कोरोना से प्रभावित खाड़ी के तीन देशों में शामिल है सऊदी अरब, ओमान और यूएई
खाड़ी देशों में सऊदी अरब में सबसे अधिक कोरोना वायरस के मरीज हैं। वहीं यूएई जहां सबसे अधिक भारतीय हैं वो इस सूची में तीसरे नंबर पर है।
नई दिल्ली। पूरी दुनिया की तरह ही खाड़ी देशों में भी कोरोना वायरस लगातार पांव पसार रहा है। इसकी वजह से यहां पर आर्थिक गिरावट दर्ज की गई है। आपको बता दें कि खाड़ी देशों में आने वाले सात देशों में कोरोना वायरस की मार सबसे अधिक सऊदी अरब को सहनी पड़ रही है। यहां पर इसके अब तक 39048 मरीज सामने आ चुके हैं जबकि 246 मरीजों की मौत भी हो गई है। वहीं दूसरे नंबर पर कतर है जहां अब तक 22520 मरीज सामने आए हैं और 14 मरीजों की मौत हुई है। तीसरे पर यूएई है जहां अब तक कुल 18198 मामले सामने आ चुके हैं और 198 मरीज इसकी वजह से अपनी जान गंवा बैठे हैं।
इस फहरिस्त में चौथे नंबर पर कुवैत है जहां 8688 मामले सामने आए हैं और 58 मरीज की जान जा चुकी है। पांचवें नंबर पर बहरीन में 4941 मरीज हैं और आठ की मौत हो चुकी है। छठे नंबर पर ओमान में 3573 मरीज हैं और 17 लोगों की जान अब तक जा चुकी है। सातवें और आखिरी नंबर पर इस लिस्ट में इराक है जहां 2767 मामले अब तक सामने आए हैं और 109 मरीजों की मौत हो चुकी है।
मौतों के मामले में खाड़ी देशों में पहले नंबर पर सऊदी अरब, फिर यूएई, इराक, कुवैत, ओमान, कतर और अंत में बहरीन है। यहां पर सबसे अधिक मामले जहां सऊदी अरब में हैं तो वहीं सबसे कम मामले बहरीन में हैं। खाड़ी देशों में कोरोना से हुई मौतों के मामले में भी बहरीन आखिरी नंबर पर है। मिडिल ईस्ट इंस्टिट्यूट के मुताबिक मुताबिक भारतीयों के लिए खाड़ी देशों में सबसे पहली पसंद यूएईहैं। इसके बाद सऊदी अरब, कतर, ओमान, कुवैत और बहरीन है।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि खाड़ी देशों में शामिल सात देशों में से इराक को छोड़कर सभी छह देश गल्फ को-ऑपरेशन काउंसिल जीसीसी) के सदस्य हैं। आपको यहां पर ये भी बता दें कि खाड़ी देशों में विदेशियों की भी संख्या काफी दा है। ये विदेशी यहां पर ज्यादातर विभिन्न क्षेत्रों में दी जाने वाली सर्विस से जुड़े हैं। इनमें ज्यादातर मजदूर, टैक्सी ड्राइवर, डाक्टर, होम सर्विस प्रोवाइडर, शॉपिंग माल्स में काम करने वाले या दूसरी हॉस्पिटेलिटी सर्विस से जुड़े हैं।
जीसीसी के मुताबिक सऊदी अरब करीब एक करोड़ विदेशियों का घर है तो वहीं, ओमान, बहरीन और कुवैत में दो तिहाई और यूएई में कुल आधी आबादी से भी अधिक विदेशी हैं जो विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े हैं। इस पूरे क्षेत्र में करीब 30 फीसद पाकिस्तानी और भारतीय हैं। यहां पर भारतीयों की संख्या का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हाल ही में कोरोना वायरस के मद्देनजर भारत सरकार ने जब यहां से अपने लोगों को स्वदेश वापस लाने का फैसला किया तो सिविल एविएशन की वेब साइट क्रेश कर गई थी।
हवाई माग से जाने के लिए करीब 15 हजार और समुद्री मार्ग से जाने के लिए करीब 2 लाख लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया था। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2018 में खाड़ी देशों से 78 बिलियन डॉलर भारत भेजे गए थे। यहां पर बसे 3 करोड़ विदेशियों में से 80 लाख केवल भारतीय ही हैं। खाड़ी देशों में भारतीयों की इतनी बड़ी संख्या के बाबत जानकार मानते हैं कि 4 अरब भारतीयों को देश में ही नौकरियां उपलब्ध करवाना लगभग नामुमकिन है। इसलिए भारतीयों की एक बड़ी संख्या दुनिया के अमीर देशों में जिनमें खाड़ी देश भी शामिल हैं, की तरफ कूच कर जाती है।
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच अब इन खाड़ी देशों में विदेशी मजदूरों को देश से बाहर करने पर चर्चा जोर पकड़ रही है। खाड़ी देश भी अब इस तरफ विचार कर रहैं। इसके अलावा ये देश अब अपनी अर्थव्यवस्था को केवल तेल पर ही केंद्रित नहीं रहने देना चाहते हैं। यही वजह है कि ये देश दूसरे विकल्प तलाश करने में काफी समय से जुट गए हैं। इतना ही नहीं विदेशी मजदूरों से भी अब ये देश खुद को दूर कर लेना चाहते हैं। इसके साथ ही ये देश अपने नागरिकों को उसके लिए अभी से तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए इन्हें कई तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है।
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