सोशल साइट पर पोस्ट नहीं कर पाएंगे कोरोना से जुड़ी भ्रामक सूचनाएं, फेसबुक ने लगाई रोक
अब सोशल मीडिया साइट फेसबुक ने कोरोना से संबंधित किसी भी तरह की भ्रामक सूचना पोस्ट किए जाने पर रोक लगा दी है। कंपनी ने एक ब्लॉग में लिखा है कि कोरोना महामारी ने दिखाया है कि स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए रोकथाम वाला बर्ताव कितना महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, एएफपी। इस समय दुनियाभर में कोरोना वायरस से निपटने के लिए टीका बनाने की तैयारी की जा रही है वहीं दूसरी ओर कुछ लोग सोशल मीडिया साइट फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इसके विरोध में कुछ न कुछ लिखते रहते हैं।
इसको देखते हुए अब सोशल मीडिया साइट फेसबुक ने टीका विरोधी विज्ञापनों पर रोक लगाने की घोषणा की है, कंपनी ने एक ब्लॉग में लिखा है कि कोरोना महामारी ने दिखाया है कि स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए रोकथाम वाला बर्ताव कितना महत्वपूर्ण है। फेसबुक की ओर से कहा गया है कि वह भविष्य में भी ऐसे विज्ञापनों की अनुमति देगा जो टीके के सिलसिले में सरकार के खास कदमों की आलोचना करते हैं।
फेसबुक ने एक दिन पहले ही अपनी साइट पर साजिश वाले सिद्धांतों के प्रचार खिलाफ कदम कदम उठाया था। बुधवार को प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार अपुष्ट सिद्धांतों में भरोसे से महामारी के खिलाफ टीका लेने की लोगों की तैयारी काफी कम हो सकती है। दुनिया के महत्वपूर्ण ऑनलाइन नेटवर्क पर अक्सर आरोप लगाया जाता है कि वह टीका विरोधियों को अपना संदेश फैलाने की सुविधा दे रहा है। फेसबुक ने कहा है कि वह अमेरिका में ऐसा अभियान चलाने की योजना बना रहा है जिसमें फ्लू के खिलाफ टीके का प्रचार किया जाएगा।
फेसबुक के नए नियम सिर्फ उन पोस्ट पर लागू होंगे जिनके लिए यूजर कंपनी को फीस चुकाते हैं। फीस देने के बाद ये पोस्ट ऐसे यूजरों तक भी पहुंचते हैं जो उस पेज को लाइक नहीं करते हैं। सामान्य यूजरों के पोस्ट इस नियम से प्रभावित नहीं होंगे। आमतौर पर फेसबुक पर ऐसे पोस्ट की भरमार रहती है जिनमें कांसपिरेसी थ्योरी का समर्थन और प्रचार किया जाता है।
ब्रिटिश विज्ञान पत्रिका रॉयल सोसायटी ओपन साइंस में प्रकाशित स्टडी के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, आयरलैंड, स्पेन और मेक्सिको में सर्वे किया गया। इसके अनुसार हालांकि बहुत लोग कोरोना वायरस को लेकर कंसपिरेसी थ्योरी को अस्वीकार करते हैं लेकिन लोगों का बड़ा हिस्सा उसमें किए जाने वाले दावों को सच मानता है। इस स्टडी के अनुसार सर्वे में शामिल होने वाले देशों में कोरोना महामारी पर सबसे प्रचलित कंसपिरेसी थ्योरी यह है कि नया वायरस जानबूझकर चीन के वुहान शहर की प्रयोगशाला में विकसित किया गया है।