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टेलीफोन एक्‍सचेंज से मोबाइल टावर तक, बेहद बदल गई है संचार की दुनिया

28 जनवरी 1878 को व्यापारिक स्तर पर पहला टेलीफोन एक्सचेंज अमेरिका के न्यू हैवन शहर में शुरू हुआ और प्रथम कॉल ग्राहम बेल व सहयोगी वाट्सन के बीच में न्यूयॉर्क और सेन फ्रांसिस्को के बीच की गयी थी।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 28 Jan 2019 10:04 AM (IST)Updated: Mon, 28 Jan 2019 10:04 AM (IST)
टेलीफोन एक्‍सचेंज से मोबाइल टावर तक, बेहद बदल गई है संचार की दुनिया

नई दिल्‍ली, जेएनएन। टेलीफोन और मोबाइल के चलने से दुनिया बहुत छोटी नजर आने लगी है। मोबाइल का एक बटन दबाते ही हम मीलों दूर बैठे लोगों से बात कर सकते हैं। आजकल बिना इंटरनेट व फोन के जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल हो गया है। लेकिन सोचिए, जब टेलीफोन नहीं था, तब लोगों कैसे एक-दूसरे से संपर्क साधते होंगे? जब टेलीफोन को अविष्‍कार हुआ, तब लोगों ने इसे देखकर कैसा महसूस किया होगा? टेलीफोन का अविष्‍कार 1876 को हुआ था और पहला 'टेलीफोन एक्‍सचेंज' सन 1878 में अमेरिका के न्‍यू हैवन में खुला था। टेलीफोन एक्‍सचेंज की तुलना आज के मोबाइल सिग्‍नल टावर से की जा सकती है।

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पहला टेलीफोन एक्‍सचेंज और कॉल

28 जनवरी 1878 को व्यापारिक स्तर पर पहला टेलीफोन एक्सचेंज अमेरिका के न्यू हैवन शहर में शुरू हुआ और प्रथम कॉल ग्राहम बेल व सहयोगी वाट्सन के बीच में न्यूयॉर्क और सेन फ्रांसिस्को के बीच की गयी थी। 10 मार्च 1876 को एलेग्जेंडर ग्राहम बेल ने सबसे पहले फोन में कहा था। यह दो व्यक्तियों के बीच पहली बार टेलीफोन पर की गई बात थी. इस बातचीत में ग्राहम बेल अपने सहायक वाटसन को कहते हैं कि 'Mr. Watson Come here… I Want To See You' यानि कि मिस्टर वाटसन यहां आओ मुझे तुम्हारी जरूरत है।

टेलीफोन एक्‍सचेंज से मोबाइल टावर तक

दरअसल, एक समय था जब टेलीफोन एक्‍सचेंज बनाने के लिए काफी मशीनरी और जगह की जरूरत होती थी। किसी राज्‍य में टेलीफोन एक्‍सचेंज खुलना काफी बड़ी बात हुआ करती थी। यहीं से टेलीफोन की लाइनें कनेक्‍ट होती थीं। लेकिन आज बड़े-बड़े टेलीफोन एक्‍सचेंज की जगह छतों पर लगे मोबइल सिग्‍नल टावरों ने ले ली है। इसमें जगह और मशीनरी दोनों ही कम लगती है। इसलिए एक ही क्षेत्र में कई मोबाइल सिग्‍नल टावर आपको देखने को मिल जाते हैं। हालांकि बढ़ते मोबाइल सिग्‍नल टावरों से रेडिएशन का खतरा भी बढ़ रहा है।

के ऐलेक्जैंडर ग्रैहैम बेल ने बनाया पहला टेलीफोन

टेलिफोन के अस्तित्व की संभावना सर्वप्रथम संयुक्त राज्य अमेरिका के ऐलेक्जैंडर ग्राहम बेल की इस उक्ति में प्रकट हुई- यदि मैं विद्युद्वारा की तीव्रता को ध्वनि के उतार चढ़ाव के अनुसार उसी प्रकार न्यूनाधिक करने की व्यवस्था कर पाऊं, जैसा ध्वनिसंचरण के समय वायु के घनत्व में होता है, तो मैं मुख से बोले गए शब्दों को भी टेलिग्राफ की विधि से एक स्थान से दूसरे स्थान को संचारित कर सकने में समर्थ हो सकूंगा। अपनी इसी धारणा के आधार पर बेल ने अपने सहायक टॉमस वाट्सन की सहायता से टेलिफोन पद्धति का आविष्कार करने के हेतु प्रयास आरंभ कर दिया और अंत में 10 मार्च, 1876 ई को वे ऐसा यंत्र बना सकने में सफल हो गए।

भारत में पहला टेलीफोन

भारत में सबसे पहले 1881 में 'ओरिएण्टल टेलीफोन कंपनी लिमिटेड इंग्लैंड' ने कोलकाता, बोम्बे, मद्रास (चेन्नई) और अहमदाबाद में टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित किये थे। 28 जनवरी 1882 में कुल 93 ग्राहकों के साथ प्रथम औपचारिक टेलीफोन सेवा शुरू की गई। 1880 में, दो टेलीफोन कंपनियों द ओरिएंटल टेलीफोन कंपनी लिमिटेड और एंग्लो इंडियन टेलीफोन कंपनी लिमिटेड ने भारत में टेलीफोन एक्सचेंज की स्थापना करने के लिए सरकार से संपर्क किया। इस अनुमति को इस आधार पर अस्वीकृत कर दिया गया कि टेलीफोन की स्थापना करना सरकार का एकाधिकार था और सरकार खुद यह काम शुरू करेगी। 1881 में, सरकार ने अपने पहले के फैसले के खिलाफ इंग्लैंड की ओरिएंटल टेलीफोन कंपनी लिमिटेड को कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई (मद्रास) और अहमदाबाद में टेलीफोन एक्सचेंज खोलने के लिए एक लाइसेंस दिया, जिससे 1881 में देश में पहली औपचारिक टेलीफोन सेवा की स्थापना हुई। कोलकाता के एक्सचेंज का नाम 'केन्द्रीय एक्सचेंज' था, जो 7 काउंसिल हाउस स्ट्रीट इमारत की तीसरी मंजिल पर खोला गया था। केन्द्रीय टेलीफोन एक्सचेंज के 93 ग्राहक थे। बॉम्बे में भी 1882 में टेलीफोन एक्सचेंज का उद्घाटन किया गया।


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