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ब्रिटेन के कोरोना स्ट्रेन से ज्यादा खतरनाक है दक्षिण अफ्रीका में मिला नया वैरियंट: ब्रिटिश स्वास्थ्य सचिव

ब्रिटेन के स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक(Matt Hancock) ने कहा है कि दक्षिण अफ्रीका में मिला कोरोना वायरस का नया रूप ब्रिटेन के नए कोरोना वैरियंट के मुकाबले ज्यादा खतरनाक और संक्रामक है। उन्होंने इस पर चिंता जताई है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Mon, 04 Jan 2021 03:15 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jan 2021 03:51 PM (IST)
ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के नए रूप मिले हैं। (फोटो: रायटर)

लंदन, रायटर। Coronavirus New Variant, ब्रिटेन के स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक(Matt Hancock)  ने सोमवार को कहा कि दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस का नया वैरियंट(नया रूप) ब्रिटेन के नए कोरोना स्ट्रेन से ज्यादा खतरनाक और संक्रामक है। उन्होंने एक ब्रिटिश रेडियो चैनल को बताया कि  मैं अविश्वसनीय रूप से दक्षिण अफ्रीकी वैरियंट के बारे में चिंतित हू  और इसलिए हमने दक्षिण अफ्रीका से सभी उड़ानों को प्रतिबंधित करने के लिए कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण समस्या है और यह ब्रिटेन के नए कोरोना वैरियंट की तुलना में कहीं अधिक बड़ी समस्या है।

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इस बीच एक मीडिया रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि ब्रिटेन के वैज्ञानिकों को आशंका है कि कोरोना वैक्सीन दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना के नए वैरियंट के खिलाफ कारगर रहेगी। ब्रिटिश वैज्ञानिकों को इस बात का पूरा भरोसा नहीं है कि कोरोना वैक्सीन दक्षिण अफ्रीका में पाए जाने वाले कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन पर काम करेगी। 

सरकार के एक वैज्ञानिक सलाहकार के अनुसार ब्रिटिश स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक के दक्षिण अफ्रीकी कोरोना वैरियंट के बारे में अविश्वसनीय चिंता का कारण ये है कि वे उतने आश्वस्त नहीं हैं कि वैक्सीन इसके खिलाफ उतनी प्रभावी होगी जितना कि ब्रिटेन के कोरोना वैरियंट के खिलाफ है।

ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका दोनों जगह बीते महीने कोरोना वायरस के नए वैरियंट के मामले सामने आए हैं। जिससे यहां कोरोना के नए मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है। ब्रिटेन में इसको देखते हुए सख्त प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं। 

क्यों ज्यादा संक्रामक है दक्षिण अफ्रीकी वैरियंट ?

वैज्ञानिकों का कहना है कि नया दक्षिण अफ्रीकी वैरियंट देश में आए अन्य लोगों से अलग है क्योंकि इसमें महत्वपूर्ण स्पाइक प्रोटीन में कई परिवर्तन हैं जो वायरस मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिए उपयोग करता है। वैज्ञानिकों को कहना है कि यह एक उच्च वायरल लोड के साथ भी जुड़ा हुआ है, जिसका अर्थ है कोरोना मरीजों के शरीर में वायरस कणों की उच्च एकाग्रता, जो संभवतः संक्रमण के उच्च स्तर में योगदान करती है।


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