वाशिंगटन (पीटीआई)। विश्व भर में कोरोना वायरस एक बार फिर से पैर पसार रहा है। इसी बीच शोधकर्ताओं ने एक ऐसा मॉलिक्यूल विकसित किया है जिससे इस वायरस को फैलने से रोका जा सकता है। शोधकर्ताओं ने एक मॉलिक्यूल विकसित किया है, जिन्हें कोरोना वायरस को फेफड़ों में प्रवेश करने और संक्रमण पैदा करने से रोकने के लिए नाक में छिड़का जा सकता है। बता दें कि जब लोग सांस लेते हैं तो कोविड-19 वायरस फेफड़ों के माध्यम से शरीर में चला जाता है, जिसके परिणामस्वरूप बीमारी होती है।

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ऐसे करेगा काम

अमेरिका में जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के इंजीनियरों ने सुपरमॉलेक्यूलर फिलामेंट्स कहे जाने वाली एक किस्म की मॉलिक्यूल बनाई है, जो वायरस को उसके रास्ते में आने से रोकने में सक्षम हैं। जॉन्स हॉपकिन्स व्हिटिंग स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में एक एसोसिएट प्रोफेसर हांगगैंग कुई ने कहा कि यह फिलामेंट्स हमारे वायुमार्ग में सेल्स को पकड़ने से पहले ही कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए स्पंज की तरह काम करेंगे।

उन्होंने यह भी बताया कि स्प्रे सार्वजनिक स्थान पर लोगों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं, जहां संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है। यह वायरस को एक या दो घंटे के लिए रोक सकता है।

एसीई2 के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है कोरोना

बता दें कि फिलामेंट्स में एक रिसेप्टर होता है, जिसे एंजियोटेंसिन कन्वर्टिंग एंजाइम-2 या एसीई2 कहा जाता है। यह नाक की परत, फेफड़े की सतह और छोटी आंत की कोशिकाओं में पाया जाता है। कोरोना वायरस मुख्य रूप से इस रिसेप्टर के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करता है।

दरअसल, वायरस इस रिसेप्टर में उसी तरह जाता है जैसे कोई चाबी ताले में जाती है। एक बार जब वायरस कोशिका में बंद हो जाता है, तो यह सेल को अपने सामान्य कार्यों को करने से रोकता है, जिससे संक्रमण बढ़ जाता है।

FACE2 नाम का फिलामेंट विकसित

टीम ने FACE2 नाम से एक नया फिलामेंट विकसित किया है। यह वायरस को रोकने के लिए एक डिकॉय बाइंडिंग साइट के रूप में कार्य करता है। इसमें हर फिलामेंट कोरोना के लिए कई रिसेप्टर्स की पेशकश करते हैं और संभावित दुष्प्रभावों से बचने के लिए एसीई2 के जैविक कार्यों को शांत करते हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा कि इसे नोजल या ओरल स्प्रे के रूप में लाया जा सकता है। यह वायरस के किसी भी वारिएंट्स को रोकने में सक्षम है। इसके साथ ही, शोधकर्ताओं ने इस मॉलिक्यूल को सुरक्षित भी बताया है। इसके अलावा, एक अन्य शोधकर्ता ने यह भी बताया कि इस FACE2 का उपयोग अन्य श्वसन वायरस पर भी किया जा सकता है जो कोशिकाओं में घुसपैठ करने के लिए ACE2 रिसेप्टर का उपयोग करते हैं।

Edited By: Jagran News Network