चीन में चिनफिंग के 'नए युग' से सहमे मानवाधिकार कार्यकर्ता
वर्ष 2012 में राष्ट्रपति बनने के बाद से चिनफिंग सिविल सोसाइटी पर दबाव बढ़ाते गए। प्रदर्शनकारियों से लेकर मानवाधिकार वकीलों, शिक्षकों और ब्लॉगरों को निशाना बनाया गया।
बीजिंग, एएफपी। चीन में राष्ट्रपति शी चिंनफिंग के दूसरे कार्यकाल पर जब मुहर लगी तो उन्होंने कहा कि उनके देश ने 'नए दौर' में प्रवेश किया है। लेकिन उनका यह बयान मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को रास नहीं आया है। उन्हें इस बात की आशंका है कि इस नए दौर में उन पर दमनकारी कार्रवाई और बढ़ सकती है।
वर्ष 2012 में राष्ट्रपति बनने के बाद से चिनफिंग सिविल सोसाइटी पर दबाव बढ़ाते गए। प्रदर्शनकारियों से लेकर मानवाधिकार वकीलों, शिक्षकों और ब्लॉगरों को निशाना बनाया गया। चिनफिंग ने कम्युनिस्ट पार्टी के महासम्मेलन में साफ कर दिया कि इस 'नए युग' के दौरान देश के मामलों के नियंत्रण में ढील नहीं दी जाएगी।
उन्होंने चीन को 2050 तक महाशक्ति बनाने की इच्छा भी जताई। सामाजिक तनाव और समस्याओं के मामले में कानून के तहत कड़ाई से निपटने का निर्देश दिया। चिनफिंग ने हांगकांग और स्वशासित ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करने वालों को आगाह भी किया। उन्होंने कहा, 'हम किसी को भी अपने किसी भी हिस्से को चीन से अलग करने की अनुमति नहीं देंगे।'
ज्ञात हो कि सरकार ने हाल के वर्षो में राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर इंटरनेट नियंत्रण के लिए कई कानून बनाए और कई तरह के उपाय किए। हांगकांग में कई लोकतंत्र समर्थकों को गिरफ्तार किया गया। ओवरसीज चाइनीज ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स ग्रुप के शोधकर्ता फ्रांसिस इवा ने कहा, 'चिनफिंग द्वारा स्वीकृत किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा के कानूनों के दम पर पुलिस सरकारी नीतियों की आलोचना करने वालों पर कार्रवाई कर सकती है। कड़ी कार्रवाई, गिरफ्तारियां, लोगों की निगरानी और सेंसरशिप के मामले बढ़ सकते हैं।'
2015 में दो सौ से ज्यादा गिरफ्तार
साल 2015 में पुलिस कार्रवाई में दो सौ से ज्यादा चीनी मानवाधिकार वकीलों और प्रदर्शनकारियों को पकड़ा गया या पूछताछ की गई।
नोबेल विजेता पर नरमी नहीं
चीनी अधिकारियों ने लोकतंत्र समर्थक और नोबेल पुरस्कार विजेता ली शाओबो को रिहा करने के अंतरराष्ट्रीय समुदाय के आग्रह को नजरअंदाज कर दिया था। कैंसर के चलते उनकी इस साल जुलाई में मौत हो गई। वह साल 2009 से जेल में बंद थे।
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