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चीन में खोदाई में मिला सबसे बड़ा ताओवादी मंदिर का खंडहर, 1930 में हुआ था तबाह

पुरातत्वविदों ने पूर्वी चीन के जिआंग्शी प्रांत के लोंघु माउंटेन की तलहटी में पांच हजार वर्ग मीटर में निर्मित पैलेस को खोद निकाला है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 22 Jan 2018 09:39 AM (IST)Updated: Mon, 22 Jan 2018 12:25 PM (IST)
चीन में खोदाई में मिला सबसे बड़ा ताओवादी मंदिर का खंडहर, 1930 में हुआ था तबाह

बीजिंग (प्रेट्र)। चीन में चार साल की खोदाई के बाद सबसे बड़े ताओवादी मंदिर के खंडहर को खोज निकाला गया है। इस मंदिर का निर्माण सांग वंश (साल 960 से 1279) में किया गया था और साल 1930 में आग में ध्वस्त होने तक इसमें पूजा होती थी। पुरातत्वविदों ने भी चीन के इस सबसे बड़े मंदिर के स्थान की पुष्टि की है।

चीन के नेशनल म्यूजियम के पुरातत्वविद शिन लिक्सियांग ने बताया कि ग्रेट शांगकिंग पैलेस चीनी इतिहास के कई सम्राटों के लिए पूजा स्थल और ताओ धर्म के ङोंगई संप्रदाय के लिए प्रमुख स्थान था। पुरातत्वविदों ने पूर्वी चीन के जिआंग्शी प्रांत के लोंघु माउंटेन की तलहटी में पांच हजार वर्ग मीटर में निर्मित पैलेस को खोद निकाला है। यह पैलेस चीनी ताओवादी मास्टर को समर्पित किया गया था।

ताओ धर्म के ङोंगई संप्रदाय की स्थापना झांग डाओलिंग ने की थी। वह मास्टर झांग के नाम से जाने जाते थे। माना जाता है कि वह लोंघु माउंटेन में निवास किया और यहीं से ताओवादी की शुरुआत की थी। झांग ताओवादी मंदिर का निर्माण मूल रूप से पहाड़ी के शिखर पर हान वंश (ईसा पूर्व 202 से 220 ई.) में किया गया था। बाद में सांग वंश के दौरान पहाड़ी के नीचे झांग को समर्थित ताओवादी पैलेस को निर्माण किया गया। यह पैलेस साल 1930 में आग में तबाह हो गया था। 

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