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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में ऐतिहासिक हिंदू मंदिर को किया ध्वस्त, अब वाणिज्यक परिसर का हो रहा निर्माण

पाकिस्तान स्थित ऐतिहासिक खैबर मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया है। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित उस स्थल पर वाणिज्यिक परिसर का निर्माण शुरू हो गया है। वहीं आदिवासी पत्रकार इब्राहिम शिनवारी ने जिला प्रशासन और नगर निगम अधिकारियों के मंदिर का कोई आधिकारिक भूमि रिकॉर्ड नहीं होने के दावों पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि लैंडी कोटाल में खैबर मंदिर था।

By Agency Edited By: Anurag GuptaPublished: Fri, 12 Apr 2024 11:45 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2024 11:45 PM (IST)
पाकिस्तान का हिंदू मंदिर ध्वस्त (फाइल फोटो)

पीटीआई, पेशावर। पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के पास स्थित ऐतिहासिक खैबर मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया है। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित उस स्थल पर वाणिज्यिक परिसर का निर्माण शुरू हो गया है। यह मंदिर 1947 से बंद पड़ा था। यह खैबर जिले के सीमावर्ती शहर लैंडी कोटाल बाजार में स्थित था।

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विभिन्न प्रशासनिक विभागों के अधिकारियों ने या तो हिंदू मंदिर के अस्तित्व के बारे में जानकारी होने से इनकार किया है या दावा किया है कि निर्माण नियमों के अनुसार हो रहा है।

आदिवासी पत्रकार ने क्या कुछ कहा?

वहीं, आदिवासी पत्रकार इब्राहिम शिनवारी ने जिला प्रशासन और नगर निगम अधिकारियों के मंदिर का कोई आधिकारिक भूमि रिकॉर्ड नहीं होने के दावों पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा,

इसमें कोई संदेह नहीं है कि लैंडी कोटाल में खैबर मंदिर था। यह बाजार के केंद्र में स्थित था, जिसे 1947 में स्थानीय हिंदू परिवारों के भारत चले जाने के बाद बंद कर दिया गया था। 1992 में भारत में विवादित ढांचा विध्वंस के बाद कुछ लोगों द्वारा इसे आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। बचपन में अपने बड़े बुजुर्गों से मंदिर के बारे में कई कहानियां सुनी थीं।

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पाकिस्तान हिंदू मंदिर प्रबंधन समिति के हारून सरबदियाल ने कहा कि गैर-मुसलमानों के लिए धार्मिक महत्व की ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा और पुनर्वास सुनिश्चित करना जिला प्रशासन और संबंधित सरकारी विभागों की जिम्मेदारी है।

वहीं, लैंडी कोटाल के सहायक आयुक्त मुहम्मद इरशाद ने मंदिर के विध्वंस के बारे में अनभिज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि खैबर आदिवासी जिले के आधिकारिक भूमि रिकार्ड में मंदिर का कोई उल्लेख नहीं है। लैंडी कोटाल बाजार की पूरी जमीन राज्य के स्वामित्व में थी। बाजार में कुछ पुरानी दुकानों के नवीनीकरण और मरम्मत के लिए बिल्डर को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया है।

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