साइंस व इंजिनियरिंग बैचलर्स डिग्री की लिस्ट में शीर्ष पर भारत
हालांकि दूसरे देशों की तुलना में अमेरिका का विज्ञान और प्रौद्योगिकी गतिविधियों में शेयर लगातार घट रहा है जबकि चीन इस दिशा में लगातार विकास की ओर बढ़ रहा है।
वाशिंगटन (प्रेट्र)। साल 2014 में विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में दुनिया में सबसे ज्यादा बैचलर्स की डिग्रियां भारत ने प्रदान की हैं। यह पूरी दुनिया के 7.5 मिलियन आंकड़े का एक चौथाई है। एक रिपोर्ट के हवाले से ये खबर सामने आई है। हालांकि शोध और विकास कार्यों में अमेरिका सबसे शीर्ष पर है। बता दें कि, नेशनल साइंस फाउंडेशन की एनुअल साइंस एंड इंजीनियरिंग इंडीकेटर्स 2018 की रिपोर्ट से ये जानकारी सामने आई हैं।
अमेरिका विज्ञान और इंजीनियरिंग में सभी देशों से आगे है। हालांकि दूसरे देशों की तुलना में अमेरिका का विज्ञान और प्रौद्योगिकी गतिविधियों में शेयर लगातार घट रहा है जबकि चीन इस दिशा में लगातार विकास की ओर बढ़ रहा है।
हालिया आंकड़ों पर नजर डालें तो, 2014 में अमेरिका ने साइंस और इंजीनियरिग के क्षेत्र में सबसे ज्यादा 40,000 डिग्रियां दी थीं। इसके बाद 34,000 के साथ चीन दूसरे नंबर पर, रूस (19,000), जर्मनी (15,000), यूके (14,000) और भारत (13,000) है।
इसके विपरीत, अमेरिका बैचलर्स स्तर की डिग्री प्रदान करने में पिछड़ा है। भारत 2014 में पूरी दुनिया का 7.5 मिलियन का 25 फीसदी बैचलर्स की डिग्री प्रदान करने के साथ शीर्ष पर है। इसके बाद 22 फीसदी के साथ चीन दूसरे नंबर पर है। वहीं यूरोपीय देश 12 फीसदी और अमेरिका 10 फीसदी के साथ तीसरे और चौथे नंबर पर है । चीन में आधे से ज्यादा डिग्रियां साइंस और इंजीनियरिंग फील्ड से हैं। 2000 से अब तक चीन इस क्षेत्र में 300 फीसदी तक आगे बढ़ा है।
साइंस और इंजीनियरिंग पब्लिकेशन का प्रभाव भी अब पहले से ज्यादा वैश्विक हो गया है। 2004 और 2014 के बीच अन्य देशों से अमेरिकी पब्लिकेशन का शेयर 47 से 56 फीसदी तक बढ़ा है। हालांकि अमेरिका शोध और विकास कार्यों में 2015 में सबसे ज्यादा 496 डॉलर खर्च किया है जो पूरे विश्व का 26 फीसदी शेयर है।
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका शोध और विकास कार्यों में सबसे ज्यादा निवेश करता है और इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा अवॉर्ड प्रदान करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन इंजीनियरिंग पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करते हैं जबकि अमेरिका, यूरोपीय देश और जापान में चिकित्सा और जैविक विज्ञान के क्षेत्र में अधिक ध्यान दिया जाता है।
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