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वॉल पेंटिंग में नजर आया भारतीय सेना का पराक्रम, दी गलवन के बलिदानियों को श्रद्धांजलि

उत्तरकाशी के हर्षिल घाटी में गलवन में बलिदान हुए सैनिकों की स्मृतियों को दीवारों पर उकेरा गया है।

By Edited By: Published: Sat, 27 Jun 2020 09:54 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2020 01:19 PM (IST)
वॉल पेंटिंग में नजर आया भारतीय सेना का पराक्रम, दी गलवन के बलिदानियों को श्रद्धांजलि

उत्तरकाशी, जेएनएन। चीन सीमा से सटी हर्षिल घाटी में गलवन में बलिदान हुए सैनिकों की स्मृतियों को दीवारों पर उकेरा गया है। शनिवार को हर्षिल के सामुदायिक केंद्र में वॉल पेंटिंग और तिरंगे के साथ बलिदानियों के नाम दर्जकर आइटीबीपी, पुलिस, पूर्व सैनिकों और ग्रामीणों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। वॉल पेटिंग में भारतीय सेना का पराक्रम और चीनी ड्रैगन पर बाण छोड़ते भगवान श्रीराम नजर आ रहे हैं। 

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पूर्वी लद्दाख की गलवन घाटी में चीन की नापाक हरकत से सीमांत क्षेत्र के लोगों में आक्रोश है। इसे लेकर हर्षिल ईको पर्यटन समिति और ग्रामीणों ने मिलकर वॉल पेंटिंग के जरिये बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने का निर्णय लिया। पेंटिंग पूरी होने पर शनिवार को इसका लोकार्पण किया गया। इस दौरान दीप जलाकर बलिदानियों को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। साथ ही पूर्व सैनिकों को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम में उपला टकनौर के आठ गांवों के पूर्व सैनिक भी शामिल हुए।
देशभक्ति का संदेश दे रही वॉल पेंटिंग हर्षिल में बनाई गई एक वॉल पेंटिंग में गलवन का दृश्य उकेरा गया है, जिसमें भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई ¨हसक झड़प में हमारे सैनिकों की वीरता को दर्शाया गया है। इसके अलावा तिरंगे के साथ बलिदानियों के नाम लिखे गए हैं। साथ ही एक अन्य पेंटिंग में भगवान श्रीराम चीनी ड्रैगन पर बाण छोड़ते नजर आ रहे हैं।
सीमांत गांवों में बसागत से सीमा को मिलेगी सुरक्षा
हर्षिल ईको पर्यटन समिति के अध्यक्ष माधवेंद्र रावत का कहना है कि, सीमा से लगे गांवों में रहने के नाते हमारा क‌र्त्तव्य है कि अपने वीर सैनिकों का मनोबल बढ़ाएं। उन्हें वॉल पेंटिंग का विचार रिलायंस फाउंडेशन के कमलेश गुरुरानी ने दिया था। कहा कि उपला टकनौर के आठ गांवों के लोगों को पर्यटन के लिए नेलांग और जादुंग में बसाना चाहिए। इससे न केवल रोजगार सृजित होगा, बल्कि सीमाओं की सुरक्षा में भी मदद मिलेगी। 
वहीं, हर्षिल के प्रधान दिनेश रावत ने कहा कि, यह देश के लिए कठिन समय है और हमें एकजुट होकर इसका मुकाबला करना होगा। कैप्टन सतल सिंह ने कहा कि 1962 के चीन युद्ध के बाद सीमा से खाली हुए गांवों को वर्तमान हालात को देखते हुए सरकार को तुरंत बसाना चाहिए। इस मौके पर हर्षिल ईको वॉरियर के अध्यक्ष गौरव रावत, पूर्व प्रधान बसंती देवी, राज्य आंदोलनकारी डॉ. नागेंद्र सिंह, बगोरी प्रधान सरिता देवी आदि मौजूद थे।

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