पाकिस्तान सीनेट में पास हुआ बिल, अब आतंकवाद निरोधी अदालतों में चलेगा बच्चों के अपहरण का मुकदमा
पाकिस्तान संसद ने एक विधेयक पारित किया है जो आतंकवाद निरोधी अदालतों (एटीसी) में बाल अपहरण के मुकदमों को चलाने का रास्ता साफ हुआ है।
इस्लामाबाद, आइएएनएस। पाकिस्तान संसद ने एक विधेयक पारित किया है जो आतंकवाद निरोधी अदालतों (एटीसी) में बाल अपहरण के मुकदमे चलाए जाएंगे। इसी के साथ लापता और अपहृत बच्चों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
ज़ैनब अलर्ट रिकवरी एंड रिस्पॉन्स बिल, 2020 बुधवार को पास हुआ। ये 2018 में कसूर में नौ साल की बच्ची के साथ क्रूर बलात्कार और हत्या के मामले का बाद पारित किया गया है। संसदीय मामलों के लिए मंत्री आज़म खान स्वाति ने नियमों को दरकिनार कर बिल पर तत्काल विचार के लिए प्रस्ताव पारित किया।
उच्च सदन ने चर्चा के बाद विधेयक को पारित कर दिया और इसे मानवाधिकार पर सीनेट की स्थायी समिति द्वारा रिपोर्ट के रूप में माना गया। विधेयक लापता, अपहृत, अपहृत बच्चों की बरामदगी के लिए आवश्यक कदम उठाने में मदद करेगा। यह बच्चों के खिलाफ आपराधिक गतिविधियों को रोकने और वसूली, जांच, ट्रेल्स और पुनर्वास के लिए तेजी प्रदान करने में मदद करेगा। बिल के अनुसार, बाल यौन शोषण के अपराधियों को अधिकतम सजा उम्रकैद होगी। 1 मिलियन पाकिस्तानी रुपए का जुर्माना जबकि न्यूनतम सजा 10 साल होगी।
गौरतलब है कि पिछले साल पाकिस्तान की चुनिया तहसील में तीन नाबालिग लड़कों के शव बरामद किए गए थे। इस घटना के बाद कसूर इलाके से एक बच्चे के अपहरण की खबर आई थी। पुलिस ने तब बताया था कि तीनों लड़कों के साथ पहले कुकर्म किया गया फिर हत्या। दरअसल, दो मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने हाशिम चौक से दो बच्चों का अपहरण करने का प्रयास किया। इसके बाद उनमें से एक को बेहोशी की हालत में छो़ड़ दिया। पुलिस ने बताया कि जिन तीन नाबालिगों के शव मिले थे उनके साथ बड़ी की क्रूरता के साथ कुकर्म किया गया था। वहीं, स्थानीय लोगों ने बताया था कि एक पांचवा बच्चा भी लापता है।