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Kedarnath Yatra 2020 विधि विधान के साथ खोले गए केदारनाथ के कपाट, प्रधानमंत्री मोदी के नाम की गई प्रथम पूजा

Kedarnath Yatra 2020 भगवान केदारनाथ के कपाट बुधवार को तय समय पर पूरे विधि विधान के साथ खोल दिए गए गए हैं अब आने वाले छह महीने तक यहीं पर भगवान की पूजा होगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 29 Apr 2020 07:27 AM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2020 09:38 PM (IST)
Kedarnath Yatra 2020 विधि विधान के साथ खोले गए केदारनाथ के कपाट, प्रधानमंत्री मोदी के नाम की गई प्रथम पूजा

रुद्रप्रयाग, जेएनएन। बारह ज्योतिर्लिंगों में शामिल भगवान केदारनाथ के कपाट बुधवार सुबह मेष लग्न में छह बजकर 10 मिनट पर विधि-विधान पूर्वक खोल दिए गए। मंदिर में प्रथम पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से हुई। इस दौरान शारीरिक दूरी के नियमों का पूरी तरह पालन किया गया। केदारनाथ यात्रा के इतिहास में यह पहला मौका था, जब कपाट खुलने के मौके पर एक भी भक्त मौजूद नहीं था। धाम के लिए यात्रा कब शुरू होगी, इस पर तीन मई को लॉकडाउन की अवधि खत्म होने के बाद ही निर्णय होगा।

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सुबह मंदिर का सीलबंद मुख्य द्वार खोलने के बाद सबसे पहले गर्भगृह में पूजा की गई। मंदिर के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने कपाट खोलने की समस्त औपचारिकताएं पूर्ण कराईं और इसके बाद प्रधानमंत्री के नाम से बाबा की प्रथम पूजा की गई। बताया गया कि यात्रा शुरू करने पर निर्णय होने तक मंदिर में न तो नित्य पूजाएं होंगी और न ऑनलाइन पूजाएं ही। इस अवधि में सिर्फ भोग, दोपहर का शृंगार और संध्याकालीन आरती ही होगी। पूजा में सिर्फ मुख्य पुजारी हिस्सा लेंगे। कपाटोद्घाटन पर देवस्थानम बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी अधिकारी बीडी सिंह, राजकुमार नौटियाल व केएस पुष्पवाण चुनिंदा तीर्थ-पुरोहित और पुलिस-प्रशासन के लोग मौजूद रहे।

मुख्य पुजारी ने निभाई रावल की जिम्मेदारी

धाम के रावल भीमा शंकर लिंग अभी क्वारंटाइन में हैं, इसलिए कपाट खुलने के मौके पर उनकी जिम्मेदारी का निर्वहन मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने किया। रावल नांदेड़ (महाराष्ट्र) से 20 अप्रैल को ऊखीमठ पहुंचे थे, सो नियमानुसार उन्हें 14 दिन के क्वारंटाइन में रहना पड़ेगा।

केदारनाथ में अभी नहीं होंगी ऑनलाइन पूजाएं

पंरपराओं के अनुसार केदारनाथ धाम के कपाट अपने तय समय और तय तिथि पर खोले जा चुके हैं। लेकिन, लॉकडाउन के चलते मंदिर में अभी न तो नित्य पूजाएं होंगी और न ऑनलाइन पूजाएं ही। इस अवधि में सिर्फ भोग, दोपहर का शृंगार और संध्याकालीन आरती ही होगी। हालांकि, इस वर्ष अभी तक ऑनलाइन पूजाओं के लिए कोई बुकिंग भी नहीं आई है। 

लॉकडाउन के चलते प्रशासन ने अभी तक केदारनाथ में भक्तों को दर्शनों की अनुमति नहीं दी है। यह स्थिति कब तक रहेगी, इसका फैसला भी लॉकडाउन हटने के बाद ही होगा। तब तक केदारनाथ में सीमित संख्या में देवस्थानम बोर्ड के कर्मचारी, पुजारी व वेदपाठी ही मौजूद रहेंगे। देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी राजकुमार नौटियाल बताते हैं कि बीते वर्ष तक मंदिर समिति भक्तों के नाम व राशि के आधार पर ऑनलाइन पूजा संपन्न कराती थी। इसमें महाभिषेक, रुद्राभिषेक, लघु रुद्राभिषेक व षोडशोपचार पूजाएं शामिल हैं। लेकिन, इस बार अभी तक ऑनलाइन पूजा के लिए कोई बुकिंग भी नहीं मिली है। बताया कि प्रशासन के निर्देश के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा।

वयोवृद्ध तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती कहते हैं कि कोरोना महामारी के चलते सरकार ने पूजाओं व भक्तों के दर्शन पर रोक लगाई हुई है। मंदिर से जुड़े लोगों के साथ ही भक्तों को भी सरकार की गाइड लाइन का अक्षरश: पालन करना चाहिए। फिलहाल यही बाबा केदार की सच्ची भक्ति है। देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी एनपी जमलोकी कहते हैं कि ऑनलाइन पूजाओं के लिए भक्तों को लॉकडाउन हटने के बाद होने वाले निर्णय तक इंतजार करना पड़ेगा। आगे जो भी निर्देश आएंगे, उन्हीं के अनुरूप व्यवस्थाएं बनाई जाएंगी।

कोरोना से जीतेंगे जंग: सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केदारनाथ धाम के कपाट खोले जाने पर सभी श्रद्धालुओं को बधाई दी। कहा कि बाबा केदार के आशीर्वाद से हम कोरोना महामारी को हराने में जरूर कामयाब होंगे। इस बार आमजन दर्शन नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन बाबा की भक्तों पर विशेष कृपा है।

शनिवार को खुलेंगे बाबा के क्षेत्रपाल भैरवनाथ के कपाट

केदारनाथ धाम के कपाट तो खुल गए हैं, लेकिन सायंकालीन आरती शनिवार को बाबा भैरवनाथ के कपाट खुलने के बाद ही शुरू होगी। परंपरा के अनुसार भैरवनाथ मंदिर के कपाट केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद मंगलवार या शनिवार (जो भी पहले पड़ता है) को खोले जाते हैं। भैरवनाथ को भगवान केदारनाथ का क्षेत्रपाल या वीर माना गया है। बाबा भैरवनाथ का मंदिर केदारनाथ से आधा किमी दूर पहाड़ी पर है।

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केदारनाथ में होने वाली ऑनलाइन पूजाएं

  • पूजा, दर (रुपये में)
  • महाभिषेक, 8500
  • रुद्राभिषेक, 7500
  • लघु रुद्राभिषेक, 6500
  • षोडशोपचार, 4500

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