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अमेरिका ने दिखाया पाकिस्तान को आईना, पीएम इमरान को बताया सेना की कठपुतली

अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार इमरान खान के कार्यकाल के दौरान विदेश और सुरक्षा नीतियों पर प्रभावी रूप से पाकिस्तानी सेना हस्तक्षेप कर रही है।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 09:52 AM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 11:56 AM (IST)
अमेरिका ने दिखाया पाकिस्तान को आईना, पीएम इमरान को बताया सेना की कठपुतली
अमेरिका ने दिखाया पाकिस्तान को आईना, पीएम इमरान को बताया सेना की कठपुतली

वाशिंगटन, पीटीआइ। इमरान खान जब पिछले साल प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने पाकिस्तान को नया पाकिस्तान बनाने की बात कही थी, लेकिन उनकी ये बात अभी तक हवा-हवाई ही साबित हुई है और वे सेना की कठपुतली बनकर काम कर रहे हैं। इसका खुलासा एक अमेरिकी रिपोर्ट में हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार इमरान खान के कार्यकाल के दौरान विदेश और सुरक्षा नीतियों पर प्रभावी रूप से पाकिस्तानी सेना हस्तक्षेप कर रही है।   

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शरीफ को सत्ता से हटाने लिए घरेलू राजनीति में छेड़छाड़ 
यह रिपोर्ट कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) द्वारा तैयार की गई है। इसे अमेरिकी सांसदों के लिए बनाया गया है। इसमें कहा गया है कि खान को उनके मौजूदा कार्यकाल से पहले सरकार चलाने का कोई अनुभव नहीं था। विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसी ने नवाज शरीफ को सत्ता से हटाने लिए घरेलू राजनीति में छेड़छाड़ किया। इस वजह से इमरान खान प्रधानमंत्री बने। 

सेना का विदेशी और सुरक्षा नीतियों पर प्रभाव
इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इमरान की 'नया पाकिस्तान' के विजन पर वित्तीय संकट से पानी फिर गया है। यह विजन बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल और देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने को लेकर है। अधिकांश विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तानी सेना का विदेशी और सुरक्षा नीतियों पर प्रभाव जारी है। सीआरएस अमेरिकी कांग्रेस का एक स्वतंत्र अनुसंधान विंग है, जो सांसदों के लिए कई मुद्दों पर समय-समय पर रिपोर्ट तैयार करता है।

सेना-न्यायपालिका ने साठगांठ की
सीआरएस ने कहा कि कई विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसी ने नवाज शरीफ को सत्ता से हटाने और उनके पार्टी को कमजोर करने के लिए चुनाव से पहले और इसके दौरान घरेलू राजनीति में छेड़छाड की। इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इमरान खान की पार्टी का समर्थन करने के लिए कथित रूप से सेना-न्यायपालिका ने साठगांठ की। चुनाव के दौरान लोकतांत्रिक मानदंडों का भी उल्लंघन किया गया।

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