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संयुक्त राष्ट्र प्रमुख से सिंधी नेता की अपील, मानवाधिकार उल्लंघन पर पाकिस्तान की निंदा करें

सिंधी नेता ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव से मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर पाकिस्तान की निंदा करने की अपील की है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 05:30 PM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 05:30 PM (IST)
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख से सिंधी नेता की अपील, मानवाधिकार उल्लंघन पर पाकिस्तान की निंदा करें

फ्रैंकफर्ट, एएनआइ। जर्मनी में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे एक सिंधी नेता ने तुर्की के राष्ट्रपति और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासचिव से मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर पाकिस्तान की निंदा करने की अपील की है। बता दें कि यूएन महासचिव एंटोनियो गुतेरस पाकिस्तान की चार दिवसीय यात्रा पर हैं। जबकि तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन अपनी दो दिवसीय यात्रा समाप्त कर स्वदेश लौट चुके हैं।

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जेय सिंध मुत्ताहिदा महाज (जेएसएमएम) के प्रमुख शफी बरफात ने कहा कि पाकिस्तान ने जहां कश्मीर के एक हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा जमा रखा है, वहीं दूसरे हिस्से में वह धर्म की आड़ लेकर आतंक को बढ़ावा दे रहा है। ऐसे में तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन को चाहिए कि वह पाकिस्तान सेना द्वारा कश्मीर पर कब्जे की निंदा करें। बरफात ने कहा कि पाकिस्तान ने सिंध और बलूचिस्तान को धर्म के नाम पर गुलाम बनाकर रखा है। उन्होंने सवाल किया कि क्या एर्दोगन इस फासीवादी और जबरन कब्जे की निंदा करेंगे।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना सिंध, बलूचिस्तान और पख्तूनिस्तान में महिलाओं के साथ वही कर रही है, जो उसने 1971 में बांग्लादेश की महिलाओं के साथ किया था। बता दें कि अपने देश में रहने वाले अल्पसंख्यक कुर्द लोगों का नरसंहार करने वाले एर्दोगन भारत के राजनीतिक और आंतरिक मामलों में खुले तौर पर हस्तक्षेप कर रहे हैं।

तुर्की के राष्ट्रपति को भारत की हिदायत

बता दें कि अपने पाकिस्तान दौरे पर तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कश्मीर राग छेड़ते हुए कहा था कि तुर्की कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के रुख का समर्थन करता रहेगा क्योंकि यह दोनों के लिए अहम है। एर्दोगन के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने एक बार फिर साफ कर दिया कि तुर्की को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है। यही नहीं भारत ने उनको पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे आतंकवाद से उत्पन्न गंभीर खतरे पर तथ्यों को समझने की हिदायत भी दी।

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