यूरोप को मिटाने में जुटा रूस, जानें- राष्ट्रपति पुतिन का बिग मिशन
खुफिया एजेंसी यूनिट का मकसद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पश्चिमी देशों के खिलाफ छेड़े गए अभियान को पूरा करना है।
वाशिंगटन एजेंसी । रूस अपनी खुफिया एजेंसी Russia intelligence services के बूते यूरोप को अस्थिर करने के अभियान में जुटा है। उसके खुफिया एजेंट यूरोप के देशों में हत्या कराने से लेकर सरकार का तख्तापलट कराने में शामिल हैं। यह कहना है कि पश्चिमी देशों के सुरक्षा अधिकारियों का। आखिर क्या है इसके पीछे का सच।पश्चिमी देशों का क्या है आधार।
रूसी खुफिया एजेंटों के कारनामें
- अधिकारियों ने रूसी खुफिया एजेंटों के कारनामे भी गिनाए। अधिकारियों का कहना है कि सोवियत गणराज्य का हिस्सा रहे पूर्वी यूरोप के देश मोलडोवा में सबसे पहले अस्थिरता फैलाने का अभियान चलाया गया। उसके बाद बुल्गारिया में हथियार के एक डीलर को जहर दिया गया। फिर दक्षिणपूर्वी यूरोप के देश मोंटनेग्रो में तख्ता पलट कर दिया गया।
- पिछले साल ब्रिटेन में रूस के एक पूर्व खुफिया एजेंट को जहर देकर मारने की कोशिश की गई। ये सारे मामले रूस की खुफिया एजेंसियों की तरफ इशारा करते थे, लेकिन अधिकारियों ने शुरू में इन्हें अलग-अलग हमलों के रूप में लिया। लेकिन अब पश्चिमी सुरक्षा अधिकारियों ने अपने आकलन में पाया है कि इस सारे मामले एक दूसरे से जुड़े थे।
- इन घटनाओं को रूसी खुफिया एजेंसी की एक बहुत ही दक्ष इकाई द्वारा यूरोप को अस्थिर करने के लिए चलाए गए अभियान के तहत अंजाम दिया गया। रूसी खुफिया एजेंसी की इस इकाई की पहचान यूनिट 29155 के रूप में हुई है। यद्यपि की यह इकाई पिछले एक दशक से सक्रिय है, लेकिन पश्चिमी अधिकारियों को हाल में इसके बारे में पता चला है।
व्लादिमीर पुतिन के पश्चिमी देशों के खिलाफ अभियान
अधिकारियों की मानें तो इस यूनिट का मकसद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पश्चिमी देशों के खिलाफ छेड़े गए अभियान को पूरा करना है। पुतिन के इस अभियान में सैन्य कार्रवाई के साथ ही साथ पश्चिमी देशों के खिलाफ झूठा प्रचार, हैकिंग हमले और गलत सूचना फैलाना शामिल है। पुतिन के प्रवक्ता डीमित्री पेसकोव से मैसेज भेजकर सवाल किया तो उन्होंने रूसी रक्षा मंत्रालय से सवाल करने को कहा और मंत्रालय ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यह यूनिट रूसी खुफिया एजेंसी जीआरयू तहत काम करती है।
यूनिट 29155 के अधिकारी बिना रोकटोक यूरोप के देशों में आते जाते रहते हैं। इनमें अफगानिस्तान, चेचेन्या और यूक्रेन में रूस की तरफ से लड़ाई लड़ने वाले कुछ पूर्व सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं। पश्चिमी खुफिया एजेंसियों के आकलन के मुताबिक इस यूनिट का अभियान इतना गुप्त रहता है कि जीआरयू के ज्यादातर दूसरे एजेंटों को इसके अस्तित्व के बारे में जानकारी तक नहीं है।
फरवरी में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में ब्रिटेन की विदेशी खुफिया एजेंसी एमआइ6 के प्रमुख एलेक्स यंगर ने पत्रकारों से बातचीत में रूस की तरफ से बढ़ते खतरे को लेकर आगाह किया था और किसी यूनिट का नाम लिए बिना समन्वय की तरफ इशारा किया था। जीआरयू के एक रिटायर्ड अधिकारी ने कहा था कि यूनिट 29155 बमबारी से लेकर हत्याएं तक कराती है।
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