नहीं रहे वृक्ष मानव के नाम से मशहूर विश्वेश्वर दत्त सकलानी
टिहरी जिले की सकलाना पट्टी के पुजार गांव निवासी वृक्ष मानव नाम से मशहूर विश्वेश्वर द्त्त सकलानी का आज अपने पैतृक गांव में निधन हो गया।
टिहरी, जेएनएन। अपने जीवन में 50 लाख पौधे लगाकर वृक्ष मानव की उपाधि हासिल करने वाले 97 वर्षीय विश्वेश्वर दत्त सकलानी का शुक्रवार तड़के निधन हो गया। निधन की सूचना मिलते ही धनोल्टी एसडीएम मुक्ता मिश्रा टीम सहित उनके गांव पहुंचीं और परिजनों को सांत्वना दी। शनिवार को उनका पूरे राजकीय सम्मान के साथ ऋषिकेश में अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके निधन पर राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने गहरा दुख व्यक्त किया। वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी गहरा दुख जताया । कहा कि उन्होंने आजीवन पर्यावरण की रक्षा के लिए कार्य करते रहे ।
जौनपुर ब्लॉक के पुजारगांव स्थित पैतृक आवास में वृक्ष मानव विश्वेश्वर दत्त सकलानी ने आखिरी सांस ली। शुक्रवार सुबह जब बेटे संतोष सकलानी उन्हें चाय देने गए तो वृक्ष मानव हमेशा के लिए सो चुके थे। पिछले कुछ समय से उनका स्वास्थ्य खराब था। उनके निधन की खबर सुनते ही राजनीतिक दलों से लेकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने वाली संस्थाओं के लोग उनके गांव पहुंचे।
देहरादून राजभवन में प्रोटोकाल अधिकारी के पद पर तैनात संतोष सकलानी ने बताया कि परिवार के सभी सदस्यों के आने के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा। पर्यावरणविद और बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी ने बताया कि 1979 में विश्वेश्वर दत्त सकलानी के साथ खुरेत क्षेत्र में चिपको आंदोलन के दौरान उन्होंने काम किया था। उन्हें पौधे लगाने का जुनून था।
वहीं इतिहासकार महिपाल नेगी ने बताया कि अपने बड़े भाई नागेंद्र दत्त सकलानी के निधन के बाद उन्होंने पौधे लगाने की पहल को अपना जीवन सौंप दिया। उनकी याद में उन्होंने नागेंद्र स्मृति वन भी बनाया। इस उपलब्धि पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें वर्ष 1986 में इंदिरा प्रियदर्शनी वृक्षमित्र पुरस्कार दिया था। जिसके बाद से वह वृक्ष मानव के नाम से मशहूर हो गए थे।
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