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सुपीन नदी ने रोकी रही दो गर्भवती महिलाओं की राह, लौटना पड़ा वापस; पढ़िए पूरी खबर

सुपीन नदी पिछले दो दिनों से उफान पर है जिसके कारण खेड़ा घाटी में लकड़ी की पुलिया का 15 मीटर एप्रोच मार्ग भी बह गया। रास्ता बंद होने से दो गर्भवती महिलाओं को वापस लौटना पड़ा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 02 Aug 2019 06:16 PM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 08:39 PM (IST)
सुपीन नदी ने रोकी रही दो गर्भवती महिलाओं की राह, लौटना पड़ा वापस; पढ़िए पूरी खबर
सुपीन नदी ने रोकी रही दो गर्भवती महिलाओं की राह, लौटना पड़ा वापस; पढ़िए पूरी खबर

पुरोला(उत्तरकाशी), जेएनएन। सुदूरवर्ती मोरी ब्लॉक के पांच गांवों के लोगों पर बारिश और उच्च हिमालयी क्षेत्र में पिघलते हिमखंड आफत बन आए हैं। इससे सुपीन नदी पिछले दो दिनों से उफान पर है, जिसके कारण खेड़ा घाटी में लकड़ी की पुलिया का 15 मीटर एप्रोच मार्ग भी बह गया। इससे लिवाड़ी, फिताड़ी समेत पांच गांवों का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया है। रास्ता बंद होने के कारण दो गर्भवती महिलाओं और हाथ में फ्रैक्चर का उपचार कराने के लिए अस्पताल आ रहे एक वृद्ध को खेड़ाघाटी से ही वापस लौटना पड़ा। वहीं, मोरी तहसीलदार बीआर सरियाल कहते हैं कि बारिश, बिगड़ते मौसम और सुपीन नदी के उफान के खतरे को देखते हुए खेड़ाघाटी में आवाजाही रोक दी गई है। स्थिति सामान्य होने पर ही आवाजाही शुरू की जाएगी, लेकिन मौके पर न तो एसडीआरएफ की टीम है और न ही प्रशासन का कोई नुमाइंदा। 

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उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 220 किलोमीटर दूर मोरी ब्लॉक के लिवाड़ी, फिताड़ी, रेक्चा, राला, कासला गांव पड़ते हैं। इन गांवों के लिए सड़क का निर्माण अभी पूरा नहीं हो पाया है। इसके कारण इन गांव के ग्रामीणों को 12 से 15 किलोमीटर पैदल चलकर जखोल पहुंचना पड़ता है। इन दिनों इन गांवों को जोड़ने वाला पैदल मार्ग भी जोखिम भरा है।

फिताड़ी गांव के कृपाल सिंह राणा कहते हैं कि तीन दिन पहले हुई बारिश के कारण खेड़ा घाटी में सुपीन नदी पर एक लकड़ी की पुलिया का एप्रोच करीब 15 मीटर बह चुका है। बीते गुरुवार को जब वे गांव से मोरी आ रहे थे तो खेड़ा घाटी के पास रास्ता पूरी तरह से कट चुका था। इसके कारण लिवाड़ी व फिताड़ी गांव की एक-एक गर्भवती महिलाएं उफनती नदी का पार नहीं कर पाई। फिताड़ी गांव के एक वृद्ध का हाथ फ्रैक्चर था। वह भी नदी के उफान का पार नहीं कर पाया। छोटे बच्चों को भी वापस गांव भेजना पड़ा।

एक लंबे डंडे के सहारे किसी तरह से कुछ युवाओं और महिलाओं ने नदी पार की। तब जाकर जखोल पहुंचे। लेकिन इस दौरान दो महिलाएं बहने से बाल-बाल बची। गांव के बलवीर सिंह राणा कहते हैं कि अगर कोई गांव में बीमार हो गया तो सबसे अधिक परेशानी उस व्यक्ति को सड़क तक पहुंचाने की है। वे कहते हैं कि उफान के कारण लिवाड़ी, फिताड़ी, रेक्चा, राला और कासला के 11वीं व 12वीं में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं भी इंटर कॉलेज जखोल नहीं जा पा रही हैं। मौके पर तो प्रशासन का कोई अधिकारी कर्मचारी है और न कोई एसडीआरएफ की टीम है। जबकि तहसील प्रशासन को ग्रामीणों ने इसकी सूचना दी है। 

जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान का कहना है कि मोरी के खेड़ा घाटी में पुलिया की एप्रोच बह जाने और रास्ता बंद होने की जानकारी नहीं थी। अब मामला जानकारी में आया है। बड़कोट के एसडीएम को इस बारे आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं और रिपोर्ट मांगी गई है। 

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