Udham Singh Nagar : 20 लाख की आबादी और एक MRI मशीन तक नहीं, कई हॉस्पिटल में सामान्य जांच के उपकरण तक नहीं
काशीपुर एलडी भट्ट अस्पताल में अल्ट्रासाउड व एक्सरे मशीन तो मौजूद है लेकिन पिछले पांच सालों से अस्पताल प्रशासन की तरफ से सीटी स्कैन मशीन की मांग की जा रही है लेकिन अभी तक यह मुहैया नहीं हो सका है। काशीपुर नेत्र विभाग में सभी संसाधन मौजूद रहने के बाद भी चिकित्सकों की तैनाती न होने से यह विभाग एक प्रकार से निष्क्रीय पड़ा हुआ है।
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : जिले में स्वस्थ सुविधाओं को और बेहतर बनाने के लिए अभी कसर बाकी है। नियम और मानकों को देखते हुए चिकित्सक ही नहीं उपचार से संबंधित व्यवस्थाओं और सुवधाओं की कमी है। जिला अस्पताल में नियमतः 58 प्रकार के जांच होने चाहिए, वहीं सीएचसी और पीएचसी में भी 28 प्रकार के जांच के मानक हैं। इसने बावजूद जिले में इसकी व्यवस्था नहीं है। जिससे जिला अस्पताल पर भी भार पड़ता है वहीं लोगों की जेब भी ढीली होती है। वहीं सुविधा न होने से सरकारी अस्पताल रेफर सेंटर बन चुके हैं।
ऊधम सिंह नगर में करीब 20 लाख की आबादी है। वहीं करीब बड़े छोटे मिलाकर कुल 45 अस्पताल हैं। जिसमें रुद्रपुर में जिला चिकित्सालय, काशीपुर, बाजपुर अौर खटीमा में उप जिला चिकिसालय, जसपुर, सितारगंज, गदरपुर, किच्छा और नानकमत्ता में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और विभिन्न क्षेत्रों में 34 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित है। यहां की कुल ओपीडी तीन हजार से अधिक रोजाना की है। किसी भी बीमारी के इलाज के लिए सबसे पहले जांच आवश्यक हैं। वहीं अस्पतालों में भी मानक और नियम अनुसार जांच की सुविधा होनी चाहिए।
जिला अस्पताल में एमआरआई को छोड़कर लगभग सभी यानी अस्पताल के सीबीसी, थायरायड, एक्स रे, अल्ट्रासाउंड, इसीजी, टीबी, मलेरिया, डेंगू, यूरिन, वाइडल सहित करीब 58 प्रकार की जांचे उपलब्ध हैं। वहीं अनुबंधित चंदन लैब से करीब 223 प्रकार की जांच का लाभ आयुष्मान कार्ड की ओर से दिया जाता है। इसके बावजूद अब तक एमआरआई की सुविधा जिले के किसी भी अस्पताल में नहीं है, जबकि निजी अस्पतालों में भरमार है।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार सीएचसी एवं पीएचसी में करीब 28 प्रकार की जांच होना अनिवार्य हैं। ऐसे में वहां जांच न होने पर लोग जिला अस्पताल या फिर स्थानीय स्तर पर निजी अस्पतालों में जांच कराने को मजबूर हैं। सरकारी अस्पताल में मरीजों को जाने के बाद सुविधा न होने के चलते रेफर कर दिया जाता है। जिसके बाद निजी अस्पताल या फिर दूर बड़े अस्पताल का विकल्प बचता है। दोनों ही स्थिति में उनपर आर्थिक बोझ पड़ता है।
हेम्टोलॉजी के अंतर्गत मलेरिया, प्लेटलेट काउंट, ईएसआर, एईसी, एचबी, टीएलसी, एबीओ ग्रुप, क्लाटिंग टाइम, बायोकेमेस्ट्री के ब्लक शुगर तीन प्रकार के, यूरिया, यूरिक एसिड, कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम क्लाराइड, एचआइवी, आरए फैक्टर सहित 40 प्रकार की जांच। डेंगू तीन प्रकार की जांच, वाइडल टेस्ट चार प्रकार के, टायफाइड, माइक्रोस्कोपिक एग्जाम, यूएसजी, एक्स रे, अल्ट्रासाउंड, माइक्रोस्कोपिक एग्जाम, यूपीटी टेक्स इत्यादि।
अल्ट्रासाउंड व्यवस्था धराशाई
जिला अस्पताल में एक अल्ट्रासाउंड मशीन है और एक ही टेक्निशियन भी हैं। ऐसे में पिछले कुछ दिनों के उनके अवकाश पर चले जाने से व्यवस्था धराशाई है। सुबह के वक्त सीएमओ डा मनोज कुमार शर्मा एक घंटे का समय देते हैं, इसके बाद पूरा दिन ताला लगा रहता है। जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गूलरभोज में जरूरत के मुताबिक सभी आवश्यक वस्तुएं जैसे दवा, उपकरण, ऑक्सीजन आदि की समुचित व्यवस्था है। यहां पर सप्ताह में केवल तीन दिन डॉक्टर उपलब्ध रहते हैं, जबकि प्रतिदिन डॉक्टर की नितांत आवश्यकता है। जुलाई 2021 से स्वास्थ केंद्र में वॉर्ड बॉय और स्वीपर की उपलब्धता नही है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गदरपुर में अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं है। जिसके चलते मरीजों की जांच नहीं हो पाती और लोगों को निजी अस्पतालों में जाना होता है। जिला अस्पताल शहर से 25 किमी दूर है। ऐसे में विकल्प नहीं है। वहीं उवपकरण हाेते हुए भी आर्थोपेडिक आदि बंद है।
सीटी स्कैन मशीन की मांग नहीं हुई अभी तक पूरी
काशीपुर एलडी भट्ट अस्पताल में अल्ट्रासाउड व एक्सरे मशीन तो मौजूद है लेकिन पिछले पांच सालों से अस्पताल प्रशासन की तरफ से सीटी स्कैन मशीन की मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक यह मुहैया नहीं हो सका है। काशीपुर नेत्र विभाग में सभी संसाधन मौजूद रहने के बाद भी चिकित्सकों की तैनाती न होने से यह विभाग एक प्रकार से निष्क्रीय पड़ा हुआ है।
सिटी स्कैन मशीन न होने से रेफर करना मजबूरी
किसी भी सड़क हादसे के केस में अक्सर हेड इंजरी के केस आते हैं लेकिन सिटी स्कैन मशीन न होने के चलते तत्काल अस्तपाल की तरफ से उन्हें रेफर करने की मजबूरी सामने आती है। अगर सिटी स्कैन रहता तो काफी हद तक सड़क हादसों के केस में मरीजों को यहा इलाज मिलने की संभावना थी। हड्डी के चिकित्सक के सिर्फ तीन ही बैठने की वजह से सड़क हादसों के केस में रेफर की संख्या मेंं काफी इजाफा हुआ है।
बाजपुर उप जिला चिकित्सालय में एक भी जांच नहीं
कहने को उपजिला अस्पताल लेकिन अस्पताल की ओर से एक भी जांच की सुविधा नहीं है। सामान्य जांच के लिए निजी पैथोलॉजी से अनुबंध संस्था से कराई जाती है। रोजाना दो से तीन एक्सीडेंट और हिंसक वारदातें होती रहती हैं। ऐसे में चिकित्सकों की भारी कमी के साथ ही अपात स्थिति में यह रेफर सेंटर बन जाता है। आईसीयू, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड सर्जिकल उपकरण, जांच मशीन है, लेकिन चिकित्सक और टेक्निशियन के न होने से प्रभावित है।
जिला अस्पताल में करीब सभी प्रकार की जांच उपलब्ध है। अस्पताल की 58 प्रकार की जांच और लोगों की सुविधा के लिए चंदल लैब के कर्मी भी यहां है। जिनसे बेहद किफयती दर, आयुष्मान कार्ड से 223 प्रकार की छोटीे से बड़ी जांच होती है। एमआरआई की कमी है। इसके लिए भी प्रस्ताव भेज दिया गया है। वहीं अल्ट्रासाउंड में चिकित्सक की कमी के चलते परेशानी है।
- डा आरके सिन्हा, प्रमुख अधीक्षक, जेएलएन, रुद्रपुर