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जैसी संगति, वैसा व्यक्तित्व व जीवन

अच्छी संगति का महत्व -सिलीगुड़ी मॉडल हाई स्कूल के प्राचार्य डॉ. एस.एस. अग्रवाल ने व्यक्त किए विचार

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Oct 2020 07:20 PM (IST)Updated: Fri, 02 Oct 2020 07:20 PM (IST)
जैसी संगति, वैसा व्यक्तित्व व जीवन

अच्छी संगति का महत्व

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-सिलीगुड़ी मॉडल हाई स्कूल के प्राचार्य डॉ. एस.एस. अग्रवाल ने व्यक्त किए विचार

-दैनिक जागरण ने अच्छी संगति का महत्व विषय पर आयोजित की ऑनलाईन संस्कारशाला जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : व्यक्ति के व्यक्तित्व व जीवन पर संगति का बहुत असर पड़ता है। जैसी संगति होगी, व्यक्तित्व व जीवन भी वैसा ही होगा। इसे इसी से समझा जा सकता है कि पानी सीप में मिल कर मोती बन जाता है और साप के गले में जा कर जहर बन जाता है। सिलीगुड़ी मॉडल हाई स्कूल (गुरुंग बस्ती) के प्राचार्य डॉ. एस. एस. अग्रवाल ने ये बातें कहीं। वह शुक्रवार को दैनिक जागरण (सिलीगुड़ी) की ओर से अपने राष्ट्रीय व्यापी अभियान के तहत आयोजित ऑनलाईन संस्कारशाला को बतौर अतिथि वक्ता संबोधित कर रहे थे। इसका विषय था अच्छी संगति का महत्व। इस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने आगे रहीम के एक प्रसिद्ध दोहे के हवाले से कहा कि चंद्रमा की शीतल चादनी सभी को अच्छी लगती है किंतु चोरों को कदापि नहीं सुहाती। अच्छे लोग सब कुछ में अच्छाई तलाशते हैं और बुरे लोग सब कुछ में बुराई ही तलाशते हैं। अच्छाई यही है कि सब कुछ में अच्छाई तलाशी जाए। अत: हम सभी को सदैव अच्छा व्यवहार करना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि कभी किसी का भी बुरा नहीं सोचना चाहिए। अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों को स्वयं भी और उनके परिवार को भी नुकसान पहुंचता है। बुरे व्यक्ति की मरने के बाद भी दुर्गति जारी रहती है। क्योंकि, लोग उनकी बुराई ही करते रहते हैं। राजा कंस ने कृष्ण को मारने हेतु कई प्रयास किए थे, परंतु अंत में उसे ही मृत्यु प्राप्त हुई। शकुनी जैसी संगत ने कौरवों को विफलता दी और कृष्ण की संगत ने पाडवों को सफलता दी। इससे भी हम संगति के महत्व को भलीभाति समझ सकते हैं। हमें यह देखने की जरूरत है कि हम किन की संगति में हैं? हम शकुनि जैसे लोगों की संगति में हैं? या फिर कृष्ण जैसे लोगों की संगति में हैं?

संगति और व्यवहार का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने जिन महान वैज्ञानिक प्रोफेसर सतीश धवन को अपना गुरु माना है उनके जीवन से जुड़े एक अनूठे वाकये को हम लोग भी अपने जीवन में उत्तम उदाहरण स्वरूप ले सकते हैं। एक दफा एक मिशन नाकामयाब रहा तो संवाददाता सम्मेलन कर उसकी सारी जिम्मेदारी प्रोफेसर धवन ने खुद अपने कंधे पर ले ली और फिर उस नाकामयाबी की सारी त्रुटियों को दूर कर मिशन को फिर से कामयाब बनाया। पर, जब मिशन कामयाब रहा तो उन्होंने फिर संवाददाता सम्मेलन कर सारी की सारी कामयाबी का श्रेय अपनी पूरी की पूरी टीम को दिया। ऐसे ही उत्तम व्यवहार हम सभी को अपने जीवन में बरतने चाहिएं और ऐसी ही संगति देनी और लेनी चाहिए।संगति और व्यवहार के एक और पहलू का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आय से अधिक खर्च और आय से अधिक दान करने वाले यानी कि फिजूलखर्ची करने वालों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार ही खर्च अथवा दान करना चाहिए। अपने व्यक्तिगत व पारिवारिक जीवन से लेकर सामाजिक जीवन में हम अच्छे व सार्थक व्यवहार करें यही संस्कार का तकाजा है।

उन्होंने यह भी कहा कि हमने बचपन में पढ़ा था कि अच्छी संगति किया करो। क्योंकि, संगति का जीवन पर असर पड़ता है। अच्छी संगति अच्छाई व सफलता की ओर ले जाती है। बुरी संगति बुराई और विफलता की ओर ले जाती है। हम चाहें न चाहें संगति जैसी होगी, हमारा व्यक्तित्व और जीवन वैसा ही होता चला जाएगा। अच्छी संगति हमें बुराई से अच्छाई की ओर और बुरी संगति अच्छाई से बुराई की ओर ले जाती है। इसलिए हम सभी को ऐसी मित्रता बनानी चाहिए, ऐसे मित्र रखने चाहिएं जो हमें ऊंचाई से नीचे न गिराएं बल्कि नीचे से ऊंचा उठाने में सहायक हों। व्यक्ति की संगति जैसी होती है समाज में उसकी पहचान भी वैसी ही होती है। अच्छी संगति में रहकर हम अच्छे बदलाव के साथ अच्छे और कामयाब बन सकते हैं। औसत मानसिक स्तर के व्यक्ति भी अच्छी संगति से बहुत अच्छे बन सकते हैं। बुरी संगति का सदैव नकारात्मक और अच्छी संगति का सदैव सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए, जहा रहें जैसे रहें जिस स्थिति-परिस्थिति में रहें अच्छाइयों को तलाशें। अच्छाइया मिलेंगी ही मिलेंगी। जब उन अच्छाइयों को आप अपने साथ कर लेंगे तो सब कुछ अच्छा ही होगा। अच्छाई निश्चित तौर पर शाति देती है और कई तरह के तनाव अशाति व बुराई से बचाती है। सबसे अहम यह कि समय रहते यदि हमने बेहतर निर्णय नहीं लिया तो फिर समय हमारा वैसा निर्णय कर देगा जैसा हम सोच भी नहीं सकते। इसीलिए समय का महत्व समझें। सदैव सजग और सचेत रहें और अच्छाई को अपनाएं रखें। हम सभी को सदा अच्छाई व भलाई को ही अपनाना चाहिए।


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