जानिए आखिर भारत के लिए क्यों खास हैं खाड़ी देश, पीएम का दौरा आज से शुरू
पीएम मोदी आज तीन देशों की यात्रा पर रवाना हो गए हैं। यह तीनों देश भारत की कूटनीति और राजनीति दोनों ही लिहाज से काफी अहम हैं।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। प्रधानमंत्री नौ फरवरी को चार देशों की यात्रा के लिए रवाना हो गए। इनमें जोर्डन, फलस्तीन, यूएई और ओमान शामिल हैं। खाड़ी देशों में शामिल यूएई और ओमान कई लिहाज से भारत के लिए खास हैं। इसके अलावा जहां तक फलस्तीन की बात है यहां से भारत का व्यापारिक से ज्यादा दोस्ताना संबंध है। कूटनीतिक लिहाज से मोदी की इस यात्रा को बहुत अहमियत वाला माना जा रहा है। भारत और यूएई के बीच होने वाले व्यापार को 2020 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। हाल के दिनों में जिस तरह से भारत और इजरायल के रिश्तों में गर्माहट देखी गई है, उसके मद्देनजर भारत अपने इन पारंपरिक और कूटनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण देशों के बीच कोई गलत संकेत नहीं देना चाहता। यही वजह है कि मोदी की इस यात्रा से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सऊदी अरब का भी दौरा किया था।
सुषमा का सऊदी अरब दौरा
यहां पर उन्होंने वह प्रतिष्ठित राष्ट्रीय धरोहर एवं संस्कृति महोत्सव जनाद्रिया का उद्घाटन किया था। नेशनल गार्ड द्वारा आयोजित इस महोत्सव में भारत को मुख्य अतिथि बनाया गया था। इसमें सऊदी अरब की संपन्न संस्कृति और धरोहर की झलक दिखाई गई थी। बीते कुछ समय में सऊदी अरब ने जिस तरह से बड़े फैसले लेकर पूरी दुनिया खासतौर पर मुस्लिम देशों को चौंकाने का काम किया है वह बेहद काबिले तारीफ है। सऊदी अरब में बदलाव की बयार और कट्टरपंथी देश की छवि को दूर करने की उसकी पॉलिसी साफतौर पर दिखाई दे रही है।
पीएम मोदी ने किया ट्वीट
पीएम मोदी ने खुद ट्वीट कर कहा है कि ओमान से भारत के किस कदर घनिष्ट संबंध हैं। उन्होंने इसमें लिखा है कि वह वहां रह रहे भारतीयों से भी मुलाकात करेंगे। उनके मुताबिक उनकी यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों को और अधिक मजबूत करने में सहायक साबित होगी। पीएम मोदी वहां पर ओमान के सुल्तान से मुलाकात करेंगे। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि यूएई में वह कई कंपनियों के सीईओ से मुलाकात करेंगे और उन्हें भारत में निवेश का मौका देंगे। वह वहां पर एक सम्मेलन को भी संबोधित करेंगे। उन्होंने अपनी इस यात्रा को लेकर कई ट्वीट किए हैं।
मंदिर का शिलान्यास
मोदी की यूएई यात्रा इस वजह से आने वाले दिनों में याद की जाएगी कि वहां बनने वाले मंदिर का शिलान्यास वह करने जा रहे हैं। मंदिर निर्माण का आग्रह यूएई में रहने वाले लाखों भारतीय वहां के शासकों से कर रहे थे। 2015 में जब मोदी वहां गए थे, तब इस प्रस्ताव को स्वीकार किया गया था। अब सारी मंजूरियां मिल चुकी हैं। इस मंदिर के लिए जगह भी सुनिश्चित की जा चुकी है। मोदी अबु धाबी से इसका वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये शिलान्यास करेंगे। विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव मृदुल कुमार के मुताबिक, ‘मंदिर के लिए अबु धाबी और दुबई के बीच एक बड़ी जगह दी गई है। यह एक भव्य और बहुत बड़ा मंदिर होगा।’ यह यूएई का दूसरा मंदिर होगा। तीन दिवसीय प्रवास में पीएम मोदी हर दिन वहां के स्थानीय सीईओ के समूहों से मुलाकात करेंगे। पीएम मोदी की यूएई की यह दूसरी यात्रा होगी।
यूएई से बढ़ा है निवेश
जहां तक यूएई की बात है तो आपको बता दें कि पीएम मोदी अपनी इस यात्रा में वहां के निवेशकों को भारत में निवेश करने की सलाह देंगे। यहां पर यह भी बता देना जरूरी होगा कि हाल के दिनों में यूएई की तरफ से भारत में होने वाला निवेश तेजी से बढ़ रहा है। पिछले चार वर्षो में यूएई की तरफ से भारत में चार अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और छह अरब डॉलर का पोर्टफोलियो निवेश हुआ है। वहीं यूएई ने भारत में 25 अरब डॉलर के नए निवेश की बात की है। इसके अलावा ओमान की तरफ से भी लगातार निवेश बढ़ रहा है।
क्षेत्रीय राजनीति पर ध्यान
ऑब्जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत भी मानते हैं कि पीएम मोदी की यह यात्रा काफी अहम है। उनके मुताबिक तीन वर्षों में पीएम की यूएई की दूसरी यात्रा यह बताती है कि हमारे संबंध किस तेजी के साथ सुधर रहे हैं। हाल के कुछ वर्षों में भारत और यूएई के बीच हाल के कुछ वर्षों में व्यापार बढ़ा हैइसको बढ़ाने का प्रयास पीएम मोदी अपनी यात्रा के दौरान न सिर्फ यूएई बल्कि ओमान से भी करेंगे। उनके मुताबिक यह यात्रा देशों की क्षेत्रीय राजनीति के लिहाज से भी काफी मायने रखती है। मिडिल ईस्ट की यदि हम बात करते हैं तो वहां पर बसे लाखों भारतीय हर वर्ष विदेशी मुद्रा भारत भेजते हैं।
काफी खास है यात्रा
प्रोफेसर पंत का यह भी कहना है कि इस बार यह यात्रा इस लिहाज से भी काफी खास है क्योंकि यूएई में पीएम मोदी एक मंदिर की आधारशिला रखने वाले हैं। इसके अलावा कुछ समय के बाद ईरान के राष्ट्रपति भी भारत आने वाले हैं। यहां पर यह समझना बेहद जरूरी है कि हाल के कुछ समय में इस क्षेत्र में शिया सुन्नी का मामला काफी बढ़ गया है। लिहाजा भारत की कोशिश यह होगी कि वह इस बाबत न्यूट्रल रहते हुए इन सभी देशों को यह समझा पाए कि वह किसी एक देश के साथ नहीं है। फलस्तीन की यात्रा पर प्रोफेसर पंत का कहना था कि येरुशलम के मुद्दे पर भारत ने इजरायल के खिलाफ जाकर वोट दिया था। इसके बाद भी इजरायल के राष्ट्राध्यक्ष भारत आए। यह सब बताता है कि भारत के संबंध दूसरे मुल्कों के साथ किस तरह से प्रगाढ़ हुए हैं।
भारत के लिए खास है खाड़ी क्षेत्र
यूएई के बाद मोदी ओमान जाएंगे। वहां वह सुल्तान काबूस ग्रैंड मस्जिद और प्राचीन शिव मंदिर जाएंगे। मोदी की तीन देशों की यात्रा का महत्व बहुत व्यापक है। खाड़ी क्षेत्र आर्थिक और रणनीतिक वजहों से बेहद महत्वपूर्ण बन चुका है। खाड़ी के देशों में रहने वाले भारतीयों की संख्या हाल के वर्षो में 60 लाख से बढ़कर 90 लाख से ज्यादा हो चुकी है। ये लोग सालाना भारत को 35 अरब डॉलर की राशि भेजते हैं। इससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ रहा है। इसका देश की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ता है। इसके अलावा भारत की कुल ऊर्जा जरूरतों का 60 फीसद इस क्षेत्र के देशों से प्राप्त किया जाता है।
दूसरे देशों में कच्चे तेल के भंडार बनाएगा भारत
भारत की योजना है कि वह न सिर्फ खाड़ी के तेल उत्पादक देशों को यहां तेल भंडारण की सुविधा उपलब्ध कराए, बल्कि इन देशों की कंपनियों के साथ मिलकर दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी तेल भंडारण के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित करवाए। इसको लेकर पीएम मोदी की इस आगामी यात्रा में भारत और यूएई की कंपनियों के बीच इस बारे में एक अहम समझौता भी होगा। यह इस लिहाज से भी खास है क्योंकि अबु धाबी नेशनल ऑयल कंपनी ने पिछले वर्ष भारत में बनाए जा रहे तीन तेल भंडारों में रुचि दिखाई थी।
भंडारण क्षमता विकसित करने की कवायद
पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के मद्देनजर इसके भंडारण के कारोबार के प्रति एक बार फिर दूसरे देशों का रुझान पैदा हुआ है। भारत में पुडुर (केरल), विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) और मंगलोर (कर्नाटक) में तीन भंडारण क्षमता का काम तकरीबन पूरा हो चुका है। इनमें तकरीबन 60 लाख टन कच्चा तेल रखा जा सकता है। इनमें से दो की शुरुआत हो चुकी है। पिछले वर्ष वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2017 में ओडिशा और राजस्थान में दो नई भंडारण क्षमता विकसित करने का एलान किया था। इसके अलावा सरकार की योजना गुजरात में भी एक भंडारण क्षमता विकसित करने की है। इन तीनों पर काम चल रहा है। इन्हें सरकारी तेल कंपनियों की हिस्सेदारी से मिलाकर तैयार की गई इंडियन स्ट्रैटिजिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड नाम की कंपनी बनाती है।
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