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श्रीलंका में मुस्लिम महिला को सामान्य कानून के तहत शादी की अनुमति

कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि उनके समुदाय में महिलाओं को एमएमडीए के तहत शादी के करार पर दस्तखत करने तक की अनुमति नहीं है। शादी के करार पर दुल्हन की जगह उसके पिता या किसी पुरुष अभिभावक दस्तखत करते हैं।

By Neel RajputEdited By: Published: Thu, 22 Jul 2021 07:46 AM (IST)Updated: Thu, 22 Jul 2021 07:46 AM (IST)
मुस्लिम कार्यकर्ता एवं विद्वान दशकों से मुस्लिम विवाह एवं तलाक अधिनियम (एमएमडीए) के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे

कोलंबो, आइएएनएस। श्रीलंका मंत्रिमंडल ने 1951 के पुराने कानून को दरकिनार करते हुए मुस्लिम महिलाओं को सामान्य कानून - श्रीलंका विवाह पंजीकरण अध्यादेश के तहत शादी करने की अनुमति दे दी है। मुस्लिम कार्यकर्ता एवं विद्वान दशकों से मुस्लिम विवाह एवं तलाक अधिनियम (एमएमडीए) के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे। अभी तक इसी कानून के तहत मुस्लिम लड़कियों की शादी की व्यवस्था थी।

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इसके खिलाफ संघर्ष करने वालों का आरोप है कि यह कानून बाल विवाह को बढ़ावा देता है और उनके अन्य अधिकारों का उल्लंघन करता है। कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि उनके समुदाय में महिलाओं को एमएमडीए के तहत शादी के करार पर दस्तखत करने तक की अनुमति नहीं है। शादी के करार पर दुल्हन की जगह उसके पिता या किसी पुरुष अभिभावक दस्तखत करते हैं। कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि एमएमडीए जबरन शादी की गुंजाइश भी छोड़ता है। श्रीलंका में जहां गैर मुस्लिम महिलाओं के लिए शादी की उम्र 18 वर्ष निर्धारित है, वहीं एमएमडीए न्यूनतम उम्र को निर्धारित किए बगैर बाल विवाह की अनुमति देता है।

श्रीलंका में भारतीय दूतावात ने पोस्ट कर बताई बनारसी साड़ी की खासियत

कोरोना महामारी के कारण बनारसी साड़ियों का कारोबार थम गया है। हिंदू संस्कृति वाले देशों नेपाल, मॉरिशस, श्रीलंका और यूरोप सहित विदेशों में इनकी काफी डिमांड है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में कमी आने के बाद अब बनारसी साड़ियों का कारोबार भी फिर से बढ़ने लगा है। इस बार श्रीलंका में भारतीय दूतावास की तरफ से अंग्रेजी, तमिल और सिंहली में बनारसी साड़‍ियों की खूबसूरती और विशेषता को लेकर पोस्ट जारी किया गया है। इसमें इन साड़ियों की विशेषता, खूबसूरती और एतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला गया है।

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