पार्टी से अलग चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
चिराग भी रिवाज कायम रखने की राह पर है। उन्हें पांच सीटें दी गई हैं। इनमें तीन सुरक्षित हैं। इनमें से एक पर चिराग स्वयं लड़ेंगे। दो अन्य के उम्मीदवारों को देखना दिलचस्प होगा। बाकी दो सुरक्षित सीटें जमुई और समस्तीपुर परिवार के किसी सदस्य के काम आएंगी या रिवाज टूट जाएगा।
इन दोनों के लिए परिवार और परिवार से बाहर के उम्मीदवार लाइन में हैं। ये उम्मीदवारी के लिए निर्धारित नियम एवं शर्तें पूरी करने की पात्रता रखने का दावा भी कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें-