न्यूजीलैंड में मस्जिद पर हमले से करीब छह माह पहले पाकिस्तान गया था संदिग्ध आतंकी!
न्यूजीलैंड में दो मस्जिदों पर हमले से पहले संदिग्ध आतंकी पाकिस्तान गया था। इसके अलावा उसने तुर्की की भी कई बार यात्रा की थी।
नई दिल्ली [एजेंसी]। न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों पर हमले के बाद हिरासत में लिए गए संदिग्ध हमलावर ब्रेंटन टैरंट के बारे में कुछ और बातें सामने आई हैं। बीबीसी ने इस शख्स की तफ्तीश की है। इसमें पता चला है कि ब्रेंटन 2018 के अक्टूबर-नवंबर में गुलाम कश्मीर घूमने गया था। बीबीसी ने अपनी पड़ताल के बाद इस शख्स के बारे में कुछ रोचक तथ्य भी उजागर किए हैं तो उसके स्वभाव के बारे में जानकारी देने में सहायक हो सकते हैं।आपको बता दें कि ब्रेंटन ने सोशल मीडिया पर खुद का परिचय 28 साल के एक साधारण श्वेत शख्स के तौर पर दिया था। उसका जिसका जन्म ऑस्ट्रेलिया में एक निम्न आय वाले परिवार में हुआ। संदिग्ध हमलावर ब्रेंटन के पिता रोडनी की 2010 में कैंसर से मौत हो गई थी। उसके बाद 2011 में वह ऑस्ट्रेलिया छोड़कर घुमने निकल गया था।न्यूजीलैंड में हुए हमले के बाद जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक वह फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल, सर्बिया, बोसनिया हर्जेगोवनिया, मोंटेनेग्रो, क्राएशिया, बुल्गारिया, रोमानिया, हंगरी और तुर्की भी जा चुका है। रिकार्ड बताते हैं कि वह एक से अधिक बार तुर्की गया था।
गिलगित-बाल्टिस्तान गया था ब्रेंटन
बीबीसी के मुताबिक ब्रेंटन पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में गुलाम कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान गया था। उसने करीब 15-16 दिन यहां पर बिताए थे। आपको बता दें कि न्यूजीलैंड में मस्जिद पर हुए हमले के बाद यहां के होटलों की तलाशी में उसके बाबत जो भी रिकॉर्ड मौजूद था, उसको यहां के अधिकारियों ने अपने कब्जे में ले लिया है। ब्रेंटन टैरंट 19-20 अक्टूबर को गिलगित पहुंचा था। उसने वहां पर पुलिस की स्पेशल ब्रांच के पास अपनी एंट्री भी दर्ज करवाई थी। गिलगित में एक दिन और रात रुकने के बाद वह नगर, हुंजा, खुजेराब चला गया था।आपको यहां पर ये भी बता दें कि 15 मार्च को हुए क्राइस्टचर्च हमले में 50 लोगों की मौत हो गई थी।
यहां पर ब्रेंटन ने दो सप्ताह बिताए
बीबीसी को ब्रेंटन के बाबत जो जानकारी हाथ लगी है उसके मुताबिक वह दो सप्ताह तक इस क्षेत्र में रहा था। उसने यहां के दूर-दराज इलाकों की भी सैर की थी। हालांकि जब वह हुंजा और करीमाबाद पहुंचा था तब वहां पर टूरिस्ट सीजन लगभग खत्म होने वाला था। यहां पर उसका ज्यादातर सफर पैदल ही हुआ। रोजाना सुबह एक्सरसाइज करना उसकी दिनचर्या का हिस्सा था। उसने यहां पर पहाड़ों पर ट्रेकिंग भी की थी। ब्रेंटन को घूमना तो पसंद था लेकिन ज्यादा पैसे खर्च करना उसको पसंद नहीं था। लिहाजा वह सस्ते होटलों की तलाश में रहते थे। अपना सामान उठाने के लिए भी वह किसी की मदद नहीं लेता था। यहां पर मिली स्थानीय लोगों से जो जानकारी बीबीसी के हाथ लगी उसके मुताबिक वह कहीं भी आने जाने के लिए सार्वजनिक परिवहन का ही इस्तेमाल करता था। यहां तक की घूमने के लिए वह किसी गाइड का इस्तेमाल नहीं करता था।
मनी चेंजर से बहस
यहां पर जो जानकारी बीबीसी को मिली है उसके मुताबिक गिलगित में ब्रेंटन ने दो अलग-अगल मनी चेंजर्स (विदेशी मुद्रा बदलने वाले) से 2,300 अमरीकन डॉलर पकिस्तान रुपये में बदलवाए थे। इसको लेकर उसकी मनी चेंजर से बहस भी हुई थी। इसकी वजह थी कि मनी चेंजर उसको कम पैसे दे रहा था। इसका भी रिकॉर्ड पाकिस्तानी अधिकािरियों को मिल चुका है। उसको यहांं की गलियां और दुकानें काफी पसंद थीं। स्थानीय लोगों ने उसे सूखे मेवों की दुकानों पर मोल-भाव करते हुए भी देखा गया था। बीबीसी ने स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के हवाले से लिखा है कि वह अक्सर लोगों के साथ खुलकर बातचीत और गपशप भी किया करता था। इसी दौरान वह लोगों से वहां की घूमने लायक जगहों को भी जान लिया करता था। लोगों को वह पहली नजर में ही अच्छा और खुशमिजाज इंसान लगता था। वह दोस्ती करने में माहिर था। इसकी वजह उसका दूसरों के बीच घुलमिल जाना ही था।
सोशल मीडिया पर सफर की जानकारी
ब्रेंटन ने अपने इस सफर को लेकर सोशल मीडिया पर भी जानकारी शेयर की थी। हालांकि इस पोस्ट को बाद में हटा दिया गया। इसमें उसने इस क्षेत्र और यहां के लोगों की जमकर तारीफ की है। उसने लिखा कि वह पहली बार यहां आया है। उसने अपने पोस्ट में यह भी लिखा हुंजा घाटी और नगर वैली की बराबर दुनिया की कोई जगह सुंदर नहीं हो सकती है। इसकी एक लाइन में उसने लिखा है कि पाकिस्तान का वीजा हालांकि मुश्किल से ही मिलता है, इसी वजह से कई सैलानी दूसरे देशों का रुख कर लेते हैं। उसने उम्मीद जताई है कि भविष्य में पाकिस्तानी सरकार इसमें जरूरी बदलाव करेगी। जिससे दुनिया इस इलाके की खूबसूरती को देखने के लिए यहां आ सके।
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