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ब्रिटिश सेना में गोरखाओं की भर्ती को लेकर हुए 72 साल पुराने करार की समीक्षा चाहता है नेपाल

नेपाल जिस ब्रिटेन-गोरखा समझौते की समीक्षा करना चाहता है वह 72 वर्ष पुराना है। अब ब्रिटेन इस ब्रिगेड में महिलाओं की एंट्री चाहता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 15 Dec 2019 06:02 PM (IST)Updated: Sun, 15 Dec 2019 06:02 PM (IST)
ब्रिटिश सेना में गोरखाओं की भर्ती को लेकर हुए 72 साल पुराने करार की समीक्षा चाहता है नेपाल
ब्रिटिश सेना में गोरखाओं की भर्ती को लेकर हुए 72 साल पुराने करार की समीक्षा चाहता है नेपाल

काठमांडू [रायटर]। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने कहा कि उनका देश ब्रिटेन की सेना में गोरखा जवानों की भर्ती को लेकर हुए करार की समीक्षा करना चाहता है। उनके अनुसार, इस भर्ती प्रक्रिया में काठमांडू की कोई भूमिका नहीं होती, इसलिए इस करार की समीक्षा जरूरी है। नेपाल ने यह मांग ऐसे समय की है, जब ब्रिटिश सेना गोरखा बिग्रेड में पहली बार नेपाली महिलाओं की भर्ती करने की तैयारी में है।

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महिलाओं को चयन के लिए देनी होगी कड़ी परीक्षा 

पिछले वर्ष यह बात सामने आई थी कि ब्रिटिश सेना के गुरखा ब्रिगेड में वर्ष 2020 तक महिलाओं को शामिल कर लिया जाएगा। इसके मुताबिक इस भर्ती की चयन प्रक्रिया पुरुषों के जैसी ही होगी। लिहाजा इसमें शामिल होने वाली महिलाओं को कड़ी शारीरिक परीक्षा से गुजरना होगा। इसमें 25 किलोग्राम रेत से भरी विकर टोकरी को उठाकर 5 किमी की चढ़ाई में रेस लगाना भी शामिल है। इसके अलावा चयन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए आवेदन करने वाली महिला का वजन 50 किलो, लंबाई करीब 158 सेमी (5 फीट 1 इंच) होनी जरूरी है। आपको बता दें कि करीब 200 वर्षों से गोरखा ब्रिगेड ब्रिटेन की सेना का हिस्‍सा बनी हुई है। गौरतलब है कि इसकी प्रक्रिया नेपाल के पोखरा में होती है। यहां चयनित आवेदकों को करीब दो महीने के ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए कैटरिक, उत्तरी यॉर्कशायर ले जाया जाता है। ब्रिटिश मीडिया में आई खबरों के अनुसार, अभी यह साफ नहीं है कि कितनी संख्या में गोरखा महिलाओं की भर्ती होगी, लेकिन यह तय है कि अगले साल ब्रिटिश सेना में गोरखा महिलाओं का प्रशिक्षण हो सकता है।

72 वर्ष पुराना है समझौता

वहीं अब इसका शोर होने पर विदेश मंत्री ग्यावली ने 72 साल पुराने त्रिपक्षीय समझौते की समीक्षा की मांग कर एक नई बहस छेड़ दी है। उनका कहना है कि यह करार किसी विदेशी सेना में गोरखा युवाओं की भर्ती प्रक्रिया में काठमांडू को कोई भूमिका निभाने की अनुमति नहीं देता। उनके मुताबिक, ‘इस समझौते के कुछ प्रावधान अब अप्रासंगिक हो गए हैं। इसलिए हमने ब्रिटेन से कहा है कि हमें इसकी समीक्षा करनी चाहिए और इसे द्विपक्षीय समझौता बनाना चाहिए।’ उन्होंने बताया कि नए समझौते में ब्रिटिश सेना के गोरखा जवानों की पेंशन समेत कई समस्याओं का समाधान भी होना चाहिए।

1815 से गोरखा जवानों की भर्ती कर रहा ब्रिटेन 

ब्रिटेन 1815 से अपनी सेना में गोरखा जवानों की भर्ती कर रहा है। 1947 में भारत में ब्रिटिश शासन खत्म होने के बाद नई दिल्ली, लंदन और काठमांडू के बीच एक करार हुआ था। इसके तहत भारतीय सेना की चार गोरखा रेजिमेंट को ब्रिटिश सेना में स्थानांतरित कर दिया गया था। वर्तमान में ब्रिटिश सेना में लगभग 3000 से अधिक गोरखा सैनिक हैं। वर्तमान में इन जवानों की तैनाती इराक, अफगानिस्तान और बाल्कन में है। इस रेजिमेंट का युद्ध घोष 'कायरता से बेहतर मर जाना' है। इन जवानों की पहचान इनके पास परंपरागत 46 सेमी लंबा चाकू है जिसको खुखरी कहा जाता है। 2007 में ब्रिटेन ने अपने विशेष बल में गोरखा महिलाओं को भर्ती करने का एलान किया था। आपको यहां पर ये भी बता दें कि गोरखा सैनिकों की गिनती दुनिया के सबसे तेज और फुर्तीले जवानों में होती है। ब्रिटेन की महारानी की रक्षा में लगे इन सैनिकों का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। वर्ष 2007-2008 में अफगानिस्तान में तैनात प्रिंस हैरी रॉयल गोरखा राइफल्स की पहली बटालियन के साथ काम कर चुके हैं। इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने यहां तक कहा था कि यदि आप गोरखाओं के साथ हैं तो आप सुरक्षित हैं।

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