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Bajwa extension case: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी सरकार

पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त बाजवा के सेवा विस्तार को मंजूरी दे दी थी लेकिन तीन साल नहीं केवल छह महीने। अब पाक सरकार इस फैसले के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 26 Dec 2019 05:11 PM (IST)Updated: Thu, 26 Dec 2019 05:11 PM (IST)
Bajwa extension case: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी सरकार

इस्‍लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्‍तान के सेनाध्‍यक्ष कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल बढ़ाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पाकिस्‍तान सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला लिया है। कानून मंत्री फारोग नसीम और अटॉर्नी जनरल ने याचिका का पहला मसौदा तैयार कर लिया है। कानून मंत्री के हवाले से डॉन ने बताया कि सरकार कई कानूनी पहलुओं के आधार पर अदालत के आदेश को चुनौती  देगी।

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ये है कोर्ट का फैसला-

पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त बाजवा के सेवा विस्तार को मंजूरी दे दी थी जिसे इमरान खान के लिए राहत माना गया। लेकिन कोर्ट ने इमरान खान की पेशकश के अनुसार 3 साल नहीं बल्कि मात्र 6 माह तक ही कार्यकाल बढ़ाने का निर्णय लिया। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुआई में 3 सदस्यीय बेंच ने मामले की सुनवाई की। चीफ जस्टिस आसिफ साईद खान खोसा के अलावा इस बेंच में जस्टिस मजहर आलम खान मियांखेल और जस्टिस मंसूर अली शाह भी थे।

19 अगस्‍त को प्रधानमंत्री इमरान खान ने लिया था फैसला

19 अगस्‍त 2019 को प्रधानमंत्री इमरान खान ने बाजवा के कार्यकाल में तीन साल का विस्‍तार किया था। इसके बाद राष्‍ट्रपति ने इसपर मुहर लगा दी थी। इसके पीछे प्रधानमंत्री इमरान खान ने क्षेत्रीय सुरक्षा माहौल का हवाला दिया था। बाजवा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो रहा है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने उससे पहले उनके पक्ष में फैसला दिया तो वह इस पद पर बने रह सकते हैं। इसे संविधान के आर्टिकल 243 (4)(b) के तहत गलत करार देते हुए चुनौती दी गई थी। यह मामला शुरू में ज्‍यूरिस्‍ट फाउंडेशन द्वारा दर्ज कराई गई।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने संविधान के आर्टिकल 243 और पाकिस्‍तान आर्मी एक्‍ट 1952 पर विचार किया। 28 नवंबर को कोर्ट ने बाजवा के कार्यकाल को 6 माह का विस्‍तार दिया और सरकार को इस तरह की नियुक्तिों के लिए कानून बनाने का आदेश दिया। इस मामले में 43 पेज के लिखित आदेश को 16 दिसंबर को रिलीज किया गया। फैसले में कहा गया कि मामला संसद को सौंपा जा रहा है ताकि भविष्‍य में ऐसी गलतियां न हो। कोर्ट ने संसद से यह भी आग्रह किया कि आर्मी चीफ के पद के लिए कार्यकाल निश्चित करे।

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