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हूथी विद्रोहियों की मक्‍का की तरफ दागी मिसाइल को सऊदी अरब ने हवा में ही किया खत्‍म

मुस्लिमों के पवित्र शहर मक्‍का की तरफ दागी गई हूथी विद्रोहियों की मिसाइल को सऊदी अरब ने हवा में ही नष्‍ट कर दिया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 21 May 2019 03:48 PM (IST)Updated: Tue, 21 May 2019 03:48 PM (IST)
हूथी विद्रोहियों की मक्‍का की तरफ दागी मिसाइल को सऊदी अरब ने हवा में ही किया खत्‍म

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। सऊदी अरब ने यमन की तरफ से छोड़ी गई दो बैलेस्टिक मिसाइलों को इंटरसेप्‍ट कर हवा में ही नष्‍ट कर दिया है। सऊदी अरब की तरफ से इसका एक वीडियो भी जारी किया गया है, जिसमें मिसाइल को इंटरसेप्‍ट कर उसको नष्‍ट करते हुए दिखाया गया है। कहा जा रहा है कि इनमें से एक मिसाइल मक्‍का तो दूसरी जेद्दाह की तरफ छोड़ी गई थी। यह दोनों मिसाइलें हूथी विद्रोहियों द्वारा दागी गई थीं, जिन्‍हें कथिततौर पर ईरान का समर्थन मिला हुआ है।

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हालांकि, हूथी ने इस तरह के हमले के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। हूथी के प्रवक्‍ता याहया सारेया ने फेसबुक पर लिखा है कि सऊदी अरब हमेशा से ही इस तरह के मनघंड़त और बेबुनियाद आरोप लगाता रहा है, लेकिन इनमें कोई सच्‍चाई नहीं है।

गौरतलब है कि पिछले सप्‍ताह सऊदी अरब ने हूथी विद्रोहियों पर आरोप लगाया था कि उन्‍होंने विस्‍टोफक से भरा हुआ एक ड्रोन दो पंपिंग स्‍टेशनों पर भेजे थे। हूथी ने भी इस हमले की जिम्‍मेदारी लेते हुए कहा था कि उन्‍होंने यह हमला सऊदी अरब की सेना को टार्गेट करते हुए किया था। इसके अलवा यूएई स्थित सेना के मुख्‍याल्‍य, यमन स्थित सऊदी अरब के दूतावास और दूसरे फेसेलिटी सेंटर्स पर भी हूथी विद्रोहियों ने हमला किया था। सऊदी अरब का कहना है कि अमेरिका ने ईरान पर जो प्रतिबंध लगाए हैं उनसे वो संकेत नहीं गया जो जाना चाहिए था। सऊदी अरब के मुताबिक ईरान पर जबरदस्‍त प्रहार किए जाने की जरूरत है।

आपको बता दें कि हूथी विद्रोहियों ने इस तरह का हमला सऊदी अरब पर पहली बार नहीं किया है। यमन और सऊदी अरब में काफी लंबे समय से संघर्ष चल रहा है। सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन का लक्ष्य यमन में हूथी विद्रोहियों को हराना है। इस गठबंधन में ज्यादातर अरब जगत के सुन्नी बहुल देश हैं जिसमें कतर, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मिस्र जोर्डन, मोरोक्को, सूडान और सेनेगल शामिल हैं।

इनमें से कुछ देश केवल हवाई हमलों में हिस्सा लेते हैं लेकिन कुछ देशों ने ज़मीनी मोर्चे पर भी लड़ने के लिए अपनी फौज भेजी है।सऊदी अरब के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय गठबंधन सेना को अमरीका, ब्रिटेन और फ्रांस से भी खुफिया और अन्य सैनिक सहायता मिलती रहती है।

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