Move to Jagran APP

देश-विदेश तक महकेगी हिमालयी कस्तूरी की सुगंध

उत्तराखंड के बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले की सीमा पर महरूढ़ी स्थित कस्तूरा मृग प्रजनन केंद्र में कस्तूरा मृगों की संख्या बढ़ चली है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 30 Aug 2018 10:20 AM (IST)Updated: Fri, 31 Aug 2018 09:19 AM (IST)
देश-विदेश तक महकेगी हिमालयी कस्तूरी की सुगंध
देश-विदेश तक महकेगी हिमालयी कस्तूरी की सुगंध

पिथौरागढ़, [ओपी अवस्थी]: प्राकृतिक रूप से धरती पर सर्वाधिक सुगंधित कस्तूरी की महक देश-दुनिया तक फैलेगी। उत्तराखंड के बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले की सीमा पर महरूढ़ी स्थित कस्तूरा मृग प्रजनन केंद्र में कस्तूरा मृगों की संख्या बढ़ चली है। बड़ी बात यह कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में मिलने वाले दुर्लभ कस्तूरा मृग ने मध्य हिमालय में अनुकूलन कर लिया है। मध्य हिमालय रेंज में स्थित प्रजनन केंद्र की सफलता ने जैव विविधता के नए द्वार खोल दिए हैं।

loksabha election banner

मिली कस्तूरी निकालने की अनुमति : 

1976-77 में शिकारियों की नजर में रहने वाले राज्य पशु कस्तूरा मृग के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए भारत सरकार की पहल पर मध्य हिमालय में कस्तूरा मृग अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई थी। पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिले की सीमा पर अस्कोट-कर्णप्रयाग मोटर मार्ग पर स्थित कोटमन्या से कुछ दूर ऊंचाई पर महरूढ़ी में फार्म के लिए भूमि का चयन किया गया। इस स्थान पर ग्रामीणों द्वारा दी गई भूमि पर फार्म स्थापित किया गया। 40 वर्षों के अंतराल में कस्तूरा फार्म ने कई झंझावात झेले। हिमरेखा के करीब रहने वाले दुनिया के सबसे शर्मीले जानवर कस्तूरा मृग ने इस परिस्थिति में अपने को ढाला।

भोजन से लेकर जलवायु तक को अंगीकार करने में चार दशक का समय लग गया। इस बीच कई बार इस प्रोजेक्ट पर प्रश्नचिन्ह भी लगते रहे। कभी आशा और कभी निराशा का दौर चलता रहा। नर मृग की नाभि से वैज्ञानिक विधि से कस्तूरी भी निकाली गई। एक दौर ऐसा आया जब केंद्र बंद होने की स्थिति में पहुंच गया। अब फिर प्रयास सफल हो गया है। फार्म में कस्तूरा मृगों की संख्या 12 हो गई है। जिसमें सात नर और पांच मादाएं हैं। हाल ही में दो नए शावक हुए हैं जिसमें दोनों मादा हैं। आयुष विभाग ने अब इसी केंद्र में कस्तूरी निकालने की अनुमति दे दी है। 

एक लाख रुपये प्रति तोला :

कस्तूरा मृगों को उनके प्राकृतिक माहौल के मुताबिक भोजन उपलब्ध नहीं करा पाने के चलते 2005 में इस केंद्र के अस्तित्व को लेकर सवाल उठ खड़े हुए थे। हालांकि तक एक मृग की नाभि से कस्तूरी निकाली गई थी। लेकिन उसके बाद यह संभव नहीं हो सका। अब यह समस्या नहीं रही है। मृगों ने भी अनुकूलन करना सीख लिया है। ऐसे में अब आयुष विभाग से मंजूरी मिलने के बाद सात नर मृगों से कस्तूरी निकाली जानी है। कस्तूरी दरअसल नर मृगों की ग्रंथि से निकलकर नाभि में जमा होने वाला तेज गंधयुक्त पदार्थ होता है। इसे अब वैज्ञानिक पद्धति से निकाल लिया जाता है और मृग को कोई क्षति नहीं पहुंचती है। एक मृग की नाभि से एक बार में 10 से 20 ग्राम तक कस्तूरी निकल सकती है। अनुसंधान केंद्र संग्रहित कस्तूरी को सीधे आयुष विभाग को भेजता है। इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक लाख रुपये प्रति तोला तक बताई जाती है। कस्तूरी का प्रयोग जीवनरक्षक एवं शक्तिवर्धक दवा बनाने में होता है। 

पिंडारी ग्लेशियर क्षेत्र से लाए गए थे कस्तूरा मृग :

40 वर्ष पूर्व महरूढ़ी फार्म में कस्तूरा मृग का जोड़ा लाना एक दुष्कर कार्य था। इसके लिए बागेश्वर जिले के पिंडारी ग्लेशियर क्षेत्र से कस्तूरा मृग पकड़े गए थे। उच्च हिमालयी इस जीव को मध्य हिमालय की जलवायु के अनुकूल बनाने के लिए पहले उच्च मध्य हिमालय के धाकुड़ी और तड़ीखेत में रखा गया। बाद में कम ऊंचाई वाले महरूढ़ी में लाया गया। कस्तूरा मृग के लिए मध्य हिमालय की वनस्पति काम नहीं आती है। जिसे देखते हुए महरूढ़ी लमजीगड़ा के ग्रामीणों द्वारा दी गई जमीन पर कस्तूरा मृग के भोजन के लिए विशेष बागान तैयार किया। कस्तूरा के साल भर के भोजन के लिए अनुकूल वनस्पति उगाई गई। इसमें अब अक्टूबर से जून तक के लिए लमेड़ बेल (वन चमेली), गोफल बेल, खीस, बुरांश, चमखडि़क, खुइया (वनपालक) और जुलाई से सितंबर तक के लिए पुलम पत्र, घी पत्ती तंग्याली, पाषाण भेद, अयारी घास, तितपतिया घास, सोयाबीन पत्र और गुलदावरी के पौधे उगाए जाते हैं। अनाज में गेहूं, दूध, चोकड़, सोयाबीन, चना पीस कर दिया जाता है। 

यह भी पढ़ें: बाघों पर मंडरा रहा खतरा, 20 माह में 15 से अधिक मौत

यह भी पढ़ें: कार्बेट नेशनल पार्क में ही खतरे में हैं बाघ, सवाल तो उठेंगे ही


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.