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क्‍या यूक्रेन संघर्ष में Nuclear War को रोकने में सक्षम होगा G-20? जानें- इसकी तीन वजह, एक्‍सपर्ट व्‍यू

Nuclear War यूक्रेन संघर्ष के चलते दुनिया परमाणु युद्ध के कगार पर पहुंच गई है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने एक नए विश्‍व युद्ध की चेतावनी तक दे डाली है। बाइडन ने यहां तक कहा है कि रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन की इस धमकी को चुकटले के रूप में नहीं लिया जाए।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sun, 09 Oct 2022 11:12 AM (IST)Updated: Sun, 09 Oct 2022 11:25 AM (IST)
G-20 Summit: इस बार बाली का G-20 समिट क्‍यों है खास, जानें इसकी तीन बड़ी वजह। फाइल फोटो।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। G20 summit stop Nuclear War: G-20 सदस्‍य देशों की बैठक ऐसे समय हो रही है, जब यूक्रेन युद्ध परमाणु युद्ध (Nuclear War in Ukraine war) के मुहाने पर पहुंच गया है। इससे एक नए विश्‍व युद्ध (Third World War) की आशंका प्रबल हो गई है। यह तय है कि अगर रूस ने यूक्रेन पर परमाणु हमला किया तो तीसरा विश्‍व युद्ध होना तय है। इसे कोई नहीं टाल सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि G-20 समिट इस संघर्ष को रोकने में क्‍या अहम भूमिका निभा सकता है। आखिर जी-20 संगठन से इस तरह की उम्‍मीदें क्‍यों बंधी है। इसके पीछे क्‍या है बड़े कारण। इन सारे मसलों पर क्‍या है विशेषज्ञों की राय।

1- यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine conflict) में अहम भूमिका निभा सकता है G-20

विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि जी-20 मंच के जरिए यूक्रेन-रूस संघर्ष और रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन का पश्चिमी देशों के साथ विवादों के हल के लिए संवाद और कूटनीति की राह को आसान किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि रूस-यूक्रेन के जंग का प्रभाव वैश्विक स्‍तर पर रहा है।

जंग के चलते पश्चिमी देशों में ऊर्जा संकट और दुनियाभर में खाद्दान संकट इसका बड़ा उदाहरण है। इसके चलते कई देशों की अर्थव्‍यवस्‍था पूरी तरह से चौपट हो गई है। ऐसे में जी-20 संगठन रूस और यूक्रेन पर प्रभावशाली ढंग से दबाव बना सकता है। उन्‍होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि जी-20 रूस-यूक्रेन के बीच संघर्ष विराम में अहम भूमिका निभाने की स्थिति में है।

2- परमाणु युद्ध (Nuclear War) के कगार पर पहुंची दुनिया को बचाने की पहल

प्रो पंत ने कहा कि रूस यूक्रेन संघर्ष के चलते दुनिया परमाणु युद्ध के कगार पर पहुंच गई है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने एक नए विश्‍व युद्ध की चेतावनी तक दे डाली है। बाइडन ने यहां तक कहा है कि रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन की इस धमकी को चुकटले के रूप में नहीं लिया जाए। इससे इस संकट का अंदाजा लगाया जा सकता है।

प्रो पंत ने कहा कि इस जटिल घड़ी में जी-20 समूह की यह बैठक बेहद उपयोगी साबित हो सकती है। प्रो पंत ने कहा कि जी-20 की बैठक में पुतिन के साथ यूक्रेन के राष्‍ट्रपति जेलेंस्‍की को भी आमंत्रित किया गया है। उन्‍होंने कहा कि यूक्रेन के राष्‍ट्रपति को इस बैठक में शामिल करने के लिए खुद बाइडन का दबाव और आग्रह था। इसलिए यह उम्‍मीद किया जाना चाह‍िए कि जी-20 समिट में संघर्ष विराम की राह आसान हो सकती है।

3- रूस-यूक्रेन के सहयोगी देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्ष साझा करेंगे एक मंच

प्रो पंत ने कहा कि खास बात यह है कि इस संगठन में रूस और यूक्रेन के सहयोगी देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्ष एक मंच साझा करेंगे। इस संगठन के अधिकतर देश रूस यूक्रेन संघर्ष विराम के लिए इच्‍छुक भी हैं। खुद इंडोनेशिया जो जी-20 की मेजबानी कर रहा है, दोनों देशों के बीच शांति का बड़ा हिमायती है।

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने जून में भी रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन और जेलेंस्की को एक मंच पर लाने की कोशिश की थी। हालांकि, राष्‍ट्रपति विडोडो अपने इस प्रयास में नाकाम रहे थे। भारत समेत रूस के कई सहयोगी देश इस मंच पर होंगे जो किसी भी समस्‍या के समाधान का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं। इसलिए रूस और यूक्रेन पर युद्ध खत्‍म करने का चौतरफा दबाव बन सकता है।

दुनिया का सबसे प्रभावशाली संगठन G-20

प्रो पंत ने कहा कि जी-20 एक महत्‍वपूर्ण अंतरराष्‍ट्रीय संगठन है। उन्‍होंने कहा कि इस संगठन में शामिल ज्‍यादातर देश बड़ी आर्थिक ताकतें हैं। उन्‍होंने कहा कि इसके महत्‍व का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जनसंख्‍या के लिहाज से दुनिया की 66 फीसद आबादी इन्‍हीं 20 सदस्‍य देशों में रहती है।

जी-20 देशों की जीडीपी की कुल जीडीपी में 85 फीसद हिस्‍सेदारी है। यानी 85 फीसद वर्ल्‍ड जीडीपी पर इसका नियंत्रण है। अगर व्‍यापार के लिहाज से देखा जाए तो दुनियाभर में होने वाले निर्यात का 75 फीसद हिस्‍सा जी-20 देशों से होता है। यानी 75 फीसद वर्ल्‍ड ट्रेड में हिस्‍सेदारी है। प्रो पंत ने कहा कि इस लिहाज से यह एक महत्‍वपूर्ण संगठन बन जाता है।

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