आधुनिक तकनीक से बनेगा प्रदेश का अपना डाटा सेंटर
आखिरकार उत्तराखंड का अपना डाटा सेंटर बनने जा रहा है। अगले तीन माह में इसके बन जाने की उम्मीद है। डाटा सेंटर बनाने में आधुनिक तकनीक उपयोग किया जाएगा।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: राज्य गठन के 17 साल बाद आखिरकार प्रदेश का अपना डाटा सेंटर बनने जा रहा है। इसके निर्माण कार्य का जिम्मा एक कंपनी को सौंप दिया गया है। अगले तीन माह में इसके बन जाने की उम्मीद है। डाटा सेंटर बनाने में आधुनिक तकनीक उपयोग किया जाएगा। इसमें अधिकांश कार्य सॉफ्टवेयर के जरिये ही हो सकेगा। डाटा सेंटर बनने के बाद सभी विभाग का डाटा एक ही सर्वर में उपलब्ध हो जाएगा।
उत्तराखंड में अपना डाटा सेंटर बनाने की कवायद वर्ष 2004 से शुरू हुई थी। हालांकि इसमें खासा विलंब होता गया। वर्ष 2013 में तो बाकायदा इसके लिए तकरीबन 63 लाख रुपये की धनराशि जारी की गई थी लेकिन जमीन के अभाव में इसका काम शुरू नहीं हो पाया।
प्रदेश में वर्ष 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद इस दिशा में तेजी से काम शुरू किया गया। बीते नवंबर में इस संबंध में बैठक हुई। तब मार्च तक स्टेट डाटा सेंटर बनाने की बात कही गई। टेंडर में समय लगने के कारण मार्च तक यह कवायद पूरी नहीं हो पाई। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा इसके लिए टेंडर आमंत्रित किया गया। अब इसी माह एक कंपनी को यह कार्य दिया गया है।
टेंडर की शर्तों के मुताबिक कंपनी दो माह में डाटा सेंटर तैयार कर देगी। इस डाटा सेंटर के बनने से प्रदेश के महकमों को अपना डाटाबेस सुरक्षित रखने को अन्य सर्वर पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इस समय प्रदेश में तकरीबन सभी विभागों में ऑनलाइन सेवाएं प्रारंभ कर दी गई हैं। इन सबका डाटा अलग-अलग सर्वर में संभाला जाता है।
विभागों में अब अधिक से अधिक काम ऑनलाइन होने के कारण मौजूदा सर्वर में जगह कम होने लगी है। इसके लिए उन्हें अतिरिक्त जगह खरीदनी पड़ रही है। राज्य का अपना डाटा सेंटर बनने से सारा डाटा एक जगह रहेगा, साथ ही विभागों को अतिरिक्त स्पेस लेने में दिक्कत नहीं होगा। राज्य का डाटा सेंटर 450 टेट्राबाइट का बनेगा। सॉफ्टवेयर से ही डाटा प्रबंधन का काम होने से विभागों को केवल अनुरोध करने पर अपने आप ही जगह मिल सकेगी।
इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट अथॉरिटी के निदेशक अमित सिन्हा ने कहा कि डाटा सेंटर बनाने की सारी कवायद पूरी हो चुकी है। अगले कुछ माह में यह अस्तित्व मे आ जाएगा।
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