इस बार योंगप्योंग विंटर ओलंपिक बदल देगा कोरियाई प्रायद्वीप के दो देशों की कहानी!
कोरियाई प्रायद्वीप के दो देश उत्तर और दक्षिण कोरिया विंटर ओलंपिक के दौरान रिश्तों की नई कहानी गढ़ रहे हैं। लेकिन दूसरी ओर कुछ देश अनिश्चितता में घिरे हैं।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। दक्षिण कोरिया के योंगप्योंग शहर में विंटर ओलंपिक की शुरुआत हो चुकी है। यह 9 से 25 फरवरी तक चलेंगे। इस बार यहां हो रहा ओलंपिक कई मायनों में बेहद खास हो गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कोरियाई प्रायद्वीप के दो विरोधी देश आपस में एक ही झंडे के नीचे इस ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं। यह देश हैं दक्षिण और उत्तरी कोरिया। ओलंपिक की शुरुआत से पहले यहां पर आईं उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन और वहां की संसद के अध्यक्ष किम योंग का दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे ने काफी गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। इतना ही नहीं मून उत्तर कोरिया से आए खेल प्रतिनिधियों से भी मुलाकात करेंगे। इसको भले ही एक सामान्य घटना माना जा सकता है लेकिन हकीकत ये है कि यह सामान्य नहीं बल्कि बेहद खास घटना है।
किम की बहन के लिए खास छूट
विंटर ओलंपिक को दोनों देशों के बीच पैदा हुई कड़वाहट को कम करने का जरिया माना जा सकता है। दोनों का एक झंडे के नीचे आना, किम का अपनी टीमों को इसके लिए भेजना और मून का उत्तर कोरिया से आए नेताओं का स्वागत करना तो यही सब बयां कर रहा है। इसके अलावा यहां पर एक चीज और खास हुई है और वो है किम की बहन को नियमों से आगे जाकर छूट देना। दरअसल, किम यो जोंग निजी विमान से शुक्रवार को इंचेन एयरपोर्ट पहुंची हैं। उत्तर कोरिया पर लगे प्रतिबंधों के बावजूद किम यो जोंग को ये खास छूट दी गई थी। किम यो-जोंग पूर्व उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग-इल की सबसे छोटी बेटी हैं। पिछले साल उनकी राजनीतिक भूमिका बड़ी करते हुए उन्हें पोलितब्यूरो में शामिल किया गया था। उत्तर कोरियाई समाचार एजेंसी केसीएनए के मुताबिक देश का प्रतिनिधिमंडल विंटर ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के अलावा दक्षिण कोरियाई नेताओं से जरूरी बातचीत कर सकता है।
चीन ने किया स्वागत
कोरियाई देशों के इस तरह से करीब आने का कई देशों ने स्वागत भी किया है। बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग ई ने कहा कि समस्या के समाधान की दिशा में विंटर ओलंपिक शुरुआत साबित हो सकता है। लेकिन कुछ देश इसको लेकर अनिश्चितता से भी घिर गए हैं। इनमें जापान और अमेरिका शामिल है। हालांकि अमेरिका इसको लेकर अपनी पीठ भी थपथपा रहा है। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि इसके लिए अमेरिका ने काफी काम किया है। आपको यहां पर बता दें कि अमेरिका की तरफ से उप-राष्ट्रपति माइक पेंस इस विंटर ओलंपिक में शिरकत करेंगे। कहा ये भी जा सकता है कि यह पहला मौका है जब उत्तर कोरिया और अमेरिका के बड़े नेता एक दूसरे के सामने होंगे। लेकिन इस दौरान इनमें आपसी बातचीत होने की संभावना जीरो है।
घातक हथियारों के विकास से हटना होगा
उत्तर कोरिया ने साफ कर दिया कि अमेरिका के साथ वार्ता की फिलहाल उसकी कोई योजना नहीं है। वहीं उप-राष्ट्रपति माइक पेंस ने कहा कि उत्तर कोरिया को लेकर उनके देश के सभी विकल्प खुले हैं। दक्षिण कोरिया आने से पहले जापान में पेंस ने यहां तक कहा कि यदि उत्तर कोरिया घातक हथियारों के विकास से पीछे नहीं हटा तो उस पर आक्रामक तरीके से और कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे। पेंस ने कहा कि अमेरिका कोरियाई प्रायद्वीप की समस्या का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है लेकिन इसे अमेरिका की कमजोरी न माना जाए।
ओलंपिक से पहले ही सैन्य परेड
उत्तर कोरिया ने अपनी सेना के स्थापना दिवस पर प्योंगयांग में अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्षो की तुलना में परेड का आकार छोटा था लेकिन उसमें ज्यादातर घातक हथियार प्रदर्शित किए गए। ये सालाना प्रदर्शन आमतौर पर अप्रैल में कोरियाई पीपल्स आर्मी के स्थापना दिवस के मौके पर होता है, पिछले 40 सालों में ये पहली बार है जब इसका आयोजन अप्रैल के बजाय फरवरी में किया गया था। लेकिन ओलंपिक की शुरुआत से पहले इस सैन्य परेड का होना यह भी संदेश दे रहा है कि कहीं न कहीं किम ऐसा करके अपनी ताकत का अंदाजा दक्षिण कोरिया समेत दूसरे देशों को करा देना चाहते हैं। विंटर ओलंपिक में क्योंकि कई देश शामिल हैं इस लिहाज से यह संदेश देने का यह समय काफी सही है। हालांकि उत्तर कोरिया यह भी साफ कर चुका है कि यदि अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने युद्धाभ्यास किया तो यह सही नहीं होगा। ऐसे में वह भी चुप नहीं बैठेगा।
विंटर ओलंपिक से उम्मीद
दक्षिण कोरिया के साथ प्रस्तावित युद्धाभ्यास पर उत्तर कोरिया की चेतावनी के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को उम्मीद है कि विंटर ओलंपिक में प्रतिबंधित देश की सहभागिता से कुछ अच्छा सामने आएगा। उनका कहना है कि विंटर ओलंपिक में उत्तर कोरिया का भाग लेना दर्शाता है कि कोरियाई प्रायद्वीप की समस्या खत्म हो सकती है। नवंबर से उत्तर कोरिया ने कोई परीक्षण नहीं किया है। एक जनवरी से वह दक्षिण कोरिया से वार्ता प्रक्रिया में जुड़ा है। वर्षो से व्याप्त तनाव में इस दौर में कमी आई है। आने वाले समय में भी सकारात्मक घटनाएं होने की उम्मीद है। हम इसी सोच के साथ चल रहे हैं। यह बहुत ज्यादा ध्यान देने वाली स्थिति है।
म्यांमार और उत्तर कोरिया के बीच सांठगांठ
ट्रंप ने अपने बयान में इस स्थिति पर ध्यान देने की बात शायद इसलिए भी कही क्योंकि एक रिपोर्ट में कहा गया है उत्तर कोरिया सीरिया और म्यांमार के साथ बैलेस्टिक मिसाइल टेक्नोलॉजी और रासायनिक हथियार बनाने की तकनीक साझा कर रहा है। उत्तर कोरिया और सीरिया के बीच बीते पांच साल में माल का बड़ा लेन-देन होने की जानकारी भी सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दोनों के बीच कम से कम 40 बार जहाज आए-गए। इतना ही नहीं प्रतिबंधों के बावजूद उत्तर कोरिया ने कई तरह की वस्तुओं के निर्यात से वर्ष 2017 में 20 करोड़ डॉलर (करीब 1300 करोड़ रुपये) कमाए हैं। उत्तर कोरिया ने अशांत सीरिया और म्यांमार में हथियारों की भी आपूर्ति की।
संयुक्त राष्ट्र निगरानी दल की रिपोर्ट
यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र निगरानी दल की गोपनीय रिपोर्ट में सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर कोरिया ने रूस, चीन, दक्षिण कोरिया, मलेशिया और वियतनाम को मुख्य रूप से वस्तुओं की आपूर्ति की। जो माल निर्यात किया गया उसमें कोयला मुख्य था। इसके अतिरिक्त पारा, वस्त्र, समुद्री खाद्य पदार्थ और अन्य खनिज अयस्क शामिल थे। इस निर्यात के बदले में मुद्रा लेने के साथ ही उत्तर कोरिया ने कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पाद भी प्राप्त किए।
उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध
उल्लेखनीय है कि सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया पर सन 2006 से प्रतिबंध लगा रखे हैं। इसके बाद 2017 तक इन प्रतिबंधों को और कड़ा किया गया है। ताजा प्रतिबंधों में उत्तर कोरिया को तेल आपूर्ति बहुत सीमित कर दी गई है। साथ ही उसके साथ बैंकिंग संबंध को खत्म कर दिया गया। इसके चलते उसके साथ होने वाला व्यापार भी लगभग खत्म हो गया है। उत्तर कोरिया ने इस रिपोर्ट पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। लेकिन चीन और रूस ने कहा है कि वे सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों का पूरी गंभीरता के साथ पालन कर रहे हैं।
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