इस्लामाबाद, जेएनएन। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का लंबी बीमारी के चलते रविवार को निधन हो गया है। उन्होंने दुबई के एक अस्पताल में 79 साल की उम्र में अंतिम सांस ली, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुशर्रफ पाकिस्तान के पहले ऐसे सैन्य शासक थे जिन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी।
बता दें कि 17 दिसंबर, 2019 में कोर्ट ने मुशर्रफ को देशद्रोह के मामले में फांसी की सजा सुनाई थी। ऐसे में हम आपको मुशर्रफ के पतन की उन सात वजहों के बारे में बताने वाले हैं, जिसकी वजह से वहां की आवाम में उनके खिलाफ रोष था।
1. लाल मस्जिद ऑपरेशन
जुलाई 2007 में राजधानी इस्लामाबाद में लाल मस्जिद में उग्रवादियों और चरमपंथियों को हटाने के नाम पर ऑपरेशन चलाया गया। इसमें मस्जिद के अंदर 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे। इससे इस्लामिक कट्टरपंथी नाराज हो गए। परिणामस्वरूप देशव्यापी आतंकवादी हमले हुए। इस ऑपरेशन के बाद काफी जनता मुशर्रफ के खिलाफ हो गई।
2. चीफ जस्टिस की बर्खास्तगी
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार मुहम्मद चौधरी को 9 मार्च, 2007 को बर्खास्त कर दिया। उदारवादी न्यायाधीश को हटाने पर वकीलों ने बड़े स्तर पर आंदोलन किया। मुशर्रफ ने इस मुद्दे पर उदारवादियों का समर्थन भी खो दिया। न्यायाधीश को बाद में बहाल कर दिया गया लेकिन मुशर्रफ पूर्व में उठाए कदम से कभी नहीं उबर पाए।
3. देश में आपातकाल
मुशर्रफ ने 3 नवंबर, 2007 को देश में आपातकाल लगाया, जो 15 दिसंबर, 2007 तक चला। कार्रवाई से जनता उनके जबरदस्त खिलाफ हो गई।
4. बुगती की हत्या
पूर्व मुख्यमंत्री और वृद्ध राष्ट्रवादी और आदिवासी अकबर खान बुगती की हत्या भी बड़ी वजह रही। मुशर्रफ ने बलूचिस्तान प्रांत में एक छोटे से विद्रोह को दबाने के लिए एक सैन्य अभियान शुरू किया, लेकिन इससे बुगती उनके विरोध में खड़े हो गए। बुगती ने संघर्ष का नेतृत्व किया लेकिन 26 अगस्त, 2006 को उनकी हत्या कर दी गई। इससे हालात और खराब हो गए। मुशर्रफ पर उनकी हत्या का आरोप लगाया गया था और उन पर केस चला।
5. भुट्टो की हत्या
दो बार की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की रावलपिंडी में 27 दिसंबर, 2007 को आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी। संयुक्त राष्ट्र की एक टीम ने जांच के दौरान मुशर्रफ के नेतृत्व वाली सरकार पर उन्हें उचित सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहने का आरोप लगाया। मुशर्रफ को बाद में उनकी हत्या का आरोपित भी बनाया गया था। वह इस मामले में फरार रहे।
6. कराची में मौतें
12 मई, 2007 को कराची के इतिहास में एक काला दिन माना जाता है, क्योंकि शहर में हुई हिंसा में कम से कम 48 लोग मारे गए थे जब अपदस्थ मुख्य न्यायाधीश चौधरी को कराची का दौरा करना था। मुशर्रफ पर हिंसा का आरोप लगाया गया था, क्योंकि उन्होंने जज के कराची जाने की हिम्मत करने पर जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। इस शहर पर मुशर्रफ की सहयोगी मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट पार्टी का नियंत्रण था और इसका कथित हिंसा का इतिहास रहा है।
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7. अमेरिका का पक्ष लेना
आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका का साथ देने के मुशर्रफ के फैसले को भी पाकिस्तान में कई लोग हिंसा और उग्रवाद का मुख्य कारण मानते हैं।