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Sri Lanka Blast: आतंकी हमले के बाद श्रीलंका ने 200 मौलवियों को बाहर निकाला

Sri Lanka Blast ईस्टर के मौके पर हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद श्रीलंका की सरकार ने कुल 600 विदेशी नागरिकों को निष्कासित कर दिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 03:18 PM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 09:02 PM (IST)
Sri Lanka Blast: आतंकी हमले के बाद श्रीलंका ने 200 मौलवियों को बाहर निकाला
Sri Lanka Blast: आतंकी हमले के बाद श्रीलंका ने 200 मौलवियों को बाहर निकाला

कोलंबो, पीटीआई। Sri Lanka Blast ईस्टर के मौके पर हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में एक मौलवी की भूमिका सामने आने के बाद से अतिवाद पर अंकुश लगाने में जुटे श्रीलंका ने 200 मौलवियों समेत 600 से ज्यादा विदेशी नागरिकों को वापस भेज दिया है। सरकार का कहना है कि यह सभी वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी श्रीलंका में रह रहे थे। सरकार को डर है कि कुछ मौलवी स्थानीय लोगों को भड़काकर फिर हमले करवा सकते हैं।

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श्रीलंका के गृहमंत्री वाजिरा अभयवर्द्धने ने बताया कि इन मौलवियों ने कानूनी रूप से देश में प्रवेश किया था, लेकिन सुरक्षा जांच में पाया गया कि इनके वीजा की अवधि समाप्त हो गई है। वीजा नियमों के उल्लंघन के लिए जुर्माना लेकर इन्हें वापस भेज दिया गया है। हालं‍कि, गृहमंत्री ने देश से निष्कासित किए गए लोगों की राष्ट्रीयता के बारे में जानकारी नहीं दी है।

गृहमंत्री ने कहा कि देश के वर्तमान हालात को देखते हुए हमने वीजा से संबंधित व्यवस्था की समीक्षा की है और धार्मिक शिक्षकों के लिए वीजा नियम सख्त करने का फैसला किया है।' मंत्री ने कहा, 'कई धार्मिक संस्थान हैं, जो दशकों से विदेशी प्रवक्ताओं को नियुक्त करते रहे हैं। हमें उनसे कोई परेशानी नहीं है, लेकिन कुछ संस्थान हैं, जो हाल के दिनों में पनपे हैं। हम उन पर ज्यादा ध्यान देंगे।' वहीं प्रशासन ने लोगों से यह भी अपील की है कि वे अपने घरों में तलवारें और चाकू आदि हथियार न रखें। 

हालांकि, पुलिस ने कहा है कि देश में हुए आत्मघाती हमलों के बाद पाया गया कि बांग्लादेश, भारत, मालदीव और पाकिस्तान से आए कई विदेशी विजा अवधि खत्म हो जाने के बाद भी ठहरे हुए थे। गृहमंत्री ने आगे कहा कि पिछले एक दशक से देखा जा रहा है कि देश में धार्मिक संस्थान विदेशी उपदेशकों को तवज्जो दे रहे हैं। हमें इससे कोई समस्या तो नहीं है लेकिन हाल के दिनों में कुछ धार्मिक संस्थान इस मामले में मश्‍ारूम की तरह सामने आए हैं।

दूसरे हफ्ते भी बंद रहे चर्च
इस्लामिक आतंकियों द्वारा हमलों की आशंका में लगातार दूसरे हफ्ते श्रीलंका के कैथोलिक चर्चो में सामूहिक प्रार्थना सभा का आयोजन नहीं हुआ। लोगों ने अपने घरों में ही प्रार्थना की। कोलंबो के आर्कबिशप कार्डिनल मैल्कम रंजीत ने अपने आवास पर पादरियों और ननों के साथ प्रार्थना सभा आयोजित की। इसका टीवी पर प्रसारण किया गया। प्रार्थना के बाद पोप फ्रांसिस की ओर से भेजा गया पत्र भी पढ़कर सुनाया गया, जिसमें उन्होंने शांति की प्रार्थना की।

श्रीलंका में भारी सुरक्षा के बीच खुलेंगे स्कूल
देश में हुए आत्मघाती हमलों के दो हफ्ते बाद भारी सुरक्षा के बीच सोमवार (May 06) से स्कूल खुलेंगे।सिलसिलेवार बम हमलों के बाद प्रशासन ने सभी सरकारी स्‍कूलों को अगले आदेश तक बंद करा दिया था। देश के शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों की सुरक्षा की बाबत विशेष सर्कुलर जारी किए हैं। सर्कुलर के मुताबिक, स्कूलों के नजदीक वाहनों की पार्किंग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। 

बुर्के पर भी लगाया था प्रतिबंध 
इससे पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेन ने अपनी आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करते हुए बुर्का या नकाब पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। यह फैसला भी आत्मघाती हमलों के बाद सुरक्षात्मक कदम के तौर पर उठाया गया था। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबंध लगाया गया है। किसी को भी चेहरा इस तरह से नहीं ढकना चाहिए कि उसकी पहचान मुश्किल हो। 

मुस्लिम उलेमाओं का मिला था साथ 
आदेश में बुर्का या नकाब शब्द का प्रयोग नहीं किया गया था। चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के इस फैसले को कुछ मुस्लिम उलेमाओं का भी साथ मिला था। जमीयातुल उलेमा के प्रवक्ता फाजिल फारूक ने कहा था कि सुरक्षा एजेंसियों के साथ सहयोग के तौर पर हमने लोगों को बिना चेहरा ढके बाहर निकलने की अनुमति दे दी है। आतंकी हमले के बाद से ही यहां बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध की मांग उठ रही थी। 

आतंकी हमले में हुई थी 257 की मौत
श्रीलंका में बीते 21 अप्रैल को ईस्टर के मौके पर भीषण आतंकी हमले में 257 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 500 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (आइएस) ने ली थी, लेकिन श्रीलंका की सरकार ने इसमें स्थानीय संगठन का हाथ बताया था। श्रीलंकाई पुलिस के मुताबिक, इन हमलों को एक स्थानीय मौलवी के नेतृत्व में अंजाम दिया गया था। 

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