गंगोत्री की अनाम चोटियों पर तिरंगा फहराएगा नेहरू पर्वतारोहण संस्थान
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान गंगोत्री हिमालय की अनाम चोटियों तिरंगा फहराएगा। संस्थान का उद्देश्य इन चोटियों को सबके सामने लाना है।
उत्तरकाशी, [जेएनएन]: गंगोत्री हिमालय की 40 से अधिक चोटियां विश्वभर में प्रसिद्ध हैं, जिन्हें पर्वतारोही एवरेस्ट फतह करने वाली सीढ़ियां मानते हैं। लेकिन हिमालय का यह खजाना अभी दुनिया के सामने पूरी तरह से खुला नहीं है। अभी भी गंगोत्री हिमालय में करीब छह हजार मीटर से अधिक ऊंची करीब 30 चोटियां हैं, जिनका आरोहण नहीं हो पाया है। पर अब इन चोटियों के आरोहण के लिए दुनिया का नामचीन नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) अभियान शुरू कर रहा है।
निम ने नवंबर 2019 तक 12 अनाम चोटियों के आरोहण का कार्यक्रम तय किया है। इसका खुलासा करते हुए निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने कहा कि इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन (आइएमएफ) से इस संबंध में पत्राचार किया है। आरोहण के बाद इन चोटियों का नामकरण उत्तराखंड की विभूतियों के नाम से किया जाएगा। वर्ष 2020 में बाकी बची सभी अनाम चोटियों का आरोहण भी निम करेगा।
गौरतलब है कि गंगोत्री हिमालय की रेंज में पड़ने वाली बंदरपूंछ चोटी का आरोहण सबसे पहले प्रसिद्ध पर्वतारोही शेरपा तेनजिंग नॉर्गे ने वर्ष 1950 में किया था। इसके बाद 29 मई 1953 को शेरपा तेनजिंग नॉर्गे व एडमंड हिलेरी ने एवरेस्ट आरोहण का रिकॉर्ड बनाया। लेकिन गंगोत्री हिमालय में अब भी ऐसी 30 से अधिक चोटियां हैं जिनका आरोहण नहीं हो पाया है। बीते वर्ष पर्वतारोहियों ने दो अनाम चोटियों का आरोहण किया है। जिनका नाम मां और बेटी रखा है। इस बार भी अटल के नाम से दो चोटियों का नाम रखने के लिए टीम रवाना हुई है।
गंगोत्री क्षेत्र की प्रमुख 18 चोटियों का आरोहण करने वाले एवरेस्ट विजेता विष्णु सेमवाल बताते हैं कि हिमालय का हृदय गंगोत्री हिमालय है। शिवलिंग, चौखंबा जैसी विश्व विख्यात चोटियां हैं।
गंगोत्री हिमालय की इन चोटियों का हो चुका आरोहण
चौखंबा ग्रुप, थलै सागर, केदारनाथ, बंदरपूछ, केदारडोम, वसुकी पर्वत, भारतेखुंटा, द्रोपदी का डांडा (डीकेडी), स्वर्गारोहणी, जोनली, काला नाग, स्वाचांद, गंगोत्री ग्रुप, कारछा कुंड, मांडा, शिवलिंग, सुदर्शन पर्वत, जोगिन ग्रुप, भागीरथी ग्रुप, मेरू-पश्चिम, मृगथान (मेरू उत्तर), मेरू-दक्षिण, कीर्तिस्तंभ, श्रीकैलाश, सैफी, श्रीकंठा, थेलू, रुद्रगैरा, मां व बेटी आदि शामिल हैं
एडवेंचर स्पोर्ट्स का केंद्र बनेगा निम
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) पर्वतारोहण से जुड़े एडवेंचर स्पोर्ट्स का केंद्र बनने की तैयारी में जुट गया है। निम के नव नियुक्त प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने कहा कि एडवेंचर स्पोर्ट्स अब रेगुलर स्पोर्ट्स में आ गया है। 2020 में होने वाले नेशनल स्पोर्ट्स निम में हों, इसके लिए तैयारियां अभी से की जा रही हैं। साथ ही भारत की एडवेंचर टीम यहां अभ्यास करें। इसके लिए जरूरी सुविधाएं जुटाई जाएंगी।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए कर्नल अमित बिष्ट ने कहा कि पर्वतारोहण से जुड़े एडवेंचर स्पोर्ट्स में अब रोजगार, मेडल, अवार्ड भी जुड़ गए हैं। इस लिए अब पर्वतारोहण केवल शौकिया खेल नहीं रहा है। निम में पर्वतारोहण के जो कोर्स चलाए जाते हैं, उनके लिए 2022 तक ऑनलाइन बुकिंग हो चुकी है। इसलिए संस्थान कुछ अन्य गतिविधि भी चलाएगा, जिससे अन्य युवाओं को भी मौका मिल सके।
कर्नल बिष्ट ने ये भी कहा कि कर्नल अजय कोठियाल ने निम संस्थान को काफी ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। इसलिए वे भी उसी क्रम को जारी रखते हुए और ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे। अमित बिष्ट ने बताया कि रक्तवन घाटी में दो अनाम चोटियों का आरोहण किया जाएगा। दोनों चोटियों का बेस कैंप एक ही होगा। आरोहण के बाद जिसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर करने के लिए दस्तावेज इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन में जमा किए जाएंगे।
इसके साथ इस अभियान को 25 दिसंबर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस से पहले लिम्का बुक में भी दर्ज कराया जाएगा। अभियान में एवरेस्टर विश्वेश्वर सेमवाल (विष्णु), उत्तराखंड पर्यटन परिषद के सदस्य अवधेष भट्ट, विजेंद्र सिंह, राकेश राणा, अनामिका बिष्ट, ज्योत्सना रावत आदि मौजूद थे।
अब हिमालय आरोहण करेगी ज्योत्सना
पौड़ी के बीरोखाल ब्लॉक के जसपुर गांव और देहरादून की हाल निवासी ज्योत्सना रावत अटल आरोहण अभियान में शामिल है। इस अभियान को लेकर ज्योत्सना काफी उत्साहित हैं। ज्योत्सना ने वर्ष 2017 में लेह अल्ट्रा द हाई में 111 किमी की मैराथन 19 घंटे 46 मिनट में पूरी की थी। इस दौड़ को पूरी करने वाली ज्योत्सना पहली भारतीय महिला है। ज्योत्सना ने कहा कि अब उनका लक्ष्य 2019 में होने वाली 333 किलोमीटर की मैराथन जीतने का है।
शुक्रवार निम में आयोजित एक कार्यक्रम में ज्योत्सना ने बताया कि अनाम चोटी के आरोहण अभियान एक रोमांचक अभियान है। इसमें अभी यह पता नहीं है कि किस ओर से चोटी का आरोहण होगा। इसी तरह के अभियानों से जुड़कर वह एवरेस्ट के आरोहण की तैयारी करेंगी, लेकिन उससे पहले का लक्ष्य अल्ट्रा द हाई में 333 किलोमीटर की मैराथन में हिस्सा लेने का है। वर्ष 2018 में भी उन्होंने 222 किलोमीटर की मैराथन में भाग लिया था, लेकिन स्वास्थ्य में कुछ दिक्कत होने के कारण उन्होंने 205 किलोमीटर पर अपनी दौड़ रोक दी थी। पर अब वे पूरी तरह से फिट हैं।
ज्योत्सना ने बताया कि उनके पिता यशवंत सिंह रावत बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट और मां ज्योति रावत गृहिणी हैं। उनका परिवार वर्तमान में देहरादून नेहरूग्राम में रहता है। ज्योत्सना ने बताया कि उसने मैराथन की प्रेरणा अपने पापा से ली है। उसके पाता यशवंत सिंह रावत ने भी मैराथन की कई प्रतियोगिताएं जीती हैं।
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