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उत्तराखंड के इन तीन गांवों को सींचेगी इजरायली तकनीक, जानिए

इजरायल की तकनीक से अब उत्तराखंड के टिहरी जिले के मणगांव, सौड़ और पयाल गांव में भी सिंचाई की जाएगी

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 02 Jun 2018 03:03 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jun 2018 05:15 PM (IST)
उत्तराखंड के इन तीन गांवों को सींचेगी इजरायली तकनीक, जानिए
उत्तराखंड के इन तीन गांवों को सींचेगी इजरायली तकनीक, जानिए

नई टिहरी, [अनुराग उनियाल]: अब इजरायल की पूरी दुनिया में प्रसिद्ध ड्रिप और स्प्रिंकलर तकनीक से नरेंद्रनगर क्षेत्र के मणगांव, सौड़ और पयाल गांव में भी सिंचाई की जाएगी। सिंचाई के संकट से जूझ रहे इन गांवों में अब कृषि विभाग पायलट प्रोजेक्ट के तहत एक क्लस्टर विकसित कर रहा है। इसका उद्देश्य कम पानी में ज्यादा सिंचाई कर काश्तकारों को लाभ पहुंचाना है। 

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आने वाले समय में पानी की कमी कातश्कारों के साथ-साथ लोगों के लिए भी संकट का बड़ा कारण बन सकती है। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2030 में दुनिया की आबादी मौजूदा समय से दोगुना हो जाएगी। ऐसे में अभी से उस दौर के लिए तैयारी जरूरी है। हाल ही में उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल इजरायल दौरे पर गए थे। वहां हुई उच्चस्तरीय वार्ता के बाद अब इजरायल के विशेषज्ञ उत्तराखंड आकर यहां के काश्तकारों को बेहतर पैदावार और कम पानी में सिंचाई करने के तौर-तरीके सिखाएंगे। 

इसके लिए टिहरी जिले में नरेंद्रनगर ब्लॉक के मणगांव, सौड़ और पयाल गांव को चुना गया है। इन तीनों गांवों में काश्तकार बरसात के पानी और प्राकृतिक स्रोत पर निर्भर रहते हैं। गर्मियों में यहां पर पानी की कमी के कारण सिंचाई भी नहीं हो पाती। लिहाजा, अब कृषि विभाग यहां पर ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई का प्रोजेक्ट तैयार करेगा। ग्राम पंचायत सौड़ की प्रधान शीतल देवी कहती हैं कि पानी की कमी के कारण क्षेत्र में खेत अमूमन सूखे रह जाते हैं। लेकिन, सिंचाई के लिए बन रही इस योजना के बाद कम पानी में ज्यादा सिंचार्इ हो पाएगी। 

ड्रिप सिंचाई 

खेतों में पारंपरिक सिंचाई में ज्यादा पानी लगता है। लेकिन, ड्रिप सिंचाई यानी टपक सिंचार्इ से पौधों की जड़ों पर बूंद-बूंद पानी पड़ता है। इसके तहत एक मोटे पाइप के सहारे छोटे-छोटे पाइप पौधों की जड़ों के पास लगाए जाते हैं। इन पर सिंचाई के दौरान पानी की सप्लाई दी जाती है। 

स्प्रिंकलर सिंचाई 

इस तकनीक में खेत में जगह-जगह पाइप के सहारे नोजल लगाए जाते हैं। सिंचाई के दौरान यह नोजल घूमते रहते हैं। एक तरह से बरसात की तरह खेतों में सिंचाई होती है। इससे बरसात की तरह खेत के सभी हिस्सों में बराबर पानी जाता है। लेकिन, पानी की अनावश्यक बरबादी नहीं होती। 

मुख्य कृषि अधिकारी जेपी तिवारी नरेंद्रनगर ब्लॉक के तीन गांवों में नई तकनीक से सिंचाई की व्यवस्था की जा रही है। यहां पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत काम होगा और सफल होने पर इसे जिले में अन्य स्थानों पर भी लागू किया जाएगा। 

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