मोदी या सिवन ही नहीं इन महाशक्तियों के राष्ट्रपति भी सार्वजनिक मंचों पर हो चुके हैं भावुक
इसरो चीफ के सिवन के लैंडर विक्रम से संपर्क टूट जाने पर वो पीएम नरेंद्र मोदी के सामने भावुक हो गए थे। पीएम ने उनको काफी सांत्वना दी उसके बाद वो नार्मल हो पाए।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। चंद्रयान-2 के लैडर विक्रम से संपर्क टूट जाने पर इसरो चीफ के सिवन बहुत दुखी हुए, उनका मन इतना दुखी हुआ कि वो अपने सामने पीएम नरेंद्र मोदी को देखकर उनके कंधे पर सिर रखकर रो पड़े। इसरो चीफ की ऐसी हालत देखकर पीएम मोदी ने उनको कुछ देर तक सांत्वना दी उसके बाद वो नार्मल हो पाए। के सिवन के इस तरह से दुखी होने पर एक बार फिर इस पर बहस शुरु हो गई कि क्या मर्द को भी दर्द होता है। क्या वो भी रोते हैं? वैसे अक्सर यही देखने में आता है कि महिलाएं गाहे-बेगाहे रो ही देती है। अधिक खुशी हुई तो आंखों से खुशी के आंसू निकल आते है, दुखी हो तो ऐसी दहाड़ मारकर रोती हैं कि सामने वाले का कलेजा फटने को आता है।
आपको याद होगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब पहली बार शपथ ली थी तो वो भी सेंट्रल हाल में मौजूद सांसदों के सामने भावुक हो गए, कुछ सेकंड के लिए वो एक शब्द भी नहीं बोल पाए थे फिर अपने चेहरे को कैमरे की नजर से बचाते हुए उन्होंने आंखों से आंसू पोछें थे, एक गिलास पानी पिया था, उसके बाद नार्मल हो पाए थे। वो सीन शायद ही कोई भूल पाया हो, उस सीन के बाद अब 7 सितंबर की सुबह दुबारा से ये नजारा देखने को मिला था।
क्या पुरुषों का रोना ठीक है? सिवन के आंसू बहस छिड़ गई
इसरो चीफ के सिवन को जब रोते हुए देखा गया तो उस पर बहस छिड़ गई। अधिकतर लोगों ने सिवन के साथ संवेदना व्यक्त की, साथ ही हौसला दिया कि हार मानने की जरुरत नहीं है। यदि ये प्रयास सफर नहीं रहा तो अगले प्रयास में सफलता मिलेगी ही। एक असफलता से निराश होने की जरुरत नहीं है। देश के साथ-साथ विदेशों से भी हजारों लोगों ने सिवन की हौसला अफजाई की। कई लोगों ने फिल्मी डॉयलाग के साथ सोशल साइट पर उनको हौसला दिया, लिखा कि मर्द को दर्द नहीं होता, वो रोते नहीं है, रोना-धोना महिलाओं का काम है। वो जरा सी बात पर आंसू बहा देती है। मर्द ऐसा नहीं करते हैं।
कमजोरी का लक्षण माने जाते हैं आंसू
समाज में ये आम धारणा है कि यदि कोई रोता है तो वो अंदर से कमजोर होता है, ये भी कहा जाता है कि यदि आप बहुत दुखी हैं और दहाड़ मारकर रो देते हैं तो आपके अंदर का गुबार निकल जाता है और आप थोड़ा रीलैक्स महसूस करते हैं। मगर यदि आप दुखी हैं और रो नहीं रहे हैं तो आपका मन भारी रहता है। यदि आप रोकर अपनी आंखों से आंसू निकाल देते हैं तो आप तरोताजा महसूस करते हैं। ये भी देखने में आया है कि जो महिलाएं काफी दुखी होती है वो रो देती है उसके कुछ देर के बाद वो अपने को तारोताजा महसूस करती हैं।
ये प्रमुख लोग भी आंसू बहाते कैमरे में हो चुके कैद:-
BARACK OBAMA: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति को कई बार सार्वजनिक रूप से रोते हुए पकड़ा गया है। 2016 में, उन्होंने एक नए अमेरिकी बंदूक कानून के लिए समर्पित अपने भाषण के दौरान रोना शुरू कर दिया, जबकि सैंडी हुक एलिमेंट्री स्कूल में 20 बच्चों के नरसंहार को याद करते हुए, 2017 में, ओबामा अपने विदाई भाषण के दौरान भावुक हो गए।
GEORGE W. BUSH: 2018 में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अपने पिता के अंतिम संस्कार के समय प्रशंसा भाषण (eulogy) पर बोलते हुए बहुत भावुक हो गए थे।
व्लादिमीर पुतिन: 4 मार्च, 2012 को रूस के प्रधान मंत्री व्लादिमीर पुतिन ने रूस के प्राथमिक चुनाव में जीत हासिल की थी, उसके बाद क्रेमलिन के मैन्हेज चौक पर अपने समर्थकों की विशाल रैली में संबोधित कर रहे थे, इसी दौरान उनकी आंखों में आंसू आ गए थे। संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति को कभी-कभी दुनिया का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति कहा जाता है।
JUSTIN TRUDEAU: कनाडाई प्रधानमंत्री कैमरे के सामने कई बार टूट चुके हैं - सीरियाई शरणार्थियों के साथ और 2016 में मस्जिद की शूटिंग के पीड़ितों के अंतिम संस्कार के दौरान औशविट्ज़ का दौरा करते समय, और 2017 में आवासीय स्कूलों और LGBTQ2S लोगों से माफी मांगते हुए ।
ROGER FEDERER: टेनिस स्टार 2018 में गमगीन थे, जब उन्होंने अपने छठे ऑस्ट्रेलियाई ओपन का दावा किया था।
RAFAEL NADAL: स्पैनिश टेनिस खिलाड़ी ने बहुत ही नाटकीय और भावनात्मक अमेरिकी ओपन फाइनल में अपने 19 वें ग्रैंड स्लैम खिताब को जीता था। ये जीत उन्होंने कुछ दिन पहले ही दर्ज की थी। उस समय वो भावुक हो गए थे।
NOVAK DJOKOVIC: साल 2015 में, नोवाक जोकोविच स्टैन वावरिंका अपना फ्रेंच ओपन का फाइनल मैच हार गए थे, उसके बाद उनकी आंखों से आंसू निकल आए थे।
Turkish President Recep Tayyip Erdogan right, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन को 17 जुलाई, 2016 को इस्तांबुल में तुर्की की सरकार के खिलाफ तख्तापलट का विरोध करते हुए आंसू पोंछते हुए देखा गया। उन्होंने तख्तापलट में शामिल रहे मुस्तफा कंबज, एरोल और अब्दुल्ला ओलक के अंतिम संस्कार के दौरान अपने आंसू पोंछे।
एक बात ये भी है कि आंसू को ताकत का प्रतीक माना जाता है, कमजोरी नहीं। यदि आप रोने में सक्षम हैं तो इसका मतलब है कि आपके पास अपनी भावनाओं को रखने और उन्हें स्वीकार करने की ताकत है। के सिवन ने बहुत मेहनत की थी और उन्होंने चंद्रयान -2 की यात्रा में असफलता के साथ अपनी निराशा व्यक्त की थी। यह स्वाभाविक और एक स्वस्थ प्रतिक्रिया थी। यह मुद्दा लिंग से परे है क्योंकि यह सिर्फ उन पुरुषों के लिए नहीं है जो इसका सामना करते हैं बल्कि जब एक शक्तिशाली महिला की बात आती है अगर वह रोती है तो उसे भी कमजोर माना जाएगा।
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